मोपका सरकारी कर्मचारी सोसायटी में जमकर हुआ भ्रष्टाचार का खेल…कलेक्टर तक पहुंची रिपोर्ट…समिति को भंग करने की सिफारिश..सदस्यों ने लगाई गुहार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-पिछले दिनों कलेक्टर आदेश पर मोपका सरकारी कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति की रिपोर्ट को दण्डाधिकारी अतुल वैष्णव ने कलेक्टर के सामने पेश कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में समिति को भंग करने की मांग की गयी है। साथ ही दोषियों के खिलाफ उचित एक्शन लेने का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मोपका सरकारी सोसायटी में जमकर भ्रष्टाचार होने की बात कही गयी है। इसके अलावा जरूरी दस्तावेज नहीं पाए जाने का भी जिक्र किया गया है।
सम्पूर्ण दस्तावेज का अभाव
बिलासपुर तहसीलदार दण्डाधिकारी अतुल वैष्णव ने मोपका सरकारी कर्मचारी गृह निर्माण समिति जांच रिपोर्ट कलेक्टर के सामने पेश कर दिया है। जांच रिपोर्ट में बिन्दुवार समिति की लापपवाही और भ्रष्टाचार के बारे  में विस्तार से बताया गया है। सूत्रों के अनसुा्र पेश किए गए रिपोर्ट में अधिगृहित जमीनो का खसरा, बी-1,नक्शा और  अन्य संबंधित भूअभिलेख गायब हैं। अथवा जानबूझकर समिति के सदस्यों ने पेश नहीं किया है। समिति के पास किसी भी कालोनी कालोनी का सत्यापित ले-आउट नहीं मिला है। इससे स्पष्ट होता है कि समिति के पास कालोनी प्लाट्स के भौतिक स्थिति की जानकारी ही नहीं है। जांच के दौरान पाया गया कि समिति के पदाधिकारी कब्जे में लिए गए जमीन की जानकारी देने में असमर्थ हैं। 
आडिट नहीं कराया गया 
समिति के सदस्यों ने कुछ सालों को छोड़कर ज्यादातर सालों का आडिट कराया ही नहीं है। संस्था के घोर लापरवाही को जाहिर करता है। इस दौरान यह भी पाया गया कि सरकारी कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति के पदाधिकारियो के पास कैश बुक, बैंक पास बुक भी नहीं है। मतलब वित्तीय मामलो में किसी भी प्रकार के लेन-देन का लेखा-जोखा नही है। जाहिर सी बात है कि जमकर भ्रष्टाचार का खेल हुआ है।
मनमर्जी से प्लाट की हुई बिक्री
सूत्रों की माने तो समिति के पास कालोनी ना तो कालोनी का लेआट है। और नियमानुसार प्लाट बिक्री के समय जानकारी का प्रकाशन ही कराया गया है।  कॉलोनी के आधारभूत संरचना के विकास में किसी प्रकार का काम नहीं हुआ है। समिति के पास सीमांकन रिपोर्ट भी नहीं है। ना ही कॉलोनी बसाहट को लेकर किसी प्रकार का दस्तावेज जांच के दौरान पेश किया गया है।
बिना प्रस्ताव किया गया काम
सूत्रों की माने तो रिपोर्ट में कार्यालय भवन के लिए अभी तक जमीन होना नहीं बताया गया है। जमीन किसे और कितनी जमीन दी गयी है इसकी भी जानकारी समिति के सदस्यों के पास नहीं है। जांच पड़ताल के दौरान संस्था के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने बताया कि कॉलोनी के प्लाट्स में बिना किसी प्रस्ताव के पेन्टिंग कराया गया है।
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने धमकाया
दण्डाधिकारी की रिपोर्ट में बताया गया है कि समिति के अध्यक्ष अशोक गोरख और उपाध्यक्ष संजय तिवारी के खिलाफ जमीन कब्जा को लेकर दर्जनों से अधिक भूमिस्वामियो ने शिकायत दर्ज कराया है। भूस्वामियों ने बताया है कि प्लाट्स को लेकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने ना केवल मानसिक रूप से प्रताडित किया है। बल्कि अवैध वसूली कर डराया धमकाया भी है।
समित भंग करने की सिफारिश
रिपोर्ट में बताया गया है कि समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ शिकायतो के साथ ही प्रमाणिक दस्तावेज नही होने की सूरत में कार्यकारणी को भंग किया जाना जरूरी है। साथ ही मामले में विस्तार से जांच की जरूरत है।
समिति अध्यक्ष ने बताया दस्तावेज पेश किया
मामले में समिति के अध्यक्ष अशोक गोरख ने बताया कि हमसे जो भी दस्तावेज मांगे गए हमने दिया है। अपने कार्यकाल में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होने दिया। कुछ जमीन माफिया लोगों को उकसाकर शिकायत करवा रहे हैं। ऐसे जमीन माफियों ने उनके कार्यकाल से पहले ही नियम खिलाफ एक से अधिक जमीन पर कब्जा किया है। किसी के पास से दस तो किसी के पास चालिस प्लाट है। जबकि यह सोसायटी अधिनियम के पुरी तरह खिलाफ है।  कलेक्टर से मिलकर हमने सारी जानकारियों को साझा किया है। अशोक गोरख ने बताया कि जमीन माफियों की जब दाल नहीं गली तो उन्होने साजिश कर लोगों को शिकायत के लिए मजबूर किया है।
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