निजी विश्वविद्यालयों को चिकित्सा पाठ्यक्रम शुरू करने से रोकने DME को कांग्रेस ने लिखी चिट्ठी

Shri Mi
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रायपुर। निजी नर्सिंग महाविद्यालय संगठन एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने चिकित्सा शिक्षा को निजी विश्वविद्यालयों को देने का विरोध किया है।साथ ही उच्च शिक्षा द्वारा चिकित्सा शिक्षा में नाजायज दखल का भी  विरोध किया।
डा. गुप्ता ने संचालक चिकित्सा शिक्षा को लिखे पत्र में कहा कि उच्च शिक्षा विभाग ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के नियम अधिनियम के प्रावधानों को दरकिनार कर निजी विश्वविद्यालयों द्वारा आयुर्वेद ध्स्वास्थ्य सेवायें एवं अलाइड साइंसेस / पैरामेडिकल / नर्सिग / फार्मेसी पाठ्यक्रम खोले जाने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है।इन सभी पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने के पूर्व राज्य शासन को पूर्व के नियमों को शिथिल करने के लिए अध्यादेश लागू करना पडेगा, किन्तु कुछ निजी विश्वविद्यालय अध्यादेश लागू होने के पूर्व ही आयुष विश्वविद्यालय के 2008 के एक्ट व राजपत्र के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अपने स्वयं के विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र के सभी पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जा रहे है।
जबकि भारत सरकार द्वारा प्रकाशित नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के पृष्ठ कमांक 47 में भी यह स्पष्ट उल्लेख है कि मेडिकल व लीगल पाठ्यक्रम संचालन की अनुमति निजी विश्वविद्यालय को नही होगी तथा छत्तीसगढ़ के  विधि एवं विधायी कार्य विभाग, रायपुर के प्रावधानों अनुसार छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2008 की धारा 06 (01)-(2) एवं (03) के अनुक्रम में प्रदेश के अन्य कोई संस्था, विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा से संबंधित किसी भी पाठ्यक्रमों का संचालन नहीं किया जा सकता है।. निजी विश्वविद्यालय अधिनियम छत्तीसगढ़ में 2005 में लागू हुआ तथा छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2008 में, इस अधिनियम के प्रारंभ होने के ठीक पूर्व राज्य में विद्यमान विश्वविद्यालय से संबंद्ध स्वास्थ्य विज्ञान की कोई संस्था आयुष विश्वविद्यालय के अधीन संबंद्ध मान्यता प्राप्त माने जाने का प्रावधान है।
आयुष विश्वविद्यालय को चिकित्सा संबंधी विषयों में पूर्ण एकाधिकार प्रदान किया गया है। निजी विश्वविद्यालय अधिनियम जो कि 2005 में प्रभावशील हुआ उसमें केवल संशोधन करके निजी विश्वविद्यालय को चिकित्सा शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
उच्च शिक्षा विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन के दो पृथक-पृथक विभाग है, जिनके अपने-अपने निर्धारित अधिकार क्षेत्र है और उनके द्वारा एक दूसरे के विषयों के बारे में नोटिफिकेशन जारी करना नियमानुसार सही नहीं है। राज्य में छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय विद्यमान एवं संचालित है, जो कि चिकित्सा क्षेत्र के सभी पाठ्यक्रमों का गुणवत्तापूर्ण सफल एवं सुचारू रूप से संचालन कर रहा है। निजी विश्वविद्यालयों द्वारा इस क्षेत्र के पाठ्यक्रम प्रारंभ करने से आयुष विश्वविद्यालय का औचित्य एवं अस्तित्व नहीं रह जाएगा तथा निजी विश्वविद्यालय द्वारा विशुद्ध रूप चिकित्सा क्षेत्र के पाठ्यक्रमों को व्यवसाय के रूप में संचालित करने की आशंका बनी रहेगी, जबकि स्वास्थ्य संबंधी पाठ्यक्रमों का संबंध शिक्षा पश्चात् सीधे आमजन के स्वास्थ्य से संबंधित है।उल्लेखनीय है कि राज्य में छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2008 (पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय) छत्तीसगढ़ राज्य में अप्रैल 2006 से प्रभावशील है।
इस विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा से संबंध आधुनिक चिकित्सा पद्धति दन्त चिकित्सा, आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी, नर्सिग, लोक स्वास्थ्य एवं अन्य पाठ्यक्रमों का संचालन, संबंद्धता, परीक्षा आयोजन एवं उपाधि प्रदान की जाती है। अधिनियम 2008 की उपरोक्ता धाराओं के अनुसार प्रदेश की अन्य कोई संस्था, विश्वविद्यालय या महाविद्यालय द्वारा उपरोक्त पाठ्यक्रमों का संचालन आयुष विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड की बैठक अक्टूबर 2022 के निर्णय क्रमांक 24 में छत्तीसगढ़ राज्य के निजी विश्वविद्यालय द्वारा स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र के पाठ्यक्रमों की अनापित्त प्रमाण पत्र की अनुमति नहीं दिये जाने का निर्णय लिया गया है।
ऐसे में आग्रह है कि चिकित्सा क्षेत्र के जिन पाठ्यक्रमों का संचालन छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है उन पाठ्यक्रमों को निजी विश्वविद्यालयो द्वारा संचालन करने की अनुमति कदापि नहीं दिया जाना चाहिए एवं उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस हेतु किए गए प्रावधानों संबंधी जारी राजपत्र   5 जुलाई, 2022 को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना उचित होगा।
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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