फर्जी संशोधन आदेश से ज्वाइनिंग करने पहुंची शिक्षिका,जांच के आदेश

Shri Mi
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बिलासपुर।शिक्षकों की पदोन्नति के बाद संशोधन का काम बंद कर दिया गया है । इसके बाद भी कई शिक्षक संशोधन कराने के लिए भटक रहे हैं।

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इसमें शामिल एक शिक्षिका फर्जी संशोधन आदेश लेकर ड्यूटी ज्वाइन करने तखतपुर बीईओ कार्यालय पहुंची। संदेह होने पर फर्जीवाड़ा उजागर हो गया।

इस मामले में जेडी ने बीईओ को तीन दिन के भीतर जांच करके प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया है। तखतपुर ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षिका नंदिनी कश्यप का प्रमोशन उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर हुआ।

काउंसिलिंग में उसे शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सरसडोल, ब्लॉक लोरमी, जिला मुंगेली में पदस्थापना मिली। इसके बाद शिक्षिका को उक्त स्थान में जाकर पदभार ग्रहण करना था, लेकिन उसने वहां ज्वाइनिंग नहीं दी।

बल्कि, मंगलवार को वह तखतपुर ब्लॉक के चनाडोंगरी में पदस्थ व्याख्याता रामप्यारे कश्यप के साथ ड्यूटी ज्वाइन करने बीईओ ऑफिस तखतपुर पहुंची। उसने संयुक्त संचालक एस. के. प्रसाद का एक आदेश दिखाया।

इसमें उसने बताया कि पदांकन को संशोधन कर सरसडोल के स्थान पर तखतपुर ब्लॉक के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पेडारी में पोस्टिंग कर दी गई है। इसके साथ ही उसने बीईओ तखतपुर एलएस.जोगी से ज्वाइनिंग कराने की मांग की।

संयुक्त संचालक, शिक्षा का संशोधन वाला आदेश एक शिक्षिका के लिए नामुकिन काम है। इस वजह से इसकेपीछे एक गिरोह के काम करने की बात सामने आ रही है।

इस तरह पहले भी सक्ती जिले में फर्जीवाड़ा किया जा चुका है, जिसमें पुलिस ने अपराध भी दर्ज किया था। मामले में पूरी जांच होने के बाद ही उसके पीछे काम करने वाले सामने आएंगे।

शिक्षिका द्वारा संशोधन आदेश दिखाए जाने पर बीईओ को संदेह हुआ। इसलिए, उन्होंने सबसे पहले संशोधन आदेश की फोटोकॉपी करवाई। इसे तत्काल वाट्सएप के जरिए संयुक्त संचालक, शिक्षा कार्यालय भेजकर वेरिफिकेशन करवाया।

तब पता चला कि यह आदेश जेडी ऑफिस से जारी ही नहीं किया गया है। संशोधन आदेश में डाला गया क्रमांक भी किसी दूसरे शिक्षक के आदेश का है।

इसलिए, बीईओ ने शिक्षिका नंदिनी कश्यप और उसके साथ व्याख्याता रामप्यारे कश्यप को संशोधन आदेश के फर्जी होने की बात कही। तब दोनों तत्काल जेडी ऑफिस जाने की बात कहकर बीईओ ऑफिस से चले गए।

शिक्षकों की पदोन्नति के बाद पदांकन का संशोधन बंद हो गया है। इसके बाद भी शिक्षिका इस तरह का आदेश लेकर पहुंची। जिसे 5 जून को संयुक्त संचालक, शिक्षा द्वारा जारी करना बताया।

एक तो वह एक माह से अधिक समय बाद ज्वाइन करने पहुंची। दूसरा यह, कि आदेश की प्रतिओरिजनल नहीं थी। उसकी फोटोकापी धुंधली थी। इसलिए भी बीईओ को संदेह हुआ।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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