सीवीआरयू में 6 दिवसीय फेकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ समापन

Shri Mi
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mohale♦शिक्षा से होगा सामाजिक बदलाव-मोहले
♦बेहतर शिक्षा देने शिक्षाविदों ने किया मंथन
बिलासपुर(करगीरोड)।बदलते समय के साथ शिक्षा में भी बदलाव आया हैं, तख्ती और चाक से शुरू हुई शिक्षा आज कम्यूटर और इंटरनेट तक जा पहुंची है। इसलिए शिक्षकों को शांत, गंभीर और अनुशासित रहकर विद्यार्थियों को शिक्षा देने के साथ उनमें मानवता और अपनत्व का विचार डालना चाहिए, ताकि हम विद्यार्थियों को शिक्षा देने के साथ उनमें एक आर्दश व्यक्तित्व का भी निर्माण कर सकें। तभी हम गुणवत्ता युक्त शिक्षा के साथ सुदृढ़ समाज की स्थापना कर पाएंगें।
ये बातें प्रदेश खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहले ने डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में आयोजित 6 दिवसीय फेकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के समापन अवसर पर कहीं वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।मोहले ने अपने तुकबंदी के चिरपरिचित अंदाज में कहा कि डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय एक दशक से भी अधिक समय से यहां विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा तो दे ही रहा है साथ ही प्राध्यापकों को समय के साथ अपडेट करने भावी युवाओं को किस तरह बेहतर शिक्षा दी जाए इस पर भी विचार मंथन कर रहा है।

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                                                              मोहले ने कहा कि एक अच्छी सोच का यह परिणाम है कि फेकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया है यह बात भी तय है कि इस अच्छी सोच से ही अच्छे परिणाम भी आएंगे। श्री मोहले ने आयोजन के लिए विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी। इस अवसर पर 6 दिन तक कार्यक्रम में शामिल हुए प्राध्यापकों को अतिथियों ने प्रमाण पत्र प्रदान किया।

सीवीआरयू की ऋणी हुं-डाॅ रेणु
renu_jogi_fileकार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित कोटा विधायक डाॅ. रेणु जोगी ने कहा कि मैंने विश्वविद्यालय को छोटे पौधे से आज बड़े वृक्ष तक देखा है। उन्होंने डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय प्रबंधन को बधाई देते हुए कहा कि डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्याल ने यहां शैक्षणिक, बौधिक और आर्थिक वातावरण तैयार किया है। कोटा क्षेत्र मे ंऐसे वातावरण के निर्माण के लिए मैं कोटा क्षेत्र के लोगों की ओर से विश्वविद्यालय की ऋणी हुं। उन्होंने अपने शिक्षा के दिनों को याद करते हुए कहा कि हर शिक्षक को ऐसा प्रभावशाली बनाना चाहिए कि वे सालों तक विद्यार्थी के मानस पटल पर अंकित हो जाएगा। डाॅ. जोगी ने अपने शिक्षक डाॅ. अम्मू नैयर और नरगिस मैडम को याद किया।

क्लास रूम से ज्ञान समाज तक भी पहुंचे-प्रो.बंशगोपाल
banshgopal_fileइस अवसर पर पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बंश गोपाल सिंह ने कहा कि प्राध्यापकोें के सामने यह स्थिति होती है कि हम जो 30 साल पहले पढ़ चुके है आज वह पाठ्यक्रम में ही नहीं है। इसके साथ शिक्षा पद्वति में भी बेहद बदलाव भी आ चुका है। ऐसे में फेकेल्टी डेपलपमेंट प्रोग्राम की बड़ी सार्थकता हैं। इससे ही हम आने वाले समय के अनुसार से बेहतर शिक्षा देने योग्य बनेंगे।बंशगोपाल ने बताया कि गुणवत्ता युक्त शिक्षा के माहौल में टीचिंग और शोध दोनों को शामिल किया गया है, लेकिन आज हम सिर्फ टीचिंग तक ही सीमित हो गए है, शोध पर काम कम किया जा रहा है। ऐसे आयोजन से शोध को भी नई दिशा मिलेगी।

विवेकपूर्ण शिक्षा ही सार्थक-कुलपति
fdp3इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. आर.पी.दुबे ने गणितीय सूत्र को आधार बताते हुए कहा कि आज के समय भी एजुकेशन से ही फ्यूचर है। किसी भी राज्य व देश की जितनी अच्छी शिक्षा होगी उस राज्य और देश का भविष्य उतना ही बेहतर होगा। प्रो. दुबे ने बताया कि एक बात यह भी महत्तपूर्ण है कि शिक्षा के साथ व्यक्ति के व्यक्तित्व में विवेक का ज्ञान भी जरूरी हैं। शिक्षा तभी सार्थक होगी, जब वह विवेकपूर्ण हो। उन्होंने कहा कि शिक्षक ऐसे कार्य करें जिससे विद्यार्थी के साथ समाज भी प्रेरणा लें। प्रो. दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय में ऐसे आयोजन निरंतर होते रहेंगे।

सोच व भावना हो तो सफल होना तय-कुलसचिव
fdp2इस अवसर पर डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने कहा कि मां कि सोच व भावना होती है तभी उसका बच्चा डाॅक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, आईएएस और आईपीएस बनकर सफल होता है। भले ही वो अनपढ़ ही क्यों न हो। यह बात सिद्व करती है कि सोच और भावना ही व्यक्ति को सफल बनाती है। ठीक इसी तरह हमारे विद्यार्थी भी होते है हम जिस सोच और भावना से उन्हें पढ़ाएंगें वही सोच व भावना उन्हें सफल करेंगी। श्री पाण्डेय ने विश्वविद्यालय के प्रारंभिक दिनों के संघर्ष को और अब तक की उपलब्धियों को बताया। उन्होेंने सभी विभागाध्यक्षों और प्राध्यापकों को शुभकामनाएं दी।

शिक्षा मंथन में अमृत
विश्वविद्यालय में 6 दिवसीय आयोजन में पहले दिन स्वामी विवेकानंद टैक्नीकल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ.बी.के. स्थापक ने टीचिंग मैथड पर वक्तव्य दिया। उन्होंने टीचिंग पैटर्न को जल्द से जल्द अपनाने और उसमें बेहतर काम करने की बात कही। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डाॅ. विनय पाठक ने कहा कि शिक्षा पद्वति विद्यार्थी और शिक्षक के बीच पूर्ण रूप से केंद्रित होना चाहिए। इससे ही हम युवाओं को बेहतर कल के लिए तैयार कर पाएंगे। आयोजन के दूसरे दिन वक्ता के रूप में आमंत्रित शिक्षाविद् प्रो. आर.के.त्रिपाठी ने कम्युनिकेशन स्किल पर अपनी बात रखी। उन्होंने विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच बढ़ते संवाद के अभाव में चिंता जाहिर की।

                                                           गर्वमेंट इंजीनियरिंग काॅलेज में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ.एस.के.सिंघई ने गुड टीचिंग प्रेक्टिसेस विषय पर अपने विचार रखें।जिसमें उन्होंने हर शिक्षक को क्लास में जाने से पहले अपनी तैयारी किस तरह करनी है यह विस्तार से बताया।वाईसीसी काॅलेज नागपुर के निर्देशक डाॅ.आर.एल.श्रीवास्तव ने वैल्यू एडेड शिक्षा पर अपना व्याख्यान दिया। डाॅ. श्रीवास्तव ने बताया कि आज की जरूरत के अनुसार रोजगार परख शिक्षा किस तरह दी जा सकती है। एनआईटीटीटीआर भोपाल के पूर्व निदेशक डाॅ.जी.टी.लाला ने तीन दिनों तक अलग अलग विषयों में व्याख्यान दिया। इसमें इफेक्टीव क्लास रूम मेनेंजमेंट, सोशल एंड एटिड्यूडिनल स्किल, डोमेंस्स आॅफ लर्निंग एंड टेक्सानाॅमिक लेवल तीनों विषय पर प्रभावी जानकारी दी। इसी तरह मध्यप्रदेश भोपाल उच्च शिक्षा विभाग के प्रो.डाॅ.बी.के.सिन्हा, मनोविज्ञान की प्रो.डाॅ.उषा किरण अग्रवाल, गर्वमेंट काॅलेज दुर्ग के प्रोफेसर डाॅ.अवधेश श्रीवास्तव, गुफा विशेषज्ञ रायपुर के डाॅ.जयंत विश्वास व बीआईटी दुर्ग के प्राचार्य डाॅ. पीयूष पाण्डेय ने भी अपने विचार रखे।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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