CG NEWS:शिक्षकों की भर्ती और प्रमोशन से जुड़ा एक अहम् सवाल….! क्या पुरानी गलती फ़िर से दोहराने की तैयारी में है शिक्षा विभाग….  ?

Chief Editor
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CG NEWS:बिलासपुर  (मनीष जायसवाल) । पहले अंडा या पहले मुर्गी यह सवाल हमेशा जवाब की तलाश में रहा है। ऐसा ही एक सवाल प्रदेश के सरकारी शिक्षको के कैडर को लेकर उठा है……। पहले पदोन्नति या नई भर्ती ..! और विवाद का विषय  इसलिए भी है क्योंकि पदोन्नति का क्रम ऊपर से नीचे होना चाहिए। नीचे का क्रम यानी सहायक शिक्षक यह पद पूरी तरह सीधी भर्ती से भरा जाने वाला पद है। पूर्व की नई भर्ती और पदोन्नति में इस क्रम का ध्यान नहीं रखा गया। अब इसे फिर दोहराया जाने वाला है। पूर्व की सरकार ने नीचे के क्रम वाले सहायक शिक्षक संवर्ग और कुछ शिक्षक संवर्ग को पदोन्नत करते हुए बाकि के साथ सौतेला व्याहार किया । शासन की बेरुखी की वजह से व्याख्याता और प्राचार्य के पद पर पदोन्नति ही नही हुई है। पदोन्नति के दायरे में बड़ा वर्ग छूट गया। तीनों शिक्षक संवर्ग के करीब एक लाख से अधिक शिक्षको का संविलियन हुए पांच साल हो चुके है।बीते वर्ष प्राथमिक एचएम, मिडिल एचएम  और शिक्षक के पद पर पदोन्नति हुई है। इसके कई पदोन्नत पद अब भी रिक्त है। ताजा जानकारी कुछ ऐसी है कि 2023 में हुई भर्ती में शेष व्याख्याता पद की काउंसलिंग की तैयारी है। उधर  व्याख्याता पद पर नई भर्ती की भी तैयारी है। समस्या सुलझने की बजाय उलझने लगी है। क्योंकि कोई तय नीति नहीं है। शिक्षक भर्ती चुनावी लाभ और पोस्टिंग / पोस्टिंग खेल का हिस्सा बन के रह गई है।

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चुनावी वादा

लोकसभा चुनाव के पूर्व बेरोजगारो के लिए शिक्षक भर्ती की घोषणा की गई है। वही शिक्षको के लिए भी यह शासन स्तर पर एक अच्छी पहल है।जिसका लाभ प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था में दिखाई भी देगा। लेकिन बिना मेंनेजमेंट के इससे लाभ कम और हानि अधिक होने के आसार नज़र आ रहे हैं।बीते दिनों शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि 33 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही 22 हजार शिक्षकों के प्रमोशन की प्रकिया भी प्रारंभ हो चुकी है। पदोन्नति के लिए ग्रेडेशन की प्रारंभिक सूची जारी कर दी गई है। उन्होंने विधानसभा में शिक्षकों का प्रमोशन छह महीने में पूरा करने का ऐलान किया था। नई भर्ती के लिए अब वित्त विभाग के पास प्रपोजल भी दिया गया है। लेकिन यह सब बहुत जल्दीबाजी में हो रहा है। जबकि इसी विभाग में चतुर्थ श्रेणी के नियमित भृत्त्य के पदों की भर्ती दूर- दूर तक नही सुनाई दे रही है। मोदी की गारंटी वाला सहायक शिक्षक की वेतन विसंगति का मुद्दा भी आगे बढ़ता हुआ दिख नही रहा है।

सरल नियम

शिक्षक संवर्ग के लिए स्वीकृत पदों के विरुद्ध 50% पदों पर सीधी भर्ती और 50% पदों पर पदोन्नति के माध्यम से पद भरे जाने का नियम है। प्राथमिक स्कूल का प्रधान पाठक, मिडिल प्रधान पाठक और प्राचार्य ये तीनो पद पदोन्नति के पद होते है।वही सहायक शिक्षक का 100 प्रतिशत सीधी भर्ती का पद होता है। जबकि शिक्षक और व्याख्याता सीधी भर्ती और पदोन्नति दोनो से भरे जाते है।

विवाद पर शोध तो व्यवस्था पर निर्णय क्यों नही

 

पहले अंडा या पहले मुर्गी इसके रहस्य को सुलझाने के लिए ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार मीडिया रिपोर्ट की माने तो जानकारी निकल कर आई है कि आधुनिक पक्षियों और सरीसृपों के शुरुआती पूर्वजों ने अंडे देने के बजाय जीवित जीवो को जन्म दिया होगा। अर्थात धरती पर पहले अंडा नहीं… बल्कि मुर्गी / मुर्गा आए है। इसके लिए प्रमाण पेश किया गया है। लेकिन शिक्षकों के प्रमोशन के मामले में ऐसे किसी शोध या नतीजे की ख़बर अब तक नहीं है। लोकसभा चुनाव के पूर्व की शिक्षक भर्ती और शिक्षक पदोन्नति की घोषणा में सिस्टम फिर एक बार वही गलती करने जा रहा है, जो पिछली सरकार के दौरान की गई शिक्षक पदोन्नति और नियुक्ति में हुई है।

कोई कमेटी नहीं …! कोई रिपोर्ट नहीं..!  कोई ठोस नीति नहीं..! बड़ा सवाल यह भी है कि नई भर्ती नई शिक्षा नीति को ध्यान में रख कर की जा रही है या नही…? यदि नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा पांचवीं तक पढ़ाई स्थानीय भाषा में होती है तो नई भर्ती में बस्तर सरगुजा संभाग के लिए क्या नया नियम बनाया जाएगा। ऐसा लगता है कि सिर्फ आंकड़े के आधार पर अब शिक्षक पदोन्नति और भर्ती होने जा रही है।विषय बाध्यता यदि फिर से लागू हुई तो  संस्कृत ,हिन्दी, छत्तीसगढ़ी के विषय का विवाद अभी भी अबूझ रहा है। कॉमर्स को लेकर भी कोई नीति तय नहीं है। ऐसे ही अनसुलझे मामले हैं, जिसकी वजह से पूर्व में पदोन्नति मामला न्यायालय तक गया था। शिक्षको को सुविधाजनक स्थान नही मिल पाया। किसी ने पदोन्नति छोड़ी तो किसी ने संशोधन की राह पकड़ी। फिर मामला कोर्ट गया।

होना क्या होना चाहिए

चर्चा में यह बात उभर कर आई कि इस विषय पर कायदे से पहले प्राचार्य वर्ग की पदोन्नति तय मानक के हिसाब से उच्च पदों पर की जानी चाहिए.! फिर व्याख्याता पद की पदोन्नति प्राचार्य पद पर की जानी चाहिए..! उसके बाद शिक्षक पद की पदोन्नति व्याख्याता के पद पर की जानी चाहिए..! उसके बाद सहायक शिक्षकों की पदोन्नति शिक्षक के पद पर की जानी चाहिए..!  इसमें भी प्राथमिक स्कूल के हेड मास्टर के पद पर पदोन्नति और मिडिल स्कूल के हेड मास्टर के पद पर पदोन्नति भी होनी चाहिए। इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि 50% जो पद पदोन्नति से भर जाएंगे उन 50% पदों की भरपाई के लिए नई नियुक्ति कारगर साबित हो सकती है।

सबसे अधिक सहायक शिक्षक के पद पर भर्ती होगी। इसका लाभ ग्रामीण अंचल के परीक्षार्थियों को अधिक होगा। इसके साथ ही जो शिक्षक पंचायत विभाग में  सालो से एक ही स्कूल में सेवा दे रहे है। अपने निवास से दूर हैं, उन्हे घर के नज़दीक आने का मौका मिल सकता है। इसके अलावा नई भर्ती अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए।

पूर्व सरकार की भर्ती और पदोन्नति

पूर्व भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में पहले शिक्षकों के तीनो संवर्ग के लिए मार्च 2019 को 14580 पदों पर सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था।उसके बाद मई 2023 में 12489 शिक्षको की भर्ती की गई। जिसमे कुछ की बीते दिनों काउंसलिंग की प्रक्रिया हुई है और कुछ की होनी बाकी है।

इस भर्ती प्रक्रिया में व्याख्याता वर्ग को छोड़ कर बाकि के लिए विषय विशेषज्ञ की बाध्यता समाप्त कर दी गई।अब यही नियम पदोन्नति में भी लागू होंगे ..! ठीक इसी तरह छत्तीसगढ़ की पूर्व की भूपेश बघेल सरकार की केबिनेट ने शिक्षक एलबी संवर्ग को पदोन्नति में वन टाईम रिलैक्शेसन के तहत 5 वर्ष के नियम को शिथिल करते हुए 3 वर्ष किये जाने के निर्णय के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने सहायक शिक्षक एलबी को प्राथमिक स्कूल के प्रधानपाठक और शिक्षक के पद पर ,शिक्षक एलबी को मिडिल प्रधानपाठक और  के पद पर पदोन्नति का आदेश जारी किया और पदोन्नति हुई। अपुष्ट आंकड़ों के अनुसार प्रधानपाठक के लगभग इस दौरान 19161 और मिडिल स्कूल के प्रधानपाठक के 5618 पद रिक्त थे । भर्ती व पदोन्नति नियम 2019 में भी प्रधान पाठक प्राथमिक शाला के पद 100 फीसद पदोन्नति से ही भरा जाना था, जिसमे बड़ी संख्या में पूरे प्रदेश में सहायक शिक्षक एलबी संवर्ग की ही लगभग पदोन्नति हुई है। जिसमे व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हुई ही नहीं। इस पद के लिए सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाए गए। यह प्रक्रिया अभी लंबित है।

साय सरकार से उम्मीद

 

नई विष्णु देव साय की सरकार के कार्यकाल में 33 हजार शिक्षकों की सीधी भर्ती होगी और  22 हजार शिक्षकों की पदोन्नति यानी प्रमोशन होगा। सीधे सीधे 55 हजार लोग लाभान्वित होंगे। भविष्य में शिक्षक भर्ती और पदोन्नति के किस नियम किस अनुपात के मानक आधार पर होंगे।जिसमे बीते साल के कितने बैकलाग पद है तो वह शामिल होंगे इसमें भी प्रश्न चिन्ह है..!

पहले अंडा या पहले मुर्गी यह सवाल हमेशा विवादित ही रहेगा । भले ही खोज का विवरण देने वाला एक अध्ययन जर्नल नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित भी हुआ है। अब इस शोध में कितनी सच्चाई है और इसे कितना सही माना जाए यह कहा नहीं जा सकता लेकिन इस अंडे और मुर्गी के पहले आने पर शोध हो तो हुआ है रिपोर्ट तो बनी है,लेकिन ..? सरकारी शिक्षको के कैडर में उठा सवाल पहले पदोन्नति या नई भर्ती इसका तथ्यात्मक आंकड़ों के साथ अध्ययन जरूरी है । वरना जो होता आया है शायद आगे भी होता रहेगा । गांव के स्कूल फिर सूने ही रहेंगे और शहर और सड़क किनारे सुविधा जनक स्कूल शिक्षकों से भर ही रहेंगे। सालों से ग्रामीण अंचलों में सेवा दे रहा शिक्षक वही जूझता रहेगा और नया शायद मौज करेगा।

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