रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मचा घमासान इस बात का प्रमाण है कि ढाई-ढाई साल के फ़ार्मूले से लाख इंकार के बावज़ूद यह मुद्दा कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश सरकार के गले की फाँस बन चुका है और प्रदेश में सत्ता में आने के समय बंद कमरे में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष के तौर पर लिए गए अपने फ़ैसले का कोई समाधान अब राहुल गांधी के पास भी नहीं है और यही वज़ह है कि लगभग सप्ताहभर तक रायपुर से लेकर दिल्ली तक चली सत्ता के लिए रस्साकशी और घंटों की मेराथन बैठकों का अब भी कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया।
श्री कश्यप ने कहा कि ज़ाहिर है, नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कांग्रेस में उथल-पुथल का दौर कांग्रेस नेताओं के लाख इंकार के बावज़ूद थमता नज़र नहीं आ रहा है और कांग्रेस की इस अंदरूनी कलह के चलते प्रदेश की जनता को इसके दुष्परिणाम भोगने पड़ रहे हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि तीन-चार दिनों के सियासी घमासान और लगातार चली बैठकों के बाद भी अगर कांग्रेस नेतृत्व किसी ठोस नतीजे पर पहुँचने के बजाय यथास्थिति बनाए रखने विवश नज़र आ रहा है तो इसके मायने साफ़ हैं कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की अक्षमता के कारण यह स्थिति बनी है और छत्तीसगढ़ के सत्ता-संघर्ष का कोई समाधानकारक निर्णय नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की दुविधा पर कटाक्ष करते हुए श्री कश्यप ने सवाल किया कि दिल्ली में शक्ति-प्रदर्शन करके दबाव बनाने में लगे रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने कांग्रेस नेतृत्व कहीं ख़ुद को बौना महसूस तो नहीं कर रहा है?
क्या अस्थिर सरकार को एक पल भी सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार है? श्री कश्यप ने मुख्यमंत्री पद के दावेदार स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर भी तंज करते हुए कहा कि ‘वक़्त है बदलाव का’ नारा देकर जब ठगा जाता है, तब कितना दर्द होता है; मंत्री सिंहदेव आज शिद्दत से यह महसूस कर रहे होंगे। यही दर्द पिछले ढाई साल से छत्तीसगढ़ की जनता को टीस पहुँचा रहा है। आख़िर विधानसभा चुनाव के समय घोषणापत्र समिति का संयोजक होने के नाते उस राजनीतिक ठगी का दायित्व मंत्री सिंहदेव का भी उतना ही है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि सत्ता-लालसा से उपजा प्रदेश सरकार का विवाद सुलझ नहीं पाया है और जो पार्टी प्रदेश की सत्ता सम्हाल रही है, अगर वह अपने अंदरूनी झगड़े नहीं सुलझा पा रही है तो वह जनता की समस्याओं को कैसे सुलझाएगी? सत्ता-संघर्ष में उलझी कांग्रेस सरकार की आपसी कलह का ख़ामियाज़ा जनता को भुगतना पड़ रहा है क्योंकि कांग्रेस की राजनीतिक नौटंकी के कारण सारे काम बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। श्री कश्यप ने कहा कि प्रदेश में सत्ता का संघर्ष यह साबित कर रहा है कि कांग्रेस के सत्ताधीशों और नेताओं के लिए सत्ता ही महत्वपूर्ण है, जनता और उससे किए गए वादों को पूरा करना नहीं। ढाई-पौने तीन साल के अपने शासनकाल में प्रदेश सरकार ने एक भी जनकल्याणकारी योजना पर काम नहीं किया है, और शेष बचे कार्यकाल में भी कांग्रेस के नेता-सत्ताधीश आपस में इसी तरह लड़ते रहेंगे, आरोप लगाते रहेंगे और फिर दिल्ली-दरबार में विवाद सुलझाते रहेंगे लेकिन जनता के हित का कोई काम नहीं करेंगे। श्री कश्यप ने कहा कि कांग्रेस की इस अंतर्कलह के चलते कांग्रेस के सारे नेता अपने-अपने लोगों को ख़ुश करने में लगे हैं और जनता का हित उनके लिए कोई मायने नहीं रख रहा है।