बिलासपुर–9 महीने बाद निगम की सामान्य सभा बैठक का आयोजन लखीराम आडोटोरियम में किया गया। बैठक में संस्पेंस, आरोप प्रत्यारोप, हंगामा का नजारा देखा गया। इस दौरान पार्षदों को सभापति समेत मेयर ने बहुत समझाने का प्रयास किया। बावजूद इसके कांग्रेस पार्षद ही रह रहकर मेयर से उलझते रहे। यद्यपि इस दौरान मेयर ने सभी कांग्रेस पार्षदों को भरपूर समझाने बुझाने का प्रयास किया। बावजूद इसके रह रह कर सत्ता पक्ष में बैठे कांग्रेसी अपने ही मेयर और सभापति से विपक्षियों की तरह पेश हुए।तमाशा उस समय देखने को मिला जब पार्षद रामा बघेल और मेयर के निर्देशों की अनदेखी कर नल बोर और पानी की समस्या को लेकर उलझ गए। और नाराज मेयर ने आपा खो दिया। उन्होने कहा कि इन्ही कारणों से उसका फोन नहीं उठाता हूं। और फिर रामा बघेल भी अपना आपा खो दिया।
फिर क्या था..बात चीत तू-तू मै मैं में बदल गयी। और नाराज मेयर ने बिलासपुर निगम इतिहास का पहला ऐसा कदम उठाया..जिसे लम्बे समय तक याद किया जाएगा। मेयर रामशरण यादव ने दस्तावेज उठाकर सदन का बहिष्कार कर बाहर चले गए। व्यवस्था को अव्यवस्था में बदलते देख सभापति को एक घण्टे के लिए बैठक को स्थगित करना पड़ा।एक घन्टे बाद सभापति ने आसन्दी से रामा बघेल को सदन की मर्यादा को तोड़ने के आरोप में एक घन्टे सदन से बाहरजाने का फरमान सुनाया। और रामा बघेल को बाहर जाना पड़ा।
सभापति ने कहा कि कुछ नए पार्षद अपनी गरिमा में रहकर अधिकारियों से बात करें। किसी अधिकारी को फोन पर गाली गलौच दिया जाएगा तो जाहिर सी बात है फोन नहीं उठाया जाएगा। पहली गलती होने के कारण नए पार्षदों को माफ किया जाता है। गाली गलौच आन रिकार्ड है।बताते चलें कि सामान्य सभा के पहले हाफ में सिरगिट्टी पार्षद रवि ने आरोप लगाया था कि अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं।