पढ़ई तुंहर दुआरःविषम परिस्थितियों में भी नारायणपुर के शिक्षक जगा रहे शिक्षा की अलख,जंगल-पहाड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे शिक्षक करा रहे पढ़ाई

Chief Editor
4 Min Read

नारायणपुर- कहते है यदि आप ठान ले तो लक्षित कार्य अपनी सुगमता के लिये रास्ते अपने आप खोज लेता जाता है, आवश्यकता है तो दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने काम के प्रति समर्पण की। आज जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी के दंस झेल रहा है, फिर भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के पहल से इस विषम परिस्थिति में भी बच्चों तक शिक्षा की अलख जगाने एवं बच्चों तक शिक्षा पहुचाने हेतु पढई तंुहर दुआर जैसे महत्वकांक्षी योजना का क्रियान्वयन पूरे राज्य के सरकारी स्कूलों मंे करते हुये बच्चों तक बेहतर शिक्षा पहुंचाने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है वहीं सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षक भी इसमे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हुये बच्चों तक किसी भी तरह शिक्षा पहुचाने का कार्य कर रहे हैं।

Join Our WhatsApp Group Join Now

जिससे पढई तुंहर दुआर कार्यक्रम सफल होता नजर आ रहा है। 
नारायणपुर के सुदूर अंचलों में भी जिला प्रशासन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने हेतु काफी गंभीर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षक ऑनलाइन पढ़ाई के साथ साथ ऑफ लाइन कक्षाओं का भी संचालन कर रहे हैं। शिक्षक घर-घर जा कर बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का कार्य करते नजर आ रहे हैं। शिक्षक बच्चों तक सिर्फ शिक्षा पहुंचाने का कार्य नहीं बल्कि कोरोना महामारी से बचाव लिए के लिए बच्चों एवं पालकों को जागरुक करने का कार्य भी कर रहे हैं। जिला प्रशासन की पहल से शिक्षा विभाग का यह प्रयास रंग ला रहा है।

देखा जाए तो इस कोरोना महामारी के चलते शिक्षा पर काफी प्रभाव पड़ा है, और स्कूल तीन महीनो से बंद है। ऐसे में शासन के निर्देशानुसार ऑनलाइन अध्यापन का कार्य कराया जा रहा है, लेकिन नारायणपुर जिले अंतर्गत कई जगहों पर नेटवर्क एवं संसाधनों के अभाव है। फिर भी शिक्षक ऑनलाइन एवं आफ लाइन क्लास का संचालन कर रहे हैं। इस ऑनलाइन अथवा ऑफ लाइन अध्यापन को लेकर शिक्षा विभाग गंभीर है।

नारायणपुर जिले की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण जंहा मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर रहा। उन जगहों पर ऑफ लाईन क्लास के माध्यम से जिले के शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहें हैं। इन दूरस्थ अंचलों में बच्चों के अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल की उपलब्धता नहीं होने के कारण शिक्षकों को यह आभाष तो हो ही गया कि, केवल मोबाइल वाले माध्यम से हमें इस काम में सफलता नहीं मिल सकती है। तब इन शिक्षकों ने जंगल-पहाड़ो के बीच बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठाकर ऑफ़ लाइन क्लास के माध्यम से पढ़ाई करा रहे हैं।

शिक्षक कोविड-19 से बचाव का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं। सभी बच्चे मास्क लगाते है, बकायदा उनके हाथों को सेनेटाइज किया जाता है। अपनी क्लास में शिक्षक अपने मोबाइल से आने वाली शिक्षण सामग्री को दिखाते हैं, फिर उसे समझाते हैं। एन्ड्राइड मोबाइल की अभिभावकों के पास अनुउपलब्धता का असर बच्चों की शिक्षा पर ना पड़े इसके लिये इन शिक्षकों के द्वारा किया जाने वाला यह कार्य न केवल सराहनीय है बल्कि अनुकरणीय भी है।

close