अन्यायः CGPSC में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी शासकीय सेवकों की उच्च आयु सीमा में कटौती- नये वर्ष का तोहफा या छूट की लूट?

Chief Editor
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रायपुर । नए साल की पूर्व संध्या पर बड़ी खबर है कि छत्तीसगढ़ सरकार सामान्य वर्ग के मूल निवासी छत्तीसगढ़िया शासकीय कर्मचारियों से बड़ा अधिकारी बनने के लिए परीक्षा दिलाने का हक छीन चुकी होगी।दरअसल यह मामला सीजीलोक सेवा आयोग की परीक्षा दे रहे शासकीय कर्मचारी के मूल निवासी होने से आयु सीमा में छूट की बजाय कटौती का है।बताया जा रहा है पीएससी द्वारा नियमों की गलत व्याख्या करने से छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी शासकीय सेवक 38 वर्ष की उच्च आयुसीमा के बाद परीक्षा नहीं दे पाएंगे । जबकि मूल निवासियों को 40 वर्ष की आयु तक बैठने की शासन के द्वारा अनुमति है और शासकीय सेवकों को 3 वर्ष की छूट दी जाती है । कुल मिलाकर 45 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। आयुसीमा में छूट की गुहार शासन प्रशासन और भर्ती एजेंसी के द्वारा अनसुनी किए जाने से जाहिर है प्रभावित वर्ग न्यायालय की शरण में भी जाने को तैयार है।लिहाज़ा विवादास्पद कार्यशैली के लिए देश भर में विख्यात छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग एक बार फ़िर चर्चा में है।

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टीचर्स एसोसिएशन के शिक्षक नेता आलोक पांडेय ने मामले पर मुख्यमंत्री से दखल की मांग करते हुए परीक्षा फार्म भरने की तिथि आगे बढ़ाने और छूट बहाल करने की मांग की है।उन्होंने कहा ज्यादा शिक्षित वर्ग शिक्षकों का है । सहायक शिक्षक से लेकर व्याख्याता तक ऐसे बहुत से शिक्षक हैं, जो लोक सेवा आयोग के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न पदों पर शिक्षक संवर्ग का मान बढ़ाये हुए हैं ।
मालूम हो छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के सचिव ने 22 दिसंबर 2021 को जारी सूचना पत्र में बताया कि छत्तीसगढ़ में मूल निवासियों को मिलने वाली छूट केवल शिक्षित बेरोजगारों के लिए हैं। प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रोहित तिवारी ने कहा सभी राज्यों में शासकीय सेवकों को 3 वर्ष या 5 वर्ष की अतिरिक्त छूट रहती है। कुल छूट 45 वर्ष की आयु तक रहती है। सीजीपीएससी का कार्यक्रम शुरू से विवादास्पद रहा है । व्यापम वह अन्य विभाग द्वारा हो रही परीक्षाओं में 43 वर्षों तक शामिल होने का स्पष्ट नियम उल्लेख है और सामान्य प्रशासन का 30-1/2019 सर्कुलर है। आयोग की इस गलती से हजारों छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी हमेशा के लिए 38 वर्ष की आयु के बाद परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे । जबकि मूल निवासी होने के कारण उनको 40 वर्ष की वैसे ही पात्रता है।रोहित तिवारी ने कहा हमारे अन्य साथी कर्मचारी जो सामान्य वर्ग से आते हैं वे भी परीक्षा देना चाह रहे हैं । लेकिन लोक सेवा आयोग अपनी ही चाल पर चल रहा है । नियमों की अलग-अलग व्याख्या की जा रही है । हमारी मुख्यमंत्री से मांग है की इस विषय पर तत्काल इस विसंगति को सुधारा जाए और लोक सेवा आयोग के परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि को बढ़ाया जाए।

अधिकारियों ने फोन उठाना किया बंद- पीएससी में अध्यक्ष से लेकर हेल्प डेस्क तक अधिकारी और कर्मचारी जारी फोन नंबरों पर बात भी नही करते। सारे नंबर एक साथ उपयोग में नहीं होना बताया जा रहे हैं । आयोग में जाने पर अटल नगर में कार्यालय शिफ्ट होना बताया गया है । लेकिन कोई भी दूरभाष नंबर जारी नहीं किए जाने से पीएससी से किसी भी मामले में संपर्क नहीं किया जा सकता। रहने को तो ऑफिस के खर्चे पर हर अधिकारी 2 से 4 मोबाइल चलाता है । मगर जनहित के मुद्दों पर अधिकारियों का फोन उठ जाए तो मानो जन्नत मिल गई।लोक सेवा आयोग की संवादहीनता और लकीर के फकीर वाली कार्यशैली से प्रतियोगीगण 20 साल से परेशान हैं। राज्य लोक सेवा आयोग के द्वारा कोई ऐसी परीक्षा आयोजित नहीं की गई है जो गैर विवादास्पद हो।

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