सिर्फ नाम बदला है…काम नहीं…प्राचार्या ने कहा…शिक्षकों को अपना समग्र देना होगा…श्रेष्ठ शिक्षक,शिक्षिका को किया सम्मानित

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—पंडित रामदुलारे दुबे शासकीय बालक उच्यतर माध्यमिक विद्यालय सरकंडा बिलासपुर में कक्षा  बारहवीं के  छात्रों के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में  विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर शिक्षकों समेत सभी छात्र छात्राओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। शाला प्राचार्य  निशा तिवारी ने विद्यार्थियों के उज्ज्वल और  सुखद भविष्य की कामना की। व्याख्याता  बसंत प्रताप सिंह ने विद्यार्थियों के भावी जीवन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी है।
पंडित रामदुलारे दुबे शासकीय बालक उच्चत्तर माध्यमिक विध्यालय में विशेष कार्यक्रम आयोजित कर जूनियर छात्र छात्राओं ने 12 के छात्रों को विदाई देकर सम्मानित किया है। कक्षा ग्यारहवीं के विद्यार्थियों ने बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को उपहार दिया। ग्यारहवीं के विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रम पेश कर सभी दिल भी जीता। विद्यालय के व्याख्याता विवेक दुबे ने अपने उद्बोधन में बारहवीं कक्षा के छत्रों को शुभकामनाए दी। उन्होने कहा कि सभी विद्यार्थी अलग अलग क्षेत्रों में पढ़ाई कर अपने जीवन के लक्ष्य को हासिल करेंगे। विद्यार्थी उच्चतर शिक्षा ग्रहण कर स्कूल और माता-पिता का नाम रोशन करेंगे।
इस दौरान परम्परारनुसार विद्यालय की तरफ से वर्ष के श्रेष्ठ शिक्षक के लिए अमित कुमार नामदेव को भी सम्मानित किया गया। श्रेष्ठ  शिक्षिका के लिए उषा उपाध्याय को सम्मानित किया गया। प्राचार्य निशा तिवारी ने शिक्षकों की स्मृति चिन्ह दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आदर्श शिक्षक वह होता है जो अपनी क्षमता को साकार करते हुए विद्यार्तियों को अधिकतम देता है।  महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान रखते हुए, प्राचीनकाल से ही शिक्षकों को हमारे समाज में विशेष स्थान हासिल है। शिक्षकों  प्राचीन ग्रंथों में आचार्य से संबोधित किया जाता था। आचार्च भावी पीढ़ियों में अच्छे आचरण और संस्कारों का समावेश करते थे। बेशक आज आचार्य को शिक्षक कहा जाता है। शिक्षक आज वही काम कर रहे हैं जो कभी आचार्य किया करते थे। प्राचार्य ने दुहराया कि केवल ज्ञान और प्रशिक्षण ही नहीं शिक्षकों से उम्मीद है कि परंपरागत मूल्य भी बच्चों को प्रदान करें। जो हमारी सदियों पुरानी सभ्यता का आधार है।
कार्यक्रम का सफल संचालन विद्यालय के व्याख्याता राजेन्द्र शर्मा ने किया। इस दौरान सुशील डहरिया,अर्चना दुबे, शैल कश्यप, अर्चना शुक्ला, ओनालिसा संत की विशेष उपस्थिति रही।

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