किसान आंदोलन में 8 को भारत बंद: कौन-कौन रहेगा साथ, क्या खुलेगा, क्या रहेगा बंद? जानिए

Shri Mi
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दिल्ली।Bharat Bandh 2020 Date: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 12वां दिन है। हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से जोड़ने वाली कई सड़कों पर डटे हुए हैं। सरकार और किसानों के बीच पाँच दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है। अब दोनों पक्ष छठे दौर की बातचीत के लिए बुधवार, 9 दिसंबर को मुलाक़ात करेंगे। इससे पहले किसानों ने मंगलवार, 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।हरियाणा-पंजाब के अलावा यूपी, दिल्ली, ओडिशा, उत्तराखंड, प. बंगाल, एमपी, राजस्थान व तमिलनाडु के किसानों ने भी समर्थन किया है।सीजीवाल न्यूज के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने यहां क्लिक कीजिए व रहे देश प्रदेश की खबरों से अपडेट

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टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन व दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट्स एसोसिएशन ने भी बंद का समर्थन किया। राजधानी दिल्ली में मंगलवार को आम लोगों को टैक्सी और ऑटो लेने में परेशानी हो सकती है, क्योंकि कई यूनियनों ने भारत बंद का समर्थन किया है। दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख संजय सम्राट के मुताबिक, उनके समेत कुछ अन्य टैक्सी संगठन आठ दिसंबर को भारत बंद में भागीदारी करेंगे और काम बंद रखेंगे।

कांग्रेस समेत 20 से ज्यादा विपक्षी दल भी समर्थन में हैं। इसके अलावा 10 ट्रेड यूनियन और पेट्रोल पंप एसोसिएशन भी समर्थन में आ गई हैं। ऐसे में 8 दिसंबर को पेट्रोल पंप भी बंद रहेंगे। किसान संगठनों ने रविवार को कुंडली बॉर्डर पर 3 घंटे बैठक कर रणनीति बनाई। झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन में शामिल झारखंड मुक्ति (JMM), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अलावा वाम दलों समेत विभिन्न गैर राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने भी बंद का समर्थन किया है, ऐसे में सड़क और रेल परिचालन को सामान्य बनाए रखना पुलिस-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी।

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, डीएमके चीफ़ एम के स्टालिन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के चीफ़ अखिलेश यादव, लेफ़्ट फ़्रंट के सीताराम येचुरी और डी राजा समेत भारत के 11 बड़े राजनेताओं ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है। किसान नेताओं ने कहा कि ये आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। बंद का समर्थन करने वालों को अपना झंडा छोड़ किसानों के बैनर तले आना चाहिए।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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