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Chhattisgarh में ग्रामीण उद्योग नीति बनाने की प्रक्रिया जल्द शुरू करने CM का निर्देश

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Chhattisgarh के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि के लिए नई उद्योग नीति की तर्ज पर जल्द ही ग्रामीण उद्योग नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। श्री बघेल आज अपने निवास कार्यालय मेें आयोजित कार्यक्रम में पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को गोबर क्रय तथा लाभांश राशि के आॅनलाईन वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यक्रय में 8 करोड़ 23 लाख रूपए की राशि ऑनलाइन जारी की।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रय को संबोधित करते हुए कहा कि गौठान से जुड़े रूरल इंडस्ट्रियल पार्क अधिकतर जगहों पर क्रियाशील हो रहे हैं। अब यह पूर्णरूप से कार्य करें उसके पहले हमें ग्रामीण उद्योग नीति बनाने की दिशा में कार्य करना होगा इसके लिए संबंधित विभाग जल्द प्रक्रिया पूर्ण करें। जिससे कि जब पूर्ण रूप से रूरल इंडस्ट्रियल पार्क कार्य करना प्रारंभ करेंगे तो इनसे जुड़े हितग्राहियों को बैंक से ऋण लेना तथा अन्य व्यवसाय शुरू करने में मदद मिल सके।

मुख्यमंत्री ने पशुपालकों सहित गौठान से जुड़े महिला समूहों को बधाई देते हुए कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि वे लगातार रिकाॅर्ड बना रहे हैं। 8.23 करोड़ के भुगतान के बाद यह आंकड़ा 403 करोड़ 58 लाख रूपए हो जाएगा। इसी प्रकार गोबर विक्रेताओं को 4.76 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद यह आंकड़ा 206 करोड़ 49 लाख रूपए हो जाएगा।

उन्होंने गोबर से बिजली उत्पादन के लिए शुरू की गई बिजली यूनिट पर खुशी जाहिर करते हुए, इन यूनिटों से उत्पादित बिजली को पाॅवर ग्रिड से जोड़ने और बिजली की कीमत तय करने के निर्देश दिए।

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मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि यह गर्व की बात है कि राज्य में अब तक 4927 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की जमा पूंजी से गोबर क्रय करने लगे हैं। अभी तक जो गौठान समूह जो दीया, वर्मी कम्पोस्ट इत्यादि बना रहे थे अब वे बिजली उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जो बिजली उत्पादन के लिए एमओयू किए गए थे, उनमें बेमेतरा और बस्तर की यूनिट जमीनी स्तर पर मूर्त रूप ले चुकी है। अब इसे उत्पादित बिजली को पावर ग्रिड से जोड़ने और इससे उत्पादित बिजली की कीमत तय करने का कार्य जल्द पूरा करें।

मुख्यमंत्री ने गोबर से पेंट बनाने की इकाई की समीक्षा करते हुए कहा कि यह खुशी की बात है कि 21 जिलों में 23 पेंट की इकाई प्रक्रियाधीन हैं, 13 ईकाई पूर्ण हो गई हैं। 17 हजार लीटर से अधिक पेंट का उत्पादन हो गया है और 22 लाख रूपए से अधिक की राशि की आय अर्जित की गई है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जल्द ही स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में बड़ी मात्रा में पेंट की आवश्यकता होगी अतः हमें मांग और पूर्ति में संतुलन बनाकर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन करना होगा ताकि सही समय में आवश्यकतानुसार पेंट की पूर्ति की जा सके।

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