दंतेल घटना में सरगुजा में 3 मैदानी कर्मचारी निलंबित,कर्मचारी संघ नाराज,कहा- निलंबित करने वाले अधिकारी ही दंतेल को पकड़कर बताएं

Chief Editor
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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में दंतेल की धटनाएं लगातार घटित हो रही है। इससे जन सामान्य को क्षति व मत्यु तक की दुखद धटना हो रही है। अंबिकापुर वन परिक्षेत्र में दंतेल के पैर से कुचलने के कारण एक ग्रामीण की मौके पर ही मौत हो गई। किंतु धटना के लिए बड़े जिम्मेदार अधिकारी वातानुकूलित कक्षों में आराम फरमाते रहे तथा ग्रामीण के निधन पर जनआक्रोष को शांत करने में विफल होने के आरोप में गेम गार्ड एवं वनपाल ,जो सर्व प्रथम मौके पर पहुंचकर अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों के आक्रोश का सामना किया, उन्हें ही आक्रोष शांत न कर पाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। इससे प्रदेश के कर्मचारी संघों में व्यापक नाराजगी है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने तत्काल निलंबन से बहाल करने की मांग की है।
फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा एवं प्रमुख प्रवक्ता विजय कुमार झा ने मौके पर जन आक्रोश को नियंत्रित न करने के आरोप में प्रतापपुर परिक्षेत्र में पदस्थ परिक्षेत्र सहायक गुलशन यादव वनपाल तथा जीतेन्द्र सिंह गेम गार्ड को निलंबित करने को वनविभाग के अधिकारियों की मानसिक दिवालियापन व स्वयं को बचाने की साजिश निरूपित किया है। हाथी के प्रवेश को क्षेत्र में रोकने व जनआक्रोष को तत्काल शांत करने की क्षमता यदि निलंबित करने वाले अधिकारी अनुराग श्रीवास्तव मुख्य वन संरक्षक, सरगुजा वन वृत्त अंबिकापुर को न केवल ग्रामीण अंचलों में घटनाओं को रोकने व जन आक्रोष को शांत करने के लिए वनमंत्री से ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ करने की मांग की है, अपितु कवर्धा व जशपुर में पुलिस के बदले वन विभाग के अधिकारियों को जनआक्रोश को शांत करने के लिए विशेष रूप से पदस्थ कर देना चाहिए। वर्तमान् में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में वरिष्ठ आई.एफ.एस. आलोक कटियार को सी.ई.ओ. के पद पर पदस्थ किया गया है। जबकि सी.ई.ओं.का पद आई.ए.एस. अधिकारी स्तर का पद है। इसी प्रकार वन विभाग के अधिकारी विवेक आचार्य आई.एफ.एस.को पर्यटन एवं संस्कृति विभाग में पदस्थ किया गया है। इनको मलाईदार पद में पदस्थ रखने के बदले दंतेल को पकड़ने व धटना घटित होने पर जन आक्रोश को शांत करने क्यों पदस्थ नहीं किया जा रहा है। एक वनपाल व गार्ड स्तर का कर्मचारी जिसके सहयोग के लिए पुलिस सुरक्षा, अस्त्र, शस्त्र उपलब्ध न हो जन आक्रोष को शांत करने के लिए कोई दण्डाधिकारी के पद पर तो कार्यरत् नहीं है। ऐसी स्थिति उन्हें निलंबित कर बड़े अधिकारियों को संरक्षण देने व अपने आकाओं को प्रसन्न करने की नीति है।

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सरगुजा वनक्षेत्र में निलंबित वनपाल, गार्ड मेन को तत्काल बहाल करने की मांग वन विभागीय राजपत्रित अधिकारी संघ प्रदेशाध्यक्ष सतीश मिश्रा, आर.के.रिछारिया, पंकज पाण्डेय, प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद शर्मा, इदरीश खॉन, अजय तिवारी, उमेश मुदलियार, आदि नेताओं ने करते हुए वनमंत्री मोहम्मद अकबर से की है, कि वन विभाग के उच्च स्तर के अपने पहुंच का उपयोग कर अन्य विभागों में कार्य कर रहे है, उन्हें तत्काल मुख्यमंत्री भूपेश बधेल की योजना के अनुरूप संलग्नीकरण समाप्त करने की मांग की है। निलंबन से बहाल न होने की स्थिति में बिना किसी पूर्व सूचना के वन विभाग में धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी पी.व्ही.नरसिम्हाराव को दी है। क्योंकि इन दोनों ही अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के पद नाम के साथ वन बल प्रमुख एवं वन्य प्राणी शब्द जुड़ा हुआ है। इसलिए दंतेल को रोकने व जन आक्रोष को शांत कराने की जवाबदारी भी इन्हीं उच्च अधिकारियों की है। इन अधिकारियों से मांग है कि अन्य विभाग में मलाईदार पदों पर कार्यरत् विभागीय अधिकारियों की सेवाएं वापस विभाग में लेते हुए, इनसे वन सुरक्षा का कार्य संपादित कराया जावे। वनपाल व गार्ड के भरोसे जिन्हें निलंबित कर अपनी पीठ थपथपा रहे है, संभव नहीं है।

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