CG NEWS:बिलासपुर: (मनीष जायसवाल ) छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री की घोषणा करने में देरी हो रही है। जिसकी वजह से आम लोगों के बीच चर्चाओं में बिलासपुर , बस्तर और सरगुजा संभाग से मुख्यमंत्री बने इसको लेकर लोगों की उम्मीद बढ़नी शुरू हो गई है। जिसकी बड़ी वजह इन संभागों के नतीजे और यहाँ से जीत कर आये भाजपा के कद्दावर नेता है। इस बार ओबीसी या आदिवासी मुख्यमंत्री बन सकता है। इसे लेकर मीडिया में जो चर्चाएं हुई इससे इन दोनों वर्गों से आने वाले लोग अब यह मानसिकता बना चुके है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मीडिया के जरिये जो आम धरणा बनी है उसे वह कितनी संजीदगी से लेता है।
छत्तीसगढ़ एक आदिवासी और ओबीसी वर्ग का बाहुल्य प्रदेश है। यहां की 90 विधानसभा सीटों में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं।सरगुजा संभाग की 14 सीटों में से 9 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। इस वर्ग का प्रभाव इतना है कि सरगुजा की ही प्रेम नगर विधानसभा की सामान्य सीट से कांग्रेस और भाजपा दोनों आदिवासी समुदाय से तालुक रखने वाले प्रत्याशी रेणुका सिंह और खेल साय सिंह को इस चुनाव में आजमाया था।
ठीक ऐसे ही सरगुजा और बस्तर के मध्य बिलासपुर संभाग की 25 विधानसभा में से 5 विधानसभा और रायपुर दुर्ग संभाग की दो दो विधानसभा आदिवासी वर्ग के आरक्षित है। इसके अलावा इन तीनो संभाग में सबसे अधिक ओबीसी वर्ग के मतदाता है।बस्तर संभाग में कुल 12 सीटें हैं। जिनमें 11 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। यहां भी ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक है।
माना गया है कि सत्ता की चाबी इसी बस्तर क्षेत्र से आती है।इस संभाग के आदिवासी वर्ग के मतदाता जिस पार्टी को बहुमत देते है। उसकी सरकार बनने के आसार नजर आते है। चुनावी साल के शरुवात में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बस्तर में 13 अप्रैल को महिलाओं के सम्मेलन में शामिल हुई । राजनीतिक मायनो में उनका पहला बस्तर दौरा खास माना गया था।
ठीक ऐसे ही आचार सहिंता लगने के ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी बस्तर से ही चुनावी अभियान शुरू किया था। जिस पर सर्व आदिवासी समाज ने
एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध करते हुए तीन अक्टूबर को ही बस्तर बंद का आह्वान किया था और इस बंद को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया था।
विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री कौन बनेगा और मंत्री कौन बनेंगे इसे लेकर आम लोगों के बीच में चिंतन और चर्चाएं पहले उतनी नहीं होती थी।जितनी अब हो गई है। जिसकी वजह भाजपा के सीएम लेकर देरी और दूसरी बड़ी वजह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल है ..! इन्होंने ने कई महत्वपूर्ण पदों पर ओबीसी आदिवासी और छत्तीसगढ़िया व्यक्तिव को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर प्रदेश में छत्तीसगढ़िया को केंद्र बिंदु रख कर जो पारंपरिक तीज त्योहार, खान पान के अलावा ऐसी कई योजनाएं और नीतियां बना कर जो लकीर खींच दी है..! उस लकीर की वजह से उनकी लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर बढ़ गया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भारतीय जनता पार्टी उस लकीर के आगे जा पाती है ..! यह तो मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने के बाद ही तय होगा लेकिन यह तय है कि यदि इस माहौल में भाजपा ने आदिवासियों ओबीसी वर्ग की उपेक्षा की तो कांग्रेस के पास इस वर्ग को उपेक्षित करने का मुद्दा हमेशा रहेगा ही रहेगा। जिसका असर लोकसभा चुनाव में भी दिखाई दे सकता है।