रविवार को दिल्ली में जुटेंगे देशभर के पैरा शिक्षक नेता..छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेंगे वीरेंद्र दुबे

Shri Mi
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Shikshakarmi,virendra dubeyरायपुर।प्रदेश के एक लाख से ज्यादा शिक्षाकर्मियों का एक साथ संविलियन कर छत्तीसगढ़ वाकई में दूसरे प्रदेशों के लिए मिसाल बन गया है। पड़ोसी राज्यों की बात तो छोड़िये, पूरे देश में संविलियन का इंतजार कर रहे शिक्षाकर्मियों के बीच छत्तीसगढ़ का मॉडल काफी पापुलर हो रहा है। लिहाजा कल दिल्ली में जब देश भर से शिक्षाकर्मी व पैरा शिक्षक जुटेंगे, तो छत्तीसगढ़ उनके बीच काफी चर्चा का विषय रहेगा। छत्तीसगढ़ से शिक्षाकर्मियों का प्रतिनिधित्व वीरेंद्र दुबे करेंगे, जो कल सुबह दिल्ली रवाना हो रहे हैं।मध्य और उत्तर भारत के अधिकांश प्रदेशों की बात करें तो शासकीय स्कूलों में शिक्षाकर्मी, शिक्षामित्र, अध्यापक, गेस्ट टीचर, पैरा टीचर, रहबर ए तालीम जैसे अनेकों नाम देकर विभिन्न राज्य सरकारों ने शासकीय शिक्षकों की तुलना में अत्यंत अल्प वेतन और शासकीय कर्मचारियों की सुविधाएं न देकर काम चला रही है। अलग अलग प्रदेशों में इस पैरा शिक्षक व्यवस्था को खत्म करने के लिए बड़े बड़े आंदोलन भी किये गए, जिसमे छग के शिक्षाकर्मियों ने अग्रणी भूमिका निभाई है।वीरेंद्र दुबे ने बताया कि 2013 में भी छग के शिक्षाकर्मियों ने सँघर्ष समिति के बैनर तले 38 दिनों का आंदोलन किया था तब उन्हें रमन सरकार ने समान काम समान वेतन तो प्रदान किया।

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किन्तु शासकीय शिक्षक नहीं माना तो पुनः इस वर्ष यहां एक बड़ा आंदोलन मोर्चा के नेतृत्व में किया गया,जिसके फलस्वरूप छग सरकार ने 8 वर्ष पर संविलियन नीति बनाते हुए इन शिक्षाकर्मियों का शिक्षाविभाग में शासकीयकरण किया गया जिसमें प्रथम चरण में लगभग एक लाख पौने पांच हजार शिक्षाकर्मी लाभान्वित हो रहे हैं, बाकि बचे शिक्षाकर्मियों का क्रमशः 8 वर्ष पूरे होने पर स्वमेव शासकीयकरण होते जाएगा। छग के इस बड़े आंदोलन के सूत्रधार शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रांताध्यक्ष और मोर्चा के प्रदेश संचालक वीरेंद्र दुबे रहे,जिन्होंने प्रदेश के प्रमुख संगठनों को एक मंच पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।ज्ञात हो कि वीरेंद्र दुबे ने पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के आंदोलनों में भी अपना सहयोग प्रदान किया था,जिसके कारण उन्हें मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय पैराशिक्षक संघ का राष्ट्रीय संयोजक भी बनाया गया था। छग के आंदोलन का जबरदस्त असर मप्र में भी देखने को मिला, मप्र के पैराशिक्षको ने भी आंदोलन किया जिसके कारण मप्र की शिवराजसिंह सरकार ने भी संविलियन करने की घोषणा की है किंतु उसे अब तक अमलीजामा नही पहनाया जा सका है।

उप्र और बिहार के शिक्षामित्र और नियोजित शिक्षक,शासकीयकरण हेतु लगातार आंदोलन कर रहे है किन्तु उन्हें आपेक्षित सफलता नही मिल पा रही है। कई राज्यो में इस तरह की समस्याएं विद्यमान है और लगातार शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में अस्थायी शिक्षकों की सेवाएं लेकर सरकारें अपने सरकारी खजाने पर भार नही देना चाहती,जबकि प्राचीन भारत में शिक्षा को ही जीवन का रीढ़ मानते हुए विद्यालय और गुरुजनों का विशेष ध्यान और  सम्मान रखा जाता था,इसलिए भारत पहले विश्वगुरु कहलाता था।
विश्व के कई देशों में आज भी शिक्षकों का वेतन अन्य कर्मचारियों के मुकाबले अत्यधिक रखा जाता है,जबकि भारत मे शिक्षकों के साथ भारी भेदभाव किया जाता है,देश मे शिक्षकों के वेतन सुविधाओ में कहीं कोई समानता नही है, उड़ीसा,महाराष्ट्र,राजस्थान जैसे राज्यो ने शासकीयकरण की नीति पहले से बना रखी है,और केंद्रीय वेतनमान देने का प्रयास भी कर रही है वही कुछ राज्यो में पैराशिक्षको की हालत खराब है।
इसीलिये इन असमानताओं को दूर करने हेतु आवश्यक रणनीति बनाने के लिए देश भर के पैराशिक्षको के नेतृत्वकर्ता राजधानी दिल्ली में 29 जुलाई को जुटने जा रहे हैं। चूंकि छग संविलियन नीति बनाकर क्रियान्वित करने वाला एकमात्र राज्य बन गया है इसलिये छग के शिक्षाकर्मियों को शासकीयकरण का लाभ दिलाने में अपनी बेहतर परिणामदायक रणनीतिकार,निर्भीक और कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में छवि बनाने वाले मोर्चा संचालक वीरेंद्र दुबे को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह बैठक रविवार 29 जुलाई को दिन में 10 बजे से 3 बजे तक  BTR Bhaban( CITU Central Office). 13A Rose Avenue .New Delhi. Near ITO Metro Station gate no.2 में होगी,जिसमें राष्ट्रीय पैराशिक्षक संघ के राष्ट्रीय संयोजक तथा शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र दुबे अपने सहयोगी घनश्याम पटेल के साथ सम्मलित होंगे और वहां पर पैराशिक्षकों के साथ हो रही असमानता और दोहरे मापदण्ड को दूर करने हेतु बनने वाली राष्ट्रीय रणनीति में अपनी राय प्रकट करते हुए प्रेजेंटेशन देंगे, साथ ही प्राथमिक शिक्षा जो कि हमारी नींव होती है,को मजबूत बनाने के लिए तथा प्राथमिक के शिक्षकों के वेतनमान को सम्मान जनक प्रदान करने के लिए, देश के समस्त शिक्षकों का वेतन व सेवाशर्त में एकरूपता के लिए आवश्यक सुझाव व मांग भी मोदी सरकार से करेंगे।चूंकि 2019 में आगामी लोकसभा चुनाव है, और वर्तमान मोदी सरकार शिक्षा में आवश्यक सुधारो का पक्षधर है,इस दृष्टिकोण से भी बैठक महत्वपूर्ण है।
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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