इंटरनेट के अलावा पढ़ाई के दूसरे तरीको पर ज़ोर देगा स्कूल शिक्षा विभाग,पढिए वैकल्पिक सुझावो पर शिक्षक नेता व जनप्रतिनिधियों ने कही ये बात

Chief Editor
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बिलासपुर।मंगलवार को रायपुर में शिक्षा विभाग के अधिकारियों का स्कूल शिक्षा सचिव डॉ आलोक शुक्ला संचालक, लोक शिक्षण संचनालय जितेंद्र शुक्ला द्वारा वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें हजारों की संख्या में प्रदेश के विभिन्न इलाकों के शिक्षा अधिकारी कर्मचारी और शिक्षक शामिल हुए। वेबिनार में पढ़ाई तू हर द्वार अभियान के संदर्भ में स्कूल शिक्षा सचिव ने इस बात को स्वीकार किया कि सुदूर नेटवर्क विभिन्न क्षेत्रों में ऑनलाइन क्लासेज का संचालन चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस वेबिनार  के बाद शिक्षा व्यवस्था पर होने वाले नए प्रयोग पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव , बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, शिक्षक संघ के नेताओ ने अपनी प्रतिक्रिया सीजीवाल को दी।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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वेबिनार के माध्यम से डॉ आलोक शुक्ला ने अपने विचार साझा करते हुए बताते है कि प्रदेश स्तर पर आन लाइन कक्षा में मोबाईल और नेटवर्क की समस्या के चलते प्रदेश के लगभग पचास लाख बच्चों की संख्या की दृष्टि से राज्यव्यापी सफलता के लक्ष्य से ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से पहुंचने में कठिनाई आ रही है। इस दौर में केंद्र सरकार के द्वारा स्कूलों को खोलने में की मनाही है। स्कूल शिक्षा सचिव ने स्वेच्छा से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों विकास खंड शिक्षा अधिकारियों एवं संकुल समन्वयक ओ को अपने इलाके के प्रत्येक ग्राम में एक मोहल्लास्कूल और ग्राम पंचायत की भागीदारी से वॉलिंटियर्स का चयन कर लाउडस्पीकर के माध्यम से प्राथमिक और मिडिल स्कूल के बच्चों को सीखने और सिखाने की प्रक्रिया से जोड़े रखने हेतु कक्षाएं आरंभ करने के लिए निर्देश दिया।

उन्होंने कहा यह कार्य शिक्षा से बिना किसी दबाव के सामुदायिक भागीदारी के द्वारा की जाए। स्थानीय स्तर पर नवाचारी प्रयासों से बच्चों को लॉक डाऊन अवधि में शिक्षा पहुंचाने का कार्य शिक्षकों को करना होगा। 5 सितंबर शिक्षक दिवस को लॉकडाउन अवधि में बच्चों को नवाचारी ढंग से शिक्षा देने वाले शिक्षकों एवं शिक्षा अधिकारियों का सम्मान किया जाएगा।

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 वेबीनार को संबोधित करते हुए डीपीआई जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि लाकडाऊन  में बच्चों को सूखा रख राशन का वितरण योजना बनाकर वितरण कराया जाए स्कूलों में प्रवेश की तैयारी और लॉकडाउन अवधि के दौरान 14 अगस्त तक प्राइमरी और मिडिल के छात्रों को  सूखा राशन वितरित करने के संबंध में निर्देश दिया एव किताबें और ड्रेस वितरण के कार्य को पूर्ण करने हेतु आदेशित किया।शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला ने बस्तर के सुकमा क्षेत्र में बुल टू रेडियो के बारे में जानकारी शेयर करते हुए ब्लूटूथ के माध्यम से ऑडियो स्टडी मटेरियल को एक्सचेज कर पढ़ाई किए जाने की सराहना करते हुए अन्य ब्लाकों में भी स्वेच्छा से इस कार्य को किए जाने निर्देश दिया।एक शिक्षक के सवाल का जबाव देते हुए उन्होंने ने बताया कि  स्कूल के ग्राउंड का उपयोग पंचायत से लिखित रूप में कोविड 19 के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है। 

आज हुए वेबिनार पर शिक्षकों व छात्रो के हितों को लेकर कई शिक्षक संगठनो व  नेताओ की  मिली जुली प्रतिक्रिया दी दिखे …. सीजीवाल इस विषय पर जब…!  भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव से प्रतिक्रिया ली तो उन्होंने ने बताया कि पढ़ई तुंहर द्वार योजना के द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई सरकारी स्कूलों के बच्चों लिए बहुत कठिन है। मोबाइल और इंटरनेट की समस्या बरकार है ।सरकार वाहवाही लूटने में लगी । हमर पारा, मोहल्ला में लाउडस्पीकर स्कूल लगाना बच्चो को कोरोना के गाल में झोंकने वाली बात हुई।शिक्षको को भी परेशानी होगी। लाऊडस्पीकर स्कूल का कोई सेंस नही है।कोरोनकाल में बच्चो को सुरक्षित रखने की जरूरत ज्यादा है। सरकार ने व्यवहारिक नए विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए। टीवी और रेडियो चैनल बेहतर विकल्प हो सकते है

विधायक बेलतरा रजनीश सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बताया कि सरकार ने संसाधनों की व्यवस्था करके सुरक्षित और बेहतर वैकल्पिक उपायों को अपनाना चाहिए।पढ़ई तुंहर द्वार में आनलाइन क्लासेज को ठीक से अभी नही ले पा रहे है। गावो में लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय है,नितांत अव्यहारिक कदम है।

शिक्षक संघ की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया कि शासन के निर्देश में स्वेच्छा वाली कोई बात नहीं होती। शिक्षक तन मन धन से कार्य करने के लिए तैयार हैं। पढ़ई तूहर द्वार अभियान को भी शिक्षकों ने सफल बनाया। लाउडस्पीकर और हमर पारा स्कूल भी शिक्षक ही सफल बनाएंगे लेकिन यह रोज-रोज के प्रयोग बंद होने चाहिए।

मनीष मिश्रा का कहना है कि कोरोना काल में मोहल्ले और पारो में बच्चों को बैठा कर पढ़ाने और स्कूल में पढ़ाने में कोई खास अंतर नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जब बच्चों को समूहों में एकत्र करने की मनाही है ऐसे में मोहल्ला और पारो में बैठाना, बगीचों मैदानों और अन्य भवनों में बुलाना आखिर वही बात हुई? इस समय छत्तीसगढ़ में तेजी से कोरोना फैल रहा है ऐसा किया जाना बच्चो की सेहत के साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा। वाह वाही लूटने के चक्कर में कही पासा उल्टा ना पड़ जाय। आला अधिकारियों को कुछ भी निर्देश देने के पहले अच्छी तरह सोच समझकर निर्णय लेना चाहिए।

छत्तीसगढ़ व्यख्याता संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने बताया कि बच्चो को स्कूल जब तक न बुलाया जाय तब तक कि कोरोना का सामुदायिक संक्रमण की आशंका खत्म ना हो जाये ।सभी राज्य अपने अपने राज्य शैक्षिक टी वी चैनल प्रारम्भ करें,दूरस्थ शिक्षा को अपनाए, पाठ्यक्रम रिवाइज करे,  मूल्यांकन भी  असाइमेन्ट के माध्यम से हो।ऑनलाइन क्लासेस को सफलता से चलावे

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण में बच्चो के सीखने सीखने के विषय पर संयम से निर्णय लेने की आवश्यकता है, अभी छत्तीसगढ़ सरकार ने पढ़ाई तुंहर दुआर के रूप में ऑनलाइन योजना जारी किया है, इसका लाभ कैसे और कितने को मिल रहा है, यह चर्चा का विषय हो सकता है। कोरोना का संक्रमण विस्तार प्राप्त कर रहा है, ऐसे में सम्पूर्ण बच्चो के साथ स्कूल खोलना आपदा को और बढ़ा सकता है। 

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