रायपुर । प्रदेश के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने मंगलवार को विधानसभा के सामने प्रदर्शन किया । उन्होने चेतावनी दी है कि अगर अभी भी सरकार उनकी मांंगें नहीं मानती है तो आने वाले समय में आंदोलन को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया जाएगा और इस आंदोलन का ब्लॉक स्तर तक विस्तार किया जाएगा ।
प्रदेश के एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिकाओं के संयुक्त मंच के आह्वान पर छत्तीसगढ़ प्रदेश के पद्रह से बीस हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिकाये रायपुर राजधानी मे 10 दिसम्बर से चल रहे महाधरना में शामिल हैं। मंगलवार को धरना स्थल बुढ़ातालाब मे एकत्र होकर सरकार के खिलाफ जबरजस्त प्रदर्शन किया गया । ठीक 2: 30 बजे विधान सभा की ओर कूच किया गया।
संयुक्त मंच ने उपस्थित होने वाले प्रदर्शन कारी महिलाओ के लिये दो प्रकार का ड्रेस कोड तय किया गया था । एक हरा कलर जो हरा भरा छत्तीसगढ़ महतारी के भुइयां का प्रतिक है और दूसरा ऊर्जा और संघर्ष को तेज का प्रतीक लाल कलर थय किय गया था । इस कलर के ड्रेस वाली साड़ी.झण्डा.लेकर छत्तीसगढ़ महतारी के इस हरा भरा भुइयां मे नारी शक्ति भूखे पेट होने का इजहार करते हुये सर मे कफन बांध कर निकल चली । विधान सभा घेरने ज़ा रही इन महिलाओं का जोश और आक्रोश देखने लायक था।
विधान सभा घेराव के लिये निकली इस रैली का नेतृत्व सरिता पाठक.रूक्मणी सज्जन.हेमा भारती.सौरा यादव और विभिन्न जिला से आये जिलाध्यक्ष प्रान्तिय पदाधिकारियो ने किया ।विधान सभा घेरने हजारो महिलाओ के इस सैलाव को पुलिस ने जगह जगह रोकने की कोशिश की । पुलिस और प्रदर्शनकारियो के बीच हल्का धक्का मुक्की भी देखने को मिला । लेकिन महिला शक्ति मे एक अलग जज्बा और जोश उन्हे नही रोक पाया । विधान सभा के सामने घन्टो प्रदर्शन चला । सड़क जाम कर दिया गया और सरकार को चेताया गया कि मांगे पूरी नही गई तो रायपुर में चल रहे निर्धारित सात दिवस के महा डेरा को अनिश्चित काल के लिये बढ़ाया जा सकता है और संघर्ष को ब्लाक तथा जिला स्तर मे विस्तार किया जा सकता है । इसलिये सरकार को चाहिये कि हठधर्मिता छोड़कर संघ प्रतिनिधियों से वार्त्ता करे और समय पर समस्या का हल निकाले । अन्यथा जंग जारी रहेगा।
छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिका संघ के संस्थापक और प्रान्तीय संयोजक और छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी देवेन्द्र कुमार पटेल बिलासपुर ने सर्मथन के साथ सभा में कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिकाओ से जब काम लिया जाता है तो सरकार उन्हे शासकीय कर्मचारी का दर्जा मानती है । .डयूटी मे इनके जाने का समय तो है , लेकिन आने का समय नही है । और दाम देने की बात आती है तो समाज सेविका बोल कर अपना हाथ खींच लेती है ।
वर्तमान मे कार्यकर्त्ता को केन्द्र और राज्य दोनो सरकार को मिलाकर 6500/-और सहायिका को 3225/- मानदेय प्रतिमाह दिया जाता है।आज के बढ़ती मंहगाई और काम के बोझ के अनुपात मे बहुत ही कम है । इसे जीने लायक वेतन किसी भी हालत मे नही कहा जा सकता।
यह भी कहा गया आगनबाड़ी कार्यकर्त्ता / सहायिकाये कोई नई मांग नही कर रही हैं । वर्तमान सरकार ने जो अपनी चुनावी घोषणा पत्र मे कहा है वही मांग कर रही है कि नर्सरी शिक्षक पर उन्नयन करो और कलेक्टर दर प्रदान करो……। जो सरकार द्वारा कहा गया है . लेकिन आज पांच दिन डेरा डाले हो जाने के बाद भी सरकार के कोई प्रतिनिधि हड़तालियो से बात करने नही आया और ना बुलाया गया ।समस्या निदान करने के बजाय संचालक द्वारा काम पर आने .केन्द्रो का चाबी सौपने जैसी बात कर दबाव बनाया ज़ा रहा है। .दमन की नीति अपनाई जा रही है । जो लोकतंत्र मे प्रजात्रिक तरिके आवाज को दबाने की कोशिश है ।
संघ प्रतिनिधियो ने यह चेताया है कि सरकार दमन की नीति छोड़े और वार्ता के माध्यम से समस्या का हल निकाले । दमन से ना कोई डरा है और ना अब डरेगा । जब हम स्वयम् कम मानदेय मे ना जी पा रहे है और मर पा रहे है …।हम मर मर कर जी रहे .हम समाज को पोषित कर रहे है लेकिन हम स्वयं कुपोषित.है ।
उक्त जानकारी सरिता पाठक प्रान्ताध्यक्ष रायपुर और रायपुर शहरी अध्यक्ष रूक्मणी साहू द्वारा प्रेस को दी गई ।