वन कर्मियों ने राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों से किया अमानवीय अत्याचार…राज्यपाल ने दिया जांच का आदेश…कुण्डली मारकर बैठा अमला..आदेश को दिखाया ठेंगा

BHASKAR MISHRA
4 Min Read

बिलासपुर—कोटा वन क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत कारका के आदिवासी क्षेत्र नकटाबांधा में तीन बैगा आदिवासियों के साथ अमानवीय अत्याचार किए जाने का मामला सामने आया है। राज्यपाल के आदेश पर वन मंत्रालय ने 20 मई को जांच का आदेश दिया। घटना 27 मई की है। शिकायत के करीब डेढ़ महीने के बाद भी राज्यपाल और मंत्रालय को वन विकास विभाग बिलासपुर ने अभी तक ना तो जांच किया है और ना ही जांच रिपोर्ट ही दिया है। बताया जा रहा है कि वन विकास अधिकारी अपने वनकर्मियों को बचाने  के लिए मंत्रालय और विभागीय  आदेश पत्र को ढंडे बस्ते में डाल दिया है। बात को लेकर आदिवासी समाज में गहरा आक्रोश है। क्

Join Our WhatsApp Group Join Now

 

या है मामला

जानकारी देते चलें कि कोटा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत कारका स्थित नकटाबांधा जंगल में बसा बैगा आदिवासी बहुल क्षेत्र है। वन विकास निगम को नकटाबांधा से करीब बीस किलोमीटर दूर तेन्दुआ बीट में एक भालू की मौत की जानकारी मिली। इसके बाद जांच पडताल करने वन विकास निगमकर्मी नवरंग और  भारद्वाज के अलावा दो अन्य 27 मई की शाम नकटाबांधा आदिवासी बहुल क्षेत्र पहुंचे। चारो ने मिलकर बिना किसी पूछताछ के राष्ट्रपति के तीन दत्तक बैगा पुत्रों को पकड़ा। तीनो को पूछताछ के लिए पकड़कर शिवतराई स्थित वन विभाग रेस्ट हाउस लाया गया। कर्मियों पूरी रात लूमन सिंह बैगा, वीर सिंह बैगा और रामसिंह बैगा के साथ अमानवीय अत्याचार किया। 

 वन विकास निगम कर्मचारी नवरंग, भारद्वाज और उसके दो अन्य साथियों ने इतना मारा कि तीनों के शरीर में गंभीर चोट पहुेंचेी। वन कर्मचारियों ने दबाव बनाया कि तेन्दुआ बीट में भालू की मौत का गुनाव कबूल करें। लेकिन तीनों ने झूठा आरोप कबूलने से इंकार किया। इसके बाद वन कर्मियों ने राष्ट्रपति के तीनों दत्तक पुत्रों को लेकर भैंसाझार नर्सरी लाए। वन कर्मियों ने पहले तो जमकर शराब का सेवन किया। इसके बाद राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों के साथ अमानवीय व्यवहार किया। 

 

राज्यपाल से शिकायत

आदिवासी नेता दीनू नेताम और संतराम ध्रुव की शिकायत पर राज्यापल ने मामले में जांच के लिए वन मंत्रालय को पत्र लिखा। राजभवन से मिले आदेश के बाद वन मंत्रालय ने 20 जून 2023 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पत्र लिखकर मामले में जांच  का निर्देश दिया।

पीसीसीएफ कार्यालय ने तत्काल एक पत्र वन विकास निगम बिलासपुर को लिखा। 27 मई को तीनों बैगाओं के साथ मारपीट और अमानवीय अत्याचार करे वाले कर्मियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया। साथ ही जांच रिपोर्ट भेजने को भी कहा। भालू की मौत पर भी जांच की बात कही।

 

दो महीना बीत गए..जांच शुरू नहीं

मजेदार बात है कि घटना को करीब दो महीने हो चुके हैं। डेढ़ महीने पहले राज्यपाल से बैगा आदिवासियों के साथ हुए मारपीट की शिकायत हुई। आज तक वन विकास निगम ने जांच तो दूर..बल्कि मंत्रालय के पत्र का किसी को हवा नहीं लगने दिया है। 

चारो कर्मचारी अधिकारी पसंद

मारपीट की घटना में शामिल नवरंग और भारद्वाज समेत अन्य दोनो कर्मचारी मौज काट रहे है। जाहिर सी बात है कि चारो कर्मचारी अधिकारी पसंद हैं। ऐसे में जांच का सवाल ही नहीं उठता  है। लेकिन सवाल यह जरूर उठता है कि राष्ट्रपति के तीनों दत्तक पुत्रों को न्याय मिलेगा भी की नहीं।

 जांच को दिखाया ढेंगा

बहरहाल मामला ढण्डे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है। मतलब राज्यपाल या सरकार के सचिव का वन विकास को भेजा गया अधिकारी के लिए कोई मायने नही  रखता है। लेकिन आदिवासियों का आक्रोश जरूर बढ़ता जा रहा है।

close