मोदी सरकार के खिलाफ RSS किसान विंग ने फोड़ा बम.. चन्द्रवंशी ने कहा..लाखों किसान..लगाएंगे दिल्ली में हुंकार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—हमारे लिए किसानों का हित संगठन से ऊपर है। भारतीय किसान संघ के बैनर तले दिल्ली स्थित रामलीला मैदान मेें किसान गर्जना रैली करेंगे। रैली में प्रदेश समेत देश के कोने कोने से लाखों किसान पहुंचेंगे। छत्तीसगढ से करीब 2 हजार से अधिक किसान देश के लाखों किसानों के साथ अपनी आवाज बुलन्द करेंगे। केन्द्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों को भी किसान हित में लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देना होगा। यह बातें प्रदेश भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष सुरेश चन्द्रवंशी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कही। चन्द्रवंशी ने बताया कि गर्जना रैली का आयोजन 19 दिसम्बर को को रामलीला मैदान में किया जाएगा।
 
                    प्रदेश भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष सुरेश चन्द्रवंशी ने बताया कि आजादी के बाद कमोबेश सभी लोगों का तेजी से विकास हुआ। विकास के दौड़ में भारतीय किसान आज भी तुलनात्मक रूप से 75 साल पीछे ही खड़ा है। सरकारों ने योजना बनाते समय किसानों के साथ हमेशा छल ही किया है। आज तक किसानों को सिर्फ आश्वासन का लालीपाप ही थमाया गया है।
 
                सुरेश चंद्रवंशी ने बताया की लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य और अन्य मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ 19 दिसंबर को दिल्ली में अपनी ताकत दिखाएंगे। उन्होने दुहराया कि किसान देश का पेट तो भरता है। लेकिन सरकारों की गलत नीतियों के कारण परिवार के साथ आधा पेट सोने को मजबूर है।  
 
                           चन्द्रवंशी ने कहा कि सरकार कि जिम्मेदारी है कि किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य का भुगतान करे। जिस तरह उद्योग में बनने वाले उत्पाद में पूंजी निवेश शामिल रहता है। भूमि, भवन, मशीनें, कच्चा माल के बाद कर्मचारियों का वेतन और कार्यकारी मंडल का वेतन..कार्यकारी मंडल ही निर्धारित करता है। हम सभी जानते हैं कि गणना करोड़ों में होता है। इसमें सरकार का हस्तक्षेप भी नहीं होता।लेकिन किसानों के साथ ऐसा कुछ भी नही है।
 
              जबकि किसान के फसल का लागत मूल्य निकालते समय भूमि का किराया नहीं जोड़ा जाता। किसान का पूंजी निवेश भी शामिल नहीं जोड़ा जाता है। उदारण के तौर पर धान की फसल  140 दिन में तैयार होती है। लागत निकालते समय किसान को केवल 40 दिन की मजदूरी दी जाती है। मजदूरी का भुगतान अकुशल श्रमिक के रूप में होता है। जबकि किसान 140 दिन अपने खेत जाता है। फसल उत्पादन को लेकर आवश्यकतानुसार नए नए प्रयोग करता है। ऐसे में किसानों की मजदूरी को अकुशल श्रेणी में रखा जाना तर्कसंगत नहीं है। यह जानते हुए भी कि कृषक कार्य में किसानों के घर के सदस्य भी मजदूरी करते हैं। लेकिन उन्हें लागत उत्पाद मूल्य में शामिल नहीं किया जाता है।
 
              अधुरी गणना कर फसलों का लागत मूल्य निकाला जाना किसानों के साथ छल है। भारतीय किसान संघ स्थापना काल से ही फसल का मूल्यांकन…लागत मूल्य के आधार पर किए जाने की मांग करता रहा है। आज भी भारत के किसानों को महंगाई के हिसाब से फसलों का मूल्य नहीं दिया जाता है। किसान संघ की मांग है कि आदान पर लगने वाला जीएसटी समाप्त किया जाए। क्योंकि किसान उत्पादक होता है। जाहिर सी बात है कि इसका लाभ किसानों को नहीं मिलता है।
 
                        सुरेश चन्द्रवंशी ने एक सवाल के जवाब में बताया कि देश की सरकारी संस्था जीईएसी शोध के बाद ट्रायल की अनुमति देता है। लेकिन धरातल पर ऐसा होता कभी दिखाई नहीं दिया। किसी भी नई फसल का उत्पादन ट्रायल शोध के पहले शुरू हो जाता है। इससे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। हमारी मांग है कि ट्रायल की प्रक्रिया को शोध परिणाम आने के बाद ही किया जाए।
 
                           एक सवाल के जवाब में प्रदेश भारतीय किसान संघ अध्यक्ष ने बताया कि आरएसएस मातृ संगठन है। लेकिन हमारे लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। केन्द्र या राज्य मे चाहे भाजपा सरकार हो या किसी अन्य पार्टी की सरकार। हमने हमेशा किसान हित में संघर्ष किया है और करते रहेेंगे। केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ गर्जना रैली कर किसानों की आवाज को बुलन्द करेंगे।   
 
                  पत्रकार वार्ता में प्रदेश भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष सुरेश चंद्रवंशी समेत प्रदेश महामंत्री नवीन शेष , गजानन दिघरस्कर प्रान्त प्रचार प्रमुख और बिलासपुर जिलाध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे , हेमंत सोनू तिवारी माधोसिंह , महेश यादव उपस्थित थे ।
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