नारायणपुर-कोराना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। इस हालात में मां की ममता की पीड़ा अच्छी तरह समझी जा सकती है, पर कोराना वायरस को इससे कोई लेना-देना नहीं। उसका काम महामारी का रूप लेना है। इसके चलते भारत देश में 21 दिनों का लॉकडाउन जो विगत 14 अप्रैल को खत्म होना था। लेकिन परिस्थिति और कोराना वायरस की संक्रमण की गंभीरता देखते सरकार द्वारा लॉकडाउन की सीमा 3 मई तक बढ़ा दी गई। लॉकडाउन के कारण लोग जहां पर फंसे हैं, वही पर मजबूरी में रह रहे हैं। इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद के लिए जिला और पुलिस प्रशासन पूरी ताल के साथ एक साथ सामने आ रहे है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे व पाए देश प्रदेश की विश्वसनीय खबरे
ऐसा ही एक मामला सामने आया है। लॉकडाउन के पहले नारायणपुर जिले के गांव रिंगबेड़ा के पति-पत्नी ईलाज कराने राजधानी रायपुर गए थे। वे वहीं फंसकर रह गए। मां 9 माह की बच्ची को जिले से 100 किलोमीटर दूर गांव जामगुड़ा में नानी के पास छोड़कर गए थे। ईलाज के बाद सोमवार को रायपुर से आश्रम की गाड़ी से नारायणपुर पहुंचे। मां-पिता की ऑखें, व्यकुलता और पीड़ा बच्ची से मिलने तरस रही थीं। जिला और पुलिस प्रशासन को खबर लगते ही मां-पिता को कल रात जामगुड़ा सुरक्षित पहुंचाकर बच्ची से मिलन करवाया ।
अब बच्ची मां और परिवार दोनों खुश है। निर्देश मिलते ही रक्षित निरीक्षक श्री दीपक साव और स्थानीय वालेन्टियर वाहन लेकर गांव रिंगबेड़ा पहुंचे। परिवार को गाड़ी में बिठाकर उनके बच्ची के नानी के यहां सकुशल पहुंचाया । एक माह बाद मिली बच्ची को देख मां की आंखें छलछला (भर आई) उठी और उसके खुशी के आंसू छलक पडे़ं ।
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