इन जिलों में चुनाव के समय कहां था Congress संगठन.. और अब कहां है… ?

Shri Mi
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में Congress को पराजय का सामना करना पड़ रहा पड़ा है। अविभाजित बिलासपुर जिले में भी congress का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा। हालांकि जांजगीर की सभी 6 सीटें कांग्रेस ने जीत लीं । लेकिन बिलासपुर में सिर्फ दो और कोरबा में सिर्फ एक सीट ही जीत सकी। नए जिले गौरेला- पेंड्रा- मरवाही की एकमात्र सीट भी कांग्रेस ने गवां दी।

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चुनाव के दौरान Congress संगठन के कामकाज को लेकर भी कई बातें सामने आ रही हैं। हालत यह थी कि बिलासपुर रीजन में जिला कांग्रेस कमेटी के दो अध्यक्ष खुद चुनाव लड़ रहे थे । जबकि मुंगेली जिले के जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बगावत कर दूसरी पार्टी से चुनाव मैदान में उतर गए। लेकिन पार्टी की ओर से कोई व्यवस्था सामने नहीं आई। चुनाव में हार के बाद कोरबा जिले में तो कांग्रेस ने बैठक कर समीक्षा की है। लेकिन बिलासपुर और दूसरे जिलों में अब तक बैठक की भी कोई खबर नहीं है।

बिलासपुर अभिभाजित बिलासपुर जिले में विधानसभा की 18 सीटें हैं। बिलासपुर जिले में 6, जांजगीर चांपा में 6, कोरबा में चार ,मुंगेली में दो और गौरेला – पेंड्रा – मरवाही जिले में एक सीट शामिल है। इस इलाके में कांग्रेस इस बार आधी यानी 9 सीटे जीतने में कामयाब रही। कांग्रेस का सबसे बेहतर प्रदर्शन जांजगीर – चांपा जिले में रहा।

जहां कांग्रेस ने सभी 6- अकलतरा, जांजगीर चांपा, सक्ती, जैजैपुर, चंद्रपुर और पामगढ़ सीट पर जीत हासिल की। कांग्रेस ने इस इलाके में 2018 के पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया। इधर बिलासपुर जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन 2018 की तरह ही रहा। उस समय कांग्रेस नें 6 में से दो सीटें जीती थी। इस बार सीटें बदल गई हैं ।

लेकिन संख्या दो ही रही। कांग्रेस को कोटा और मस्तूरी विधानसभा सीट में कामयाबी मिल सकी। जबकि बिलासपुर, बेलतरा, बिल्हा और तखतपुर में उसे हार का सामना करना पड़ा।

मुंगेली जिले की दो सीटों में पिछले बार भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी मुंगेली और लोरमी सीट कांग्रेस जीत नहीं सकी। नए जिले गौरेला – पेंड्रा – मरवाही में सिर्फ मरवाही की सीट है। 2018 के चुनाव में यह सीट जोगी कांग्रेस के सुप्रीमो अजीत जोगी ने जीती थी। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां फतह हासिल की थी। लेकिन इस बार के चुनाव में यह सीट कांग्रेस से के हाथ से निकल गई।

कोरबा जिले में विधानसभा की चार सीटें हैं। 2018 में कांग्रेस ने तीन सीटें जीती थीं । लेकिन इस बार सिर्फ रामपुर सीट में ही कांग्रेस को जीत हासिल हुई। कोरबा, कटघोरा बीजेपी को मिली। जबकि पाली- तानाखार सीट से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को जीत हासिल हुई।

कांग्रेस के इस प्रदर्शन में पार्टी संगठन की हिस्सेदारी पर बात करें तो कई खामियां नजर आती है। खास बात यह इस इलाके में जिला कांग्रेस के दो अध्यक्ष विधानसभा के उम्मीदवार बनाए गए थे। जांजगीर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह ने अकलतरा में चुनाव जीत लिया।

लेकिन बिलासपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी बेलतरा सीट से चुनाव हार गए। उधर मुंगेली जिले के में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सागर सिंह बेस भी टिकट के दावेदार थे। लोरमी सीट से टिकट नहीं मिलने पर बाग़ी होकर चुनाव मैदान में उतरे । उन्होंने जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिया। नई पार्टी की टिकट पर भी वह चुनाव नहीं जीत सके। मरवाही सीट में कांग्रेस की हार के पीछे भी खेमेबाजी को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि वहां जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बदले जाने के बाद से खेमेबाजी और बढ़ गई थी।

इधर एक तरफ जहां जिला कांग्रेस के अध्यक्ष खुद चुनाव मैदान में थे या दूसरी पार्टी से चुनाव मैदान में उतर गए थे । लेकिन चुनाव की चुनौतियों के बीच भी पार्टी की ओर से संगठन में कामकाज को लेकर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी।

कांग्रेस के लोगों के बीच इस बात की भी चर्चा है कि पार्टी संगठन को जिस तरह से चुस्त होना चाहिए, वैसा कुछ चुनाव के दौरान नजर नहीं आया। जाहिर सी बात है कि इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ा है।

चर्चा इस बात पर भी है कि चुनाव में हार के बाद अब तक केवल कोरबा जिले में कांग्रेस कमेटी की बैठक में की खबर है। जिसमें हार को लेकर मंथन भी हुआ है। लेकिन बिलासपुर सहित दूसरे जिलों में अब तक बैठक की कोई खबर नहीं आई है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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