बिलासपुर।हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस गौतम चैरड़ीया की खण्डपीठ ने गुरुवार को बिलासपुर और रायपुर नगर निगमों की निर्वाचित संस्थाओं के अधिकारों को हड़प कर स्मार्ट सिटी कम्पनियों द्वारा कार्य करने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई। आज की सुनवाई में स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने नये प्रोजेक्ट को अनुमति देने की मांग की और याचिका को खारिज करने कहा।मुकल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि अधिवक्ता विनय दूबे द्वारा लगाई गई यह जनहित याचिका चलने योग्य नहीं है क्योकि इसमें निर्वाचित व्यक्तियों को स्मार्ट सिटी कम्पनी के बोर्ड आॅफ डायरेक्टर में शामिल करने की मांग की गई है जबकि ऐसी मांग वे स्वयं याचिका लगा कर सकते थे। इसके साथ ही रोहतगी ने सभी स्मार्ट सिटी कार्यो को जनहित में बताया और कहा कि इन्हें तुरंत अनुमति दी जाये क्योंकि 31 मार्च के बाद केन्द्र सरकार यह पैसे वापस ले लेगी।
इसके जवाब में याचिकाकर्ता के वकील सुदीप श्रीवास्तव ने खण्डपीठ को बताया कि प्रकरण इतना सामान्य नही है जिस तरह से माननीय वरिष्ठ अधिवक्ता ने प्रस्तुत किया है। उदाहरण देते हुये श्रीवास्तव ने बताया कि मेयर इन काॅन्सिल शहर सरकार की कैबिनेट होती है। अगर आज इसके अधिकार अधिकारियों की बनी हुई कम्पनी के द्वारा किये जाने जाने की अनुमति दी जायेगी तो कल को राज्य और केन्द्र सरकार के केबिनेट की शक्तियाॅ भी किसी सरकारी कम्पनी के हवाले की जा सकती है। यह व्यवस्था भारतीय संविधान के मूल आधार प्रजातांत्रिक सरकार का खुला उल्लंघन है।
बहस में आगे बताया गया कि केन्द्र सरकार के शपथ पत्र में स्वयं यह बात स्वीकार की गई है कि स्मार्ट सिटी कम्पनी वही प्रोजेक्ट ले सकती है, जो नगर निगम उसे करने के लिये कहे। इसी तरह नगर निगम 50 प्रतिशत मालिक होने के कारण बोर्ड आॅफ डायरेक्टर में 50 प्रतिशत व्यक्ति रखने का अधिकारी है। एक अधिवक्ता इसलिये जनहित याचिका दायर कर सकता है क्योंकि निर्वाचित संस्थाओं के अधिकार की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है।
समय समाप्त हो जाने के कारण आज अन्य पक्षों की ओर से बहस नहीं हो सकी वही राज्य और केन्द्र सरकार ने याचिका का विरोध करने की बात कही। कल रायपुर और बिलासपुर नगर निगम के मेयर इन काॅन्सिल और सामान्य सभा के अधिवक्ता अपना पक्ष रखेंगे।गौरतलब है कि बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी द्वारा दाखिल जनहित याचिका में बिलासपुर और रायपुर नगर में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि इन्होंने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है। जबकि ये सभी कम्पनियाॅ विकास के वही कार्य कर रही है जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है। विगत 5 वर्षो में कराये गये कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम, मेयर, मेयर इन काॅन्सिल या सामान्य सभा से नहीं ली गयी है।