बिलासपुर— वन विकास और वनप्रबंधन समिति के अध्यक्ष और सैकड़ों लोगों ने वनमण्डलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया। समिति के सदस्यों ने आलाधिकारियों पर आठ महीने से वेतन लंबित रखने और प्रताड़ना का आरोप लगाया। कर्मचारियों ने बताया कि सोची समझी रणनीति के तहत डीएफओ और सीसीएफ कर्मचारियों को परेशान कर रहे हैं।
वन विभाग में कर्मचारियों को प्रताड़ित करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वन कर्मचारी संघ के बैनर तले आज वन सुरक्षा समितियों के अध्यक्ष और सैकड़ों वनकर्मियों ने डीएफओ कार्यालय का घेराव किया। आठ सूत्रीय मांग को लेकर नारेबाजी की | इस दौरान सीसीएफ और डीएफओ दोनो ही अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे।
वन कर्मचारी संघ के कर्मचारी नेता अजय कुमार शर्मा ने बताया कि विभाग के अालाधिकारी छोटे कर्मचारियों को प्रताड़ित करने का एक सूत्रीय फैसला किया है। छोटी छोटी बातों पर जांच का सहारा लेकर कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है। जाँच के बहाने व्यक्ति विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। समितियों को पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिला है। जिसके चलते लोग परेशान हैं। इसी बात को लेकर आज वन कर्मचारी संघ के बैनर तले समिति के सदस्यों ने डीएफओ कार्यालय का घेराव किया है।
अजय शर्मा और जितेन्द्र ने बताया कि अधिकारियों की तानाशाही ने समितियों की अच्छी खासी व्यवस्था को चौपट कर दिया है। बिलासपुर वनमण्डल में कुल 33 समितियां हैं। वनक्षेत्र गांवों के सभी घरों से एक पुरूष और एक महिला समिति के सदस्य होते हैं। समिति के सदस्य जंगल की तन,मन धन से रखवाली करते हैं। बावजूद इसके उन्हें शासन से निर्धारित मानदेय आठ महीने से नहीं मिला है। जिसके चलते परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत आ गयी है। जबकि समिति के खाते में सदस्यों की राशि आ चुकी है। बावजूद इसके डीएफओ देना नहीं चाहते हैं। इससे जाहिर होता है कि समिति की राशि को अधिकारी लोग या तो हड़प लिए है अथवा हड़पना चाहते हैं।
जितेन्द्र ने बताया कि आज समिति के सभी सदस्य डीएफओ से मिलकर समिति को खत्म करने की मांग करने आए है। लेकिन एक अधिकारी रायगढ़ दौरे पर है तो दूसरा कोटा में है। ऐसा जानबूझकर किया गया । जितेन्द्र और अजय ने बताया कि सीसीएफ और डीएफओ ने जब भी किसी कर्मचारी को परेशान करना चाहा…. स्तरहीन शिकायत पर जांच करने का आदेश जारी कर देते हैं। इतना ही नहीं एक ही शिकायत को एक ही संस्था से चार-चार बार करवाते हैं।
मेरे खिलाफ साजिश
जितेन्द्र ने बताया कि बांका बीट में मेरे खिलाफ चार पेड़ों की कटाई की शिकायत हुई है। उड़नदस्ता टीम ने तीन बार शिकायत की जांच की। सीसीएफ और डीएफओ को रिपोर्ट भी दिया गया। बावजूद इसके मुझे दोषी साबित करने के लिए चौथी बार जांच का आदेश दिया गया। मजेदार बात तो यह है कि हर बार वही लोग जांच करने जा रहे हैं जिन्होने पहले ही तीन बार जांच किया है। अधिकारी लोग जांच टीम पर मुझे फंसाने का दबाव बना रहे है। यदि मुझे बिना किसी कारणों के परेशान किया जाता रहा तो मेरे मौत के लिए डीएफओ और सीसीएफ जिम्मेदार होंगे।
समिति खत्म करने की गुजारिश
वन अधिकारियों की तानाशाही से परेशान वन समिति के सदस्यों ने समिति खत्म करने की मांग की है। समिति के सदस्यों ने बताया कि जंंगल के सबसे बड़े दुश्मन जंगल के बड़े अधिकारी हैं। चूंकि हम लोगों को वेतन भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में हम लोग खाली पेट काम नहीं कर सकते हैं। इसलिए आज हम लोग जंगल समिति की जिम्मेदारी से मुक्ति पाने वनमण्डलाधिकारी के कार्यालय आए हैं। चूंकि डीएफओ पैकरा शहर से बाहर हैं इसलिए लिखित पत्र उनके कार्यालय में छोड़ दिया है। यदि आठ महीने का लंंबित वेतन नहीं मिलता है। वे लोग जंगल समिति का काम खाली पेट नहीं करने वाले है। इससे बेहतर है कि समिति को ही खत्म कर दिया जाए। नाराज वनमंडल प्रबंध और वन समितियों के अध्यक्ष और सदस्यों ने डीएफओ और सीसीएफ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।