एवीएम में डॉ.कुट्टी ने बताया…कथकली का इतिहास…डॉ. अजय ने बताया….क्यों जरूरी भाव भंगिमा, कास्ट्यूम और कथानक

BHASKAR MISHRA
3 Min Read
बिलासपुर—कोनी स्थित आधारशिला विद्या मंदिर में अंतर्राष्ट्रीय कथकली कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम पेश किया। प्रबंधन ने बताया कि कार्यक्रम आयोजन का मूल मंत्र नयी पीढ़ी को भारत और भारतीय संस्कृति से परिचित कराना है। विद्यालय के संचालक अजय श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम में पेश किए गए विश्व प्रसिद्ध कथकली नृत्य का लोगों ने जमकर आनंद उठाया।
कथकली के सुप्रसिद्ध कलाकार डॉ सदनं कृष्णन कुट्टी और टीम का विद्यालय के चैयरमैन डॉ. अजय श्रीवास्तव को सर्वप्रथम सम्मान के साथ आदरभाव जाहिर किया। डॉ.अजय श्रीवास्तव, एस. के.जनास्वामी और प्राचार्या जी.आर.मधुलिका ने परंपरा अनुसार अतिथियों का सत्कार किया।
डॉ.कृष्णन कुट्टी ने कथकली पेश करने से पहले उपस्थित सभी लोगों को  नृत्य की भाव भंगिमाओं के बारे में बताया। ताकि दर्शकों को कथकली के उद्देश्य और कथानक को समझने में आसानी हो। नौ रसों को मुख मुद्राओं के माध्यम से भावों को समझने और समझाने का गुर सिखया।
 डॉ.कुट्टी की प्रस्तुति को उपस्थित छात्रों ने जमकर पसंद किया। नृत्य के साथ ही कुट्टी ने लोगों के सवालों का जवाब भी दिया। डॉ.कृष्णन की प्रस्तुति को देखते ही सभी लोग भावविभोर हो गए।
 विद्यालय के डायरेक्टर ने बताया कि दुनिया में कथकली की भव्यता प्रस्तुति और कथन को सर्वाधिक पसंद किया जाता है। हमें गर्व है कि महान नृत्य कला शैली का जन्म 300 साल से भी अधिक पहले केरल में हुआ। इसमें भक्ति, नाटकीयता, नृत्य, संगीत, वेशभूषा और श्रृंगार के समन्वय से दर्शकों के लिए एक दैवी अनुभव का सृजन होता है। नृत्य में अतीत की कहानियां को बयान होता है। खासकर भारतीय महाकाव्यों का जिक्र होता है। इसमें होठों का कंपन, आंखों की भंगिमाएं या उंगलियों की मदद से बनाई गई मुद्राएं बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। संपूर्ण प्रदर्शन…दर्शकों को शुरू से अंत तक बांध कर रखता है। 
कथकली सम्राट डॉ. कुट्टी ने बताया कि वेशभूषा  भव्य, रंगीन और विविधतापूर्ण होती है। चेहरे पर अनेक तरह के रंग लगाए जाते हैं। मेक-अप पांच प्रकार के होते हैं । इनके नाम पच्चा, कत्ती, ताडी, करि और मिनुक्क है। 
कार्यक्रम का संचालन स्कूल कोआडिनेटर जोशी जोश ने किया।  गुरदीश कौर, नीतीश गुप्ता, उर्वशी गुप्ता, सत्यनारायण  इस अपना योगदान दिया। मंच संचालन की जिम्मेदारी को अन्नया दास और रजनी सिंह ने निभाया। विद्यालय के चेयरमैन और स्पिकमैके स्टेट कोआडिनेटर डॉ. अजय श्रीवास्तव ने भारत की मिट्टी से जुड़ी कलाओं को असली धरोहर और पहचान बताया। हम सबको भारतीय होने पर गर्व है। कार्यक्रम में विद्यालय के समस्त शिक्षकगण उपस्थित रहे।
close