शिक्षकों की वेतन विसंगति का सच – वेतन निर्धारण के समय कहां हो गई चूक …?

Shri Mi
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रायपुर। शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति पर राज्य सरकार पहली बार कोई बड़ा निर्णय लेगी ..! इस पर संशय बरकरार है क्योकि .. शासन ने एलबी संवर्ग के सहायक शिक्षकों के वेतनमान में विसंगति के परीक्षण के लिए अंतर विभागीय समिति का गठन कर दिया है। कमेटी सिर्फ सहायक शिक्षको के लिए बनी है। तो यह मान लिया जाए की संविलियन के बाद वर्ग दो के शिक्षक और वर्ग एक के व्याख्याताओ के वेतनमान में विसंगतियां नहीं है …. ? यदि है …! तो बाकी के शिक्षक संगठन चुप क्यों है ..!

विसंगतियां है तो ये कैसे उपजी है …! तीनो संवर्ग की वेतन विसंगति कैसे दूर होगी …! इन्हीं विषयों को लेकर सीजीवाल न्यूज़ ने मामले के जानकार शिक्षक संगठनों के प्रमुखों से चर्चा की इसी कड़ी में शिक्षक नेता कमलेश्वर सिंह ने बताते है। वाजिब हक लिए हर मोर्चे पर संघर्ष जारी है। आज ध्रुव कमेटी की भी चर्चा होनी चाहिए । वेतन विसंगति सहायक शिक्षको की ही नही एल्बी संवर्ग के तीनों वर्गों की समस्या है …! जिसकी बड़ी वजह वेतन निर्धारण करते समय नियमो की व्याख्या गलत तरीके से की गई है।

सीजीवाल को जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय महासचिव कमलेश्वर सिंह राजपूत ने बताया कि छ.ग. राज्य सरकार ने 2013 में 8 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण तिथि से शिक्षक (पंचायत /नगरीय निकय) संवर्ग के कर्मचारियों को शासकीय शिक्षकों के समतुल्य वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के की अनुसूची एक में अंकित सहायक शिक्षक वर्ग तीन शिक्षक शिक्षक वर्ग दो एवं व्याख्याता वर्ग एक को प्रदान की जा रही वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे क्रमशः

5200-20000+2400,
9300-34800+4200,
9300-34800+4300

प्रदान करने का आदेश जारी किया गया । परंतु वेतन निर्धारण करते समय शासकीय शिक्षकों के वेतन निर्धारण में प्रयुक्त नियमो का पालन नहीं किया गया ।

चर्चा में एक बात सामने आई कि स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय ही सारे फसाद की जड़ है। यदि यह गलतियों को सुधार के लिए कड़े रुख अपनाता तो आज यह नोबत नही आती कमलेश्वर सिंह का भी यही कहना है कि राज्य भर में स्थापित स्थानीय निधि संपरीक्षा के क्षेत्रीय उपसंचालक ने वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 08के तहत शिक्षक (पं/न नि) संवर्ग को नवनियुक्त कर्मचारी की श्रेणी में रखते हुए न्यूनतम में वेतन नियत कर दिया गया ….. ! जबकि विद्यमान मूल वेतन के आधार पर वेतन निर्धारण किया जाता है ..!

कमलेश्वर ने बताया कि छत्तीसगढ़ वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 7(क) के तहत जिस तिथि में वेतन निर्धारण किया जा रहा है उस तिथि में कर्मचारी के विद्यमान मूल वेतन को 1.86 से गुणा कर पुर्णांकित करते हुए उस पद का ग्रेड पे को जोड़कर वेतन निर्धारण किया जाना था ।सीजीवाल से वे आगे कहते है कि क्षेत्रीय कार्यालयों के उपसंचालक ने राज्य के मार्गदर्शन पत्र दिनांक 1.5.2013 की बिंदु क्रमांक 03 की गलत व्याख्या करते हुए 7 वर्ष में समयमान वेतन प्राप्त करने के फलस्वरूप 8 वर्ष की पूर्ण तिथि में वेतन प्राप्त कर रहे उच्च वेतन जैसे

सहायक शिक्षक (पं/न नि ) 5150 शिक्षक (पं/न नि) 6175
तथा व्याख्याता (पं /न नि) 7200
का वेतन प्राप्त कर रहा था …. ! इस वेतन उन्नयन को स्थानीय राज्य संपरीक्षा ने स्वयं सत्यापित कर दिया है उनका वेतन कम करके क्रमशः

सहायक शिक्षक का
4000 x 1.86=7440+2400
शिक्षक का
5000 x 1.86=9300+4200
व्याख्याता का
5500 x 1.86=10230+4300
में वेतन नियत कर दिया गया

चर्चा में आये कुछ मुख्य बिंदुओं को समझने से यही लगता है कि वेतन निर्धारण जो किया गया वह नही होना
कमलेश्वर का कहना है कि स्थानीय निधि राज्य संपरीक्षा उपसंचालक से सत्यापित 8 वर्ष की पूर्ण तिथि में प्राप्त कर रहे विद्यमान मूल वेतन सहायक शिक्षक (पं/न.नि) का 5150 x 1.86 =9580 +2400 =12380 तथा 10 वर्ष पूर्ण होने पर प्रथम क्रमोन्नत वेतनमान का उच्चतर ग्रेड पे 4200 से वेतन गणना कर वेतन वृद्धि करते हुए 2013 में वेतन निर्धारण करना था जो हुआ नही …!

इसी प्रकार शिक्षक (पं/न नि) का 8 वर्ष की पूर्ण तिथि में प्राप्त कर रहे विद्यमान मूल वेतन 6175 x 1.86=11490 +4200 = 15690 तथा 10 वर्ष सेवा पूर्ण तिथि में प्रथम क्रमोन्नत वेतनमान का उच्च ग्रेड पे 4400 वहीं होना था जो हुआ नही ।व्याख्याता (पं/न नि) के साथ भी ऐसा ही होना था उन का 8 वर्ष की पूर्ण तिथि में प्राप्त कर रहे विद्यमान मूल वेतन 7200 x 1.86=13400+4300 =17700 में वेतन निर्धारण करते हुए 10 वर्ष पूर्ण होने की तिथि में उच्च वेतनमान का ग्रेड पे 4800 में विधि सम्मत एवम् नियमो के तहत वेतन वेतन निर्धारण करना था ।
जो हुआ नही …!

शिक्षक नेता कमलेश्वर सीजीवाल को नियमो का हवाला देकर बताये है कि छत्तीसगढ़ वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 04 के तहत वेतन बैंड एवं ग्रेड पे ,नियम 09 के तहत प्रत्येक वर्ष वेतन बैंड एवं ग्रेड पे के योग का 3% वेतन वृद्धि नियम 10 के तहत प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को वार्षिक वेतन वृद्धि तथा नियम 13 के तहत पदोन्नति पद के वेतन के आधार पर पुनरीक्षित वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे दिया गया है तो नियम 7,नियम 11 एवं नियम 05 का पालन करते हुए वेतन निर्धारण क्यों नहीं किया गया …?

छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के नेता कमलेश्वर सिंह ने बताया कि स्थानीय निधि संघठन क्षेत्रीय कार्यालयों की उपंचालक राजनादगांव ने बिना उच्च कार्यालय वित्त विभाग के अनुमोदन के अपने पत्र क्रमांक 1997 दिनांक 21.11.2 014 को दिनांक 1.5.2013 की स्थिति में 8 वर्ष की पूर्ण तिथि में सहायक शिक्षक (पं/न नि) जो पुनरीक्षित वेतनमान 2007 के तहत 4600 तथा समयमान वेतन में उच्च वेतन 5150 प्राप्त कर रहा था।

उनका 4000 x 1.86=7440 में शिक्षक (पं/न नि) 2007 की पुनरीक्षण के फलस्वरूप 8, वर्ष पूर्ण तिथि में 5375 तथा समयमान वेतनमान में 6175 को 5000 x 1.86=9300 में तथा सहायक शिक्षक से पदोन्नत शिक्षक को जनिका 8 वर्ष में विद्यमान मूल वेतन है उनका भी 4500 x 1.86= 9300 में वेतन निर्धारण कर दिया गया है।

इसी प्रकार व्याख्याता (पं/न नि) का विद्यमान मूल वेतन पुनरीक्षित वेतनमान के तहत 8 वर्ष की पूर्ण तिथि में 6350 शिक्षक पद से पदोन्नत व्याख्याता(पं/न नि)का 5300 ,तथा समयमान वेतनमान के तहत विद्यमान मूल वेतन 7200 है तीनों का एक ही तिथि में 5500 x 1.86=10230 में वेतन निर्धारण तालिका जारी की है ।

कमलेश्वर ने यह स्पष्ट करते हुए बताया है कि सूचना के अधिकार के तहत उपसंचालक राजनादगांव ने अपने पत्र क्रमांक 489 दिनांक 12.6.2014 को यह जानकारी दी थी कि छ .ग.स्थानीय निधि संपरीक्षा की नियमावली के अध्याय तीन के सरल क्रमांक 9 के अनुसार उपसंचालक स्थानीय निकायों से प्राप्त वेतन निर्धारण प्रमाण पत्रों पर प्रतिहस्ताक्षर करेगा । इस कार्यालय द्वारा वेतन निर्धारण का कार्य नहीं किया जाता । वही उपसंचालक द्वारा दिनांक 21.11.2014 को वेतन निर्धारण की तालिका जिला पंचायत को क्यों प्रेषित किया ।

फार्मूला कितना असरदार–चर्चा में वेतन विसंगति दूर करने का यह भी एक उपाय उभर कर आ रहा है कि पूर्व विभाग कि सेवा को जोड़कर एक ही पद में 10 वर्ष में प्रथम 20 वर्ष में द्वितीय तथा 30 वर्ष में तृतीय समयमान वेतनमान में उच्चतर वेतनमान का वेतन बैंड एवं ग्रेड पे देने से होगी वेतन विसंगति होगी दूर हो सकती है …!

वाजिब हक के लिए आवाज

छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय महासचिव कमलेश्वर सिंह राजपूत ने वेतन विसंगति दूर करने लिए अपना सुझाव कमलप्रीत सिंह सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को रजिस्टर्ड पत्र के माध्यम से पूर्व विभाग की सेवा को जोड़कर एक ही पद में 10 वर्ष पूर्ण तिथि से प्रथम 20 वर्ष में द्वितीय तथा 30 वर्ष में तृतीय उच्चतर वेतनमान का वेतन बैंड एवं ग्रेड पे वेतन निर्धारण कर रिवाइज एल पी सी जारी करने की मांग की है तथा वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 7 का पालन करते हुए समयमान /क्रमोन्नति वेतनमान के आधार पर वेतन पुनरीक्षित कर वेतन विसंगति दूर करने हेतु समिति के समक्ष रखने की मांग की है ।

बनी थी एक ध्रुव कमेटी

शिक्षक कहते है कि प्रारम्भ से ही स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय द्वारा शिक्षा कर्मियों को नियमित कर्मचारी नहीं मानते हुए जानबूझकर आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है.…! वेतन विसंगति की ओर 2013 में ही तत्कालीन अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को अवगत कराया गया जिसके तहत ध्रुव कमेटी गठित करके विसंगति सुधारने का निर्देश दिया गया परन्तु ध्रुव कमेटी ने जान बूझकर अपना अभिमत देने में विलम्ब करते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया ।

कमेटी के तीन महीने और चुनाव

अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश का कितना प्रभाव पड़ता है । अंतरविभागीय समिति समस्त शिक्षक (एल बी) संवर्गो की वेतन विसंगति दूर करने हेतु कितना संवेदन शील है तीन महीने के भीतर विसंगति दूर करने अभिमत प्रस्तुत करती या अगले तीन माह का और समय लेकर 2023 के चुनाव पूर्व अपनी वादा पूरा करेंगे ।
( शिक्षकों की वेतन विसंगति को लेकर जानकारों से बातचीत का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा…)

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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