दुनिया में कोरोना… तो छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में जूम एप का रोना..डेटा सुरक्षा को लेकर बढ़ रही चिंता

Shri Mi
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बिलासपुर।चीन से निकले कोरोना वायरस से एक ओर पूरा विश्व परेशान है वहीं चीनी मोबाइल एप ज़ूम को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग से मिल रहे निर्देशो से प्रदेश के कई शिक्षक परेशान हैं। जिले से लेकर संकुल तक के अधिकारी कर्मचारी शिक्षकों को ज़ूम एप अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करने के लिए दबाव बना रहे है। जबकि अधिकतर शिक्षक ज़ूम नामक चाइनीज मोबाईल एप्लिकेशन को डाउनलोड करने पक्ष में इसलिए नही है क्योंकि इस एप की वजह उनके डेटा की सिक्योरिटी प्रभावित हो सकती है।स्कूल शिक्षा विभाग ने पढ़ाई तुंहर द्वार योजना के अंतर्गत शिक्षको और छात्रो को एक मंच पर आन लाइन जोड़ने के उद्देश्य से इस योजना को कोरोना के संक्रमण काल के दौरान लांच किया है सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्एप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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जिसमे पहले शिक्षको को टेलीग्राम से जोड़ा गया उसके बाद सभी को ज़ूम एप डाउनलोड करने के लिए कहा जा रहा है। टेलीग्राम की विशेषता यह रहती है कि इसमें दो लाख तक लोग जुड़ सकते हैं वही ज़ूम की खासियत यह है कि इसमें एकसाथ सौ लोग आन लाइन वीडियो में बात चीत कर सकते है।चीनी ज़ूम एप पूरी दुनिया में लाइव वीडियो के लिए प्रसिद्ध है पर हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी कई खामियां उजागर हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसरो ,नासा और गूगल ने अपने कर्मचारियों को इस एप का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी है।वही इसके अपडेट होने के बाद लेपटॉप और डेस्कटॉप पर थोड़ा सुरक्षित बताया जा रहा है पर इसे मोबाईल पर असुरक्षित माना जा रहा है। अगर एप का उपयोग जरूरी है तो विभाग चायनीज़ एप ज़ूम की जगह Google Meet का उपयोग पर क्यो नही कर सकता है।

चीनी एप के उपयोग के मामले में बिलासपुर उच्च न्यायलय के वरिष्ठ अधिवक्ता व समाजसेवी विनय जायसवाल का कहना है कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ज़ूम एप उपयोग करने वालो को आश्वस्थ करे भविष्य में इसके उपयोग किसी का आर्थिक नुकसान होगा तो उसकी भरपाई स्कूल शिक्षा विभाग करेगा।मौखिक आदेश लगभग से दो लाख  से अधिक शिक्षको के निजी डेटा की सुरक्षा से विभाग के अधिकारी अपनी मन मानी नही कर सकते है। यह निर्देश न्याय संगत नही जान पड़ते है। 

विनय जायसवाल का कहना है कि खाली दिमाग शैतान का दिमाग होता है। संभवत इसी विचार से प्रेरित होकर स्कूल शिक्षा विभाग ने अपनी प्रयोगशाला की कढ़ाई से पढ़ाई तुहर द्वार योजना निकाली है।  योजना का नाम सुनकर ऐसा लगता है कोरोना के संक्रमण काल के दौर मे स्कूल शिक्षा विभाग का अमला सरकारी स्कूल से जुड़े प्रत्येक छात्रों के घर जा जा कर पढ़ायेगा। 

 विनय बताते है कि छात्रो औऱ शिक्षको को जोड़े रखने के लिए यह ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था है बहुत अच्छी भी है पर इसमे कई खामियां है।इस योजना में  कक्षा पहली से  दसवीं तक के छात्रों को शामिल किया गया। शहरी व ग्रामीण सम्पन परिवार के लिए योजना बहुत अच्छी है। पर पहुँच विहीन कवरेज विहीन क्षेत्रो के लिए यह योजना कोरा कागज है। वतर्मान राज्य सरकार ने इस बात का आकलन करना चाहिए कि तीन अप्रैल से प्राइमरी और मीडिल स्कूल के लगभग उन्तीस लाख छात्रो को घर घर जाकर मध्यान भोजन योजना का सूखा अनाज बाँटा गया है। कोरोना के संक्रमण काल के  ऐसे दौर में छात्रो के परिजनों यह उमीद रखना सब चार सौ रुपये का डेटा पैक भरवा के रखें होंगे या सभी के पास एंड्रॉयड फोन होगा बेईमानी लगती है।

विनय जायसवाल का कहना है कि इस कोरोना के दौर  समाज और सरकार मिल कर  इससे लड़ रही है।पता नहीं सरकार को कौन लोग हैं जो इस  नाजुक और आर्थिक मंदी के काल में इस  तरह के हाईटेक आईडिया देते रहते हैं जिसका धरातल पर कोई संभावना नहीं होती है।हो सकता है कि विभाग के कुछ चाटुकार इस तरह की योजना के सफलता के साक्ष्य भी प्रस्तुत कर दें किन्तु सत्य यही है कि दूर दराज वनांचल क्षेत्रों,ग्रामीण इलाकों में इस योजना का क्रियान्वयन एवं इससे बच्चों को कितना लाभ होगा यह देखने लायक होगा। बच्चों को लाभ होगा या नहीं होगा यह बात की बात हो सकती है किन्तु इस तुगलकी फरमान से शिक्षक और उनके परिजन परेशान जरूर है एवं अपने निजी डेटा के चोरी होने के भय से सशंकित भी।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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