जिला सहकारी बैंकः 80 लाख का घोटाला सिमटकर 14 लाख..बैंक प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध…जमानत का नहीं किया विरोध

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- जिला  सहकारी केन्द्रीय बैंक मंडी शाखा तोरवा में किसानो के करोडो रूपयों का घोटाला करीब तीन पहले  पहले सामने आया है। जांच पड़ताल के बाद रिपोर्ट भी पेश कर दिया गया। सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि घोटाला सिर्फ 80 लाख का नहीं बल्कि 2 करोड़ रूपयों से अधिक है। घोटाले में जांच करने वालों से लेकर बैंक में कार्यरत कई कर्मचारी हैं। यही कारण है कि जांच की जानकारी को अभी तक साझा नहीं किया गया है। मामले को लेकर प्रबंधन की तरफ से अभी तक कोई बयान भी सामने नहीं आया है। जानकारी मिल रही है कि लिखित में 80 लाख रूपए  डकारने की बात कबूल करने वाली महिला को अब सिर्फ 14 लाख रूपयों का घोटाला करना बताया जा रहा है। बात ना तो लोगों की और ना ही किसानों के गले से उतर रही है। 
धान मण्डी जिला सहकारी बैंक तोरवा शाखा से 80 लाख रूपये घोटाला की आग अब धीरे धीरे अब ठण्डे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है। घोटालाबाज महिला कंप्यूटर आपरेटर को बचाने के लिए केन्द्रीय सहकारी बैंक के पदाधिकारी और अधिकारियों ने पूरी ताकत झोंक दिया है।और वह सफल होते भी नजर आ रहे हैं।
बताते चलें कि करीब तीन पहले तोरवा धान मण्डी जिला सहकारी बैंक शाखा की महिला कंप्यूटर आपरेटर ने लिखित में कबूल किया कि उसने तीन दर्जन से अधिक किसानों के खाते से 80 लाख का घोटाला किया है। प्रबंधन की तरफ से थाना में 80 लाख रूपयों का घोटाला को लेकर एफआईआर भी दर्ज कराया गया। चालान पेश करते समय न्यायालय को सिर्फ 14 लाख रूपयों का घोटाला होना बताया गया। कोर्ट को गुमराह किया गया कि महिला ने 12 लाख 60 की राशि बैंक में जमा कर दिया है। बकाया राशि का भुगतान जल्द कर दिया जाएगा। सुनवाई के बाद न्यायालय ने महिला कंप्यूटर आपरेटर को जमानत रिहा कर दिया है। 
 
 
जमानत को नहीं किया विरोध
सूत्रों की माने तो जिला सहकारी बैंक प्रबंधन महिला आरोपी को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा है। जिला सहकारी बैंक ने चालान पेश होने के बाद महिला आरोपी के कबूलनामे की सच्चाई को कोर्ट के सामने नहीं रखा। और ना ही किसानों के हितों की रक्षा की दुहाई देने वाला केन्द्रीय सहकारी बैंक ने जमानत का विरोध ही किया। 
बताते चलें कि बैंक से 80 लाख का घोटाला को लेकर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक ने 6 सदस्यी जांच टीम का गठन किया था। सूत्र ने बताया कि जांच पड़ताल के दौरान घोटाला को लेकर ऐसा आंकड़ा सामने आया कि टीम के सदस्य ही हतप्रभ हो गए। नाम नहीं छापने की शर्त पर टीम के सदस्यों ने बताया कि घोटाला का आंकड़ा करीब दो  से ढाई करोड़ से अधिक का है।
 
 
किसानों में गहरी नाराजगी
बहरहाल किसानों में महिला की जमानत और सिर्फ 14 लाख का घोटाला बताए जाने को लेकर गहरी नाराजगी है। सवाल उठने लगा है कि सब कुछ जानते हुए भी बैंक के सामने जिला सहकारी बैंक ने गलत जानकारी क्यों दिया। कुछ किसानों ने बताया कि जिला सहकारी बैंक का रवैया हमेशा से कुछ ऐसा ही रहा है। पहले तो ताबड़तोड़ कार्रवाई का प्रदर्शन किया जाता है। बाद में सभी लोगों को बचाकर किसी दूसरे बैंक भेज दिया जाता है। क्योंकि अब से पहले ऐसे कई प्रकरण सामने आ चुके हैं। और बाद में हमने उसका परिणाम भी देखा है। मतलब सभी लोग पाक साफ हो जाते हैं।
 
 
खुश्बू को बचाने झोंकी ताकत
सूत्र ने बताया कि जिला सहकारी बैंक के सीईओ श्रीकांत चंद्राकर ने बंद कमरे में घोटालेबाज खुशबु शर्मा को बुलाकर पूछताछ किया था। इसके बाद महिला के खिलाफ 80 लाख रूपया घोटाला को लेकर एफआईआर दर्ज कराया। लेकिन कोर्ट में सहकारी केन्द्रीय बैंक प्रबंधन ने कंप्यूटर आपरेटर खुशबु शर्मा का बचाव करते हुए मात्र 14 लाख का घोटाला करना बताया। साथ ही कोर्ट को बताया कि खुशबु शर्मा ने 12 लाख  रूपया जमा कर दिया है। बाकी राशि का भी भुगतान जल्द कर देंगी।
 
 
80 लाख का घोटाला 14 लाख का जिक्र
सवाल उठता लाजिम है कि क्या 14 लाख का घोटाला कम होता है। सहकारी बैंक की तरफ से कोर्ट में जमानत दिए जाने को लेकर  विरोध करना चाहिए था। ताकि जमानत मिलने के बाद खुशबु शर्मा साक्ष्यो के साथ छेड़छाड़ ना कर सके। यह जानते हुए भी कि जांच टीम ने बैंक में करीब ढाई करोड़ रूपया का घोटाला होना बताया है। जिसे महज 14 लाख का घोटाला बताकर ना केवल खुश्बू शर्मा को बैंक प्रबंधन ने बचाने का प्रयास किया। बल्कि ढाई करोड़ रूपयों का घोटाला होने से भी इंकार किया है।
केन्द्रीय सहकारी बैंक के भूमिका संदिग्ध :-
80 लाख रूपया घोटाले की मुख्य आरोपी खुशुबू शर्मा की जमानत को  लेकर  जिला सहकारी बैंक को लेकर अधिकारियो की तरफ से विरोध किया जाना था। यह जानते हुए भी कि टीम ने 500 पेज के आरोप पत्र में 80 लाख के घोटाले का जिक्र किया था। जिसको लेकर बैंक के अधिकारियो को राशि के आकड़ो को लेकर न्यायालय के सामने आपत्ति करना करना था। लेकिन  बैंक ने कोर्ट में सही आंकड़ा पेश नहीं किया। 80 लाख के घोटाले को महज 14 लाख का बताया। जाहिर सी बात है कि घोटाले में बैंक कर्मचारियों की भूमिका बहुत ही संदिग्ध है। 
सदर सहकारी बैंक से जुड़े घोटाले
सूत्रों की माने तो जिला सहकारी बैंक का घोटालों को लेकर अपना अलग इतिहास है।देवेन्द्र पाण्डेय के समय कर्मचारी भर्ती घोटाला, सुतली घोटाला, तारपोलीन घोटाला लोगों को आज भी याद है। इस बार भी घोटाला जिला सहकारी बैंक के छत्रछाया में सदर सहकारी बैंक शाखा से हुआ है। शाखा में महिला आरोपी का पति शशांक शास्त्री भी कार्यरत है। शास्त्री ने ही सदर शाखा में 50 लाख रूपयों का हेरफेर किया। घोटाले का राज उजागर ना हो इसके लिए मंडी शाखा में पदस्थ अपनी पत्नी खुश्बु शर्मा से तोरवा शाखा बैंक से 50 लाख निकाल कर देने को कहा। खुश्बु शर्मा ने पति धर्म निभाते हुए तोरवा बैंक शाखा से राशि गबन कर अपने पति शशांक शास्त्री को दिया। शशांक शात्री ने सदर शाखा में हुए घोटाले की राशि की भरपाई तो कर दिया। इसी दौरान शाखा प्रबंधक की बदली  हो गयी। और फिर मामला सबके सामने आ गया। बावजूद इसके जिला सहकारी बैंक प्रबंधन अपने पुराने ढर्रे पर चलते हुए पहले तो तबाड़तोड़ कार्रवाई को अंजाम दिया। और अब बैंक परम्परा के अनुसार जमानत का विरोध नहीं करते हुए खुश्बू को क्लीन चिट देने की रणनीति में जुट गया है।
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