अलविदा बेटा दीपक !छत्तीसगढ़ के माटी के वीर सपूत, हमारी स्मृतियों में अमर रहोगे.शहीद दीपक भारद्वाज छत्तीसगढ़ के पुलिस का एक जांबाज अफसर ही नहीं था ,हमारे संगठन के परिवार का अहम सदस्य था ।एक माह पूर्व ही जांजगीर के कर्मचारी भवन उद्घाटन में मिलने आया था, यह आखिरी मुलाकात थी। बीजापुर में पोस्टिंग के दौरान हमेशा बातचीत होती थी और फोटो भी मुझे शेयर करता था।
दीपक मेरा धर्म पुत्र था और संबोधन में मुझे बड़े पापा बोलता था। नवोदय विद्यालय मल्हार मेरिट के आधार पर प्रवेश हुआ वहां की पढ़ाई करने के बाद मेरे प्रिय राधेलाल लाल भारद्वाज के साथ घर आया और बाप-बेटे दोनों ने तय किया कि मेरे संरक्षण में ही बिलासपुर में पढ़ाई करेगा। कर्मचारी भवन बिलासपुर में दीपक के लिए एक कमरा में रंगाई- पुताई करवा कर तैयार करवाया और सीएमडी कॉलेज में एडमिशन कराया । उच्च शिक्षा कर्मचारी भवन बिलासपुर में रहकर ग्रहण किया। पी एस सी की तैयारी भी यहीं रहकर करता रहा ।सुबह उठकर दौड़ लगाता, एक्सरसाइज करता, और फिटनेस के प्रति हमेशा जागरूक रहता था। इसी दौरान सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती का विज्ञापन आया पूछा बड़े पापा इसमें आवेदन कर दूं क्या?
मैंने कहा जरूर ट्राई करो और फिटनेस तो उसका जबरदस्त था रिटर्न में भी मेरिट में नाम आ गया। रायपुर में ट्रेनिंग करने पर भी लगातार संपर्क में रहा, राजनांदगांव में पहली पोस्टिंग हुई ।फिर वहां से ट्रांसफर में अंबिकापुर सूरजपुर जिले के विभिन्न थानों में पदस्थ रहा। एक मोटर दुर्घटना के प्रकरण में अंबिकापुर के हमारे लिपिक वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेंद्र पांडे को दीपक भारद्वाज थानेदार से मिलने की जरूरत पड़ी , उन्होंने यूनियन का परिचय दिया तो सबसे पहले मेरा नाम लेकर दीपक ने बताया कि वे मेरे बड़े पापा हैं। पांडे जी का प्रकरण निपटा दिया। पांडे जी दुविधा पूर्ण स्थिति में मुझे फोन किए कि थानेदार दीपक आपका क्या लगते हैं ,मैंने उन्हें बताया मेरा धर्म पुत्र है।बिलासपुर में स्टडी के दौरान लोकल गार्जियन में मेरा ही नाम सब जगह दर्ज करता था ।मैं भी भावनात्मक रूप से दीपक को एक पुत्र की तरह प्यार करता हूँ। दीपक की शहादत से उसके पिता के दर्द को तो मैं नहीं बांट सकता लेकिन मुझे ऐसा एहसास है कि मैंने अपना दूसरा पुत्र खो दिया है।
दीपक की शादी भी बहुत धूमधाम से मालखरौदा के पास पिहरीद गांव में हुआ । मेरे साथ बिलासपुर अध्यक्ष चंद्रा जी और पदाधिकारी साथी शादी मैं सम्मिलित हुए। राधेलाल और दीपक मुझे लेकर लड़की के परिवार में देखने मिलने जाते थे। शादी का अंतिम निर्णय भी मुझसे पूछ कर ही लिया। इस समाचार से मैं कई घंटों तक स्तब्ध रहा ।दीपक के पिता राधेलाल को फोन करने की साहस भी नहीं जुटा पाया हूँ। लेकिन सत्य को हमें स्वीकार करना होगा कि दीपक छत्तीसगढ़ की माटी के रक्षा के लिए शहीद हो गया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय संघ के मालखरौदा तहसील अध्यक्ष एवं सक्ति के शैक्षणिक जिला के अध्यक्ष श्री राधे लाल भारद्वाज के परिवार के दुख में संगठन सहभागी है और अपने इस वीर सपूत को सलाम करता है ।(पीआर यादव के फेसबुक पोस्ट से)