शिक्षा विभाग का यह कैसा सिस्टम..? ब्लॉक अधिकारियों के सामने बेबस हैं जिला शिक्षा अधिकारी

Chief Editor
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कोरबा।सरकार नीति बनाती है…प्रशासन नीतियों का क्रियान्वयन करता है।लेकिन कोरबा जिला प्रशासन किस दिशा में चल पड़ा है …. यह शासन की नीतियों का निर्धारण करने वाले समझें … कोरबा जिला शिक्षा विभाग राज्य सरकार की नीतियों के पालन में गंभीर नज़र नही आ रहा है..? यहाँ की कार्यशैली लोककल्याण की जगह सेटिंगवाद पर जोर देती है । ऐसे उदाहरण भी सामने आ रहे हैं,जिसमे मलाईदार पदों में बैठे लोगो के लिए नियम आदेश सुविधानुसार जारी कर दिए जाते है। तभी तो दो महीने उसी जगह …..उसी पद पर…. उसी संस्थान पर…..आदेश के साये में काम करने दिया जाता है ।

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फिर उसी आदेश को निरस्त कर क्लीन चिट दे दी जाती है ….! यह सेटिंगवाद है जो राज्य सरकार की लोक कल्याण की नीतियों पर हास्यासन कर रहा है।कोरबा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सेटिंगवाद की गूंज विपक्ष के कानो में सुनाई पड़ते ही सवाल उठने लगे कि पोड़ी उपरोड़ा के विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी और पाली विकास खंड शिक्षा अधिकारी क्या कोरबा के जिला शिक्षा अधिकारी से पीड़ित है ..? इन दोनों अधिकारियों पर आधा अधूरा आदेश जारी कर क्यो दबाव बनाया गया है ..?

यदि दोनों अधिकारी कर्तव्य के प्रति निष्ठावान नही थे तो इन पर कठोर कार्यवाही क्यो नही हुई है ..? जिला शिक्षा अधिकारी , संभागीय संयक्त संचालक शिक्षा अधिकारी , जिला कलेक्टर , सम्भाग के कमिश्नर और स्कूल शिक्षा विभाग …. प्रदेश में राजपत्र विरुद्ध योग्यता धारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारियों के सामने इतना असहाय कैसे हो गया है ? बहरहाल ये दोनों अधिकारी अब भी उसी क्रीज में जमे हुए है।

इस विषय पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शिवनाथ केशरवानी ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कोरबा में मंत्री ने फूल छाप वालो को अपनी टीम में शामिल कर लिया है । ये मंत्री का मुखोटा लगा कर घूमते है ,इन्हें 15 साल सत्ता का सुख भोगने का अनुभव है , इसलिए इनको सरकार के मंत्री के जिले की बदहाली दिखाई नही देती है। आम आदमी पार्टी जिले में विपक्ष की भूमिका में खड़ी हुई है। पार्टी सेटिंगवाद की निंदा करती है।

मामले पर शिक्षक नेताओ का कहना है कि 27 अगस्त का आदेश दोनों ब्लॉक के लिए नया नही है । पहले भी कटघोरा और पाली ब्लॉक में ऐसा फार्मूला हम देख चुके है।ऐसी व्यवस्था से अधिकारियों से पीडित शिक्षको को दोहरा नुकसान होता है । ब्लॉक की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है। शिक्षक नेता का कहना है कि पढ़ने पढ़ानें के लिए मन का स्थिर रहना बहुत जरूरी है। जो यहाँ नही हो पा रहा है। विभाग की सबसे मजबूत बुनियाद विकास खण्ड कार्यलय की हकीकत किसी से छुपी नही है।इस मामले पर कोरबा जिला शिक्षा अधिकारी हमेशा की तरह मौन व्रत धारण किये हुए है।

मालूम हो कि कोरबा जिले के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से 27 अगस्त को एक आदेश जारी होता है। जिसमे लिखा होता है कि पोड़ी उपरोड़ा के विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी को व्यवस्था के तहत विकास खंड शिक्षा अधिकारी पाली का प्रभार दिया जाता है । वही पाली विकास खंड के शिक्षा अधिकारी को पोड़ी उपरोड़ा के विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया जाता है। दोनों अधिकारियों के ब्लॉक बदल दिए जाते है। आहरण व संवितरण अधिकार नही बदले जाते है। मतलब दोनों विकास खण्ड शिक्षा अधिकारियों का आफिस बदल जाता है । बस लेन देन का अधिकार नही बदलता है। सरकारी काम के लिए बाबुओं को पाली और पोड़ी उपरोड़ा नापना पड़ता । हालाकि 27 अगस्त के इस आदेश का पालन नही हुआ है । क्योकि व्यापक उद्देश्य को आकार देने वाली प्रशासनिक मशीन यहाँ खराब है । जो व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों पर सवाल जरूर खड़े करती है।

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