ग्रामीणों ने सरकारी स्कूल में जड़ा ताला,,,BEO को खबर नही,,डिप्टी कलेक्टर ने कहा,,जांच के बाद होगी कार्रवाई

BHASKAR MISHRA
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बलौदा बाजार,,, जिले में भाटापारा के ग्रामीण अंचल में ग्राम गोगिया में दो दिनों से प्राथमिक और मिडिल सरकारी स्कूल बंद है। ग्राम गोगिया के ग्रामीणों ने एसडीएम के पास पहुचकर हालात के विषय मे बताया,जहा पिछले दो दिनों से सरकारी स्कूल में ताला ग्राम वालो ने जड़ दिया है और बीईओ आफिस में अटैच शिक्षक की वापसी और स्कूल के बदहाली में सुधार के लिए अड़े हुए है।गाँव वालों ने कहा स्कूल में सैकड़ों बच्चे पढ़ते हैं पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है। शाला विकास समिति की सुनवाई है।

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        शिकायतों पर बीईओ ध्यान नही देते ।कतिपय उत्साही तत्व शाला में आकर अपना निजी मालिकाना हक जताते,शाला में उपद्रव आम है।अनेको बार बीईओ के के यदु को भेट,ज्ञापन देकर समस्याओं की जानकारी दी गई। इसके बाद बीईओ ने स्कूल के एक शिक्षक को भी अपने ऑफिस में जय हुजूरी में अटैच कर लिया है।मूल समस्या की जड़ जुगाड़ में टीचर को बीईओ में अटैचमेन्ट की है मालूम हो कि शासन से शिक्षकों की व्यवस्था की मनाही है मगर लगता है सिर्फ भाटापारा के बीईओ को ही इसके लिए स्कूल शिक्षा मंत्री ने अलग से अनुमति दी हुई है।जो अपने चहेतों को आफिस में अटैच कर गाँव के बच्चों से शिक्षा का हक चंन्द रुपयों के लिए बेधड़क मार रहे है ।

     हर बार शिकायत पर ग्रामीणों को समझा-बुझाकर वापस कर दिया जाता है,अपनी तरह का यह पहला मामला होगा जहां खंड शिक्षा अधिकारी कानों में रूई डालकर बैठे गए हो। इस विषय में हमने विकास खंड शिक्षा अधिकारी को फोन लगाया तो उन्होंने फोन उठाना भी उचित नहीं समझा, पता करने पर बताया गया कि साहब ट्रांसफर और पोस्टिंग आर्डर की रिलीविंग वालों के दस्तखत करने में देर रात तक बिजी रहे इसलिए गोगिया गाँव के बच्चो के सरकारी स्कूल में व्यवस्था के विरोध का ताला लगा रहेगा।विगत दिवस गाँव वालों ने गाँव मे सुनवाई के जिला कलेक्टर रजत बंसल और एसडीएम भाटापारा स्कूल का ताला खुलवा मांग की है। मालूम हो कि ग्राम वासियों में बीईओ की कार्यप्रणाली से काफी रोष है।

     गाँव के लोग तालाबंदी के बाद सड़को में चक्का जाम कर प्रदर्शन करने को मजबूर है। बहरहाल भाटापारा से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही स्कूल में गतिरोध बना हुआ है गांव वाले व्यवस्था में बीईओ में अटैच टीचर की वापसी के लिए, उस पर कार्रवाई के लिए लामबंद है। यह देखने वाली बात होगी कि आज जिला कलेक्टर खुद पहुंचकर ताला खुलवाते हैं या शिक्षा विभाग के नुमाइंदे लेकिन एक बार पुनः साबित हो गया आखिर सरकारी शिक्षा के असली हालात किस कदर बदतर है।

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