बिलासपुर—छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सहायक प्राध्यपकों स्टायपेन्ड और प्रोबेशन नियमों पर दी गयी चुनौती याचिका को कबूल करते हुए नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने उत्तरवादियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति संजय जयसवाल की पीठ ने विभिन्न सहायक प्राध्यापकों की तरफ से अधिवक्ता रोहित शर्मा ने याचिका दायर किया है। याचिका के माध्यम से सहायक प्राध्यापकों ने अधिरोपित 70, 80 और 90 प्रतिशत स्टायपेन्ड के अलावा 3 वर्षीय प्रोबेशन नियम को चुनौती दी है। सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार कर उत्तर वादियों को जवाब पेश करने को कहा है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ अधिवक्ता रोहित शर्मा ने बताया कि भारतीय संविधान के 42 वें संसोधन 1977 के अनुसार इन विषयों पर यदि संसद नियम बनाता है, तो ऐसा नियम राज्य की विधानसभा में बनाए गए नियमों को प्रभावित करता है तो नियम भारत की संसद से बनाए गए नियमों के विपरीत होगा।
रोहित ने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उच्च शिक्षा हेतु विभिन्न विनियमन प्रतिपादित करता है। नियम राज्य के ऊपर बंधनकारी होगा। इसलिए 70 80 और 90 प्रतिशत स्टाइपेंड दिए जाने का प्रावधान सहायक प्राध्यापकों पर लागू नहीं होता है। सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने उ4 सप्ताह के भीतर उत्तरवादियों को जवाब पेश करने को कहा है। याचिका विभिन्न सहायक प्राध्यापकों की तरफ से शासन से जा स्टाइपेंड और 3 वर्षीय प्रोबेशन नियम को चुनौती दी गयी है।