उस दिन ‘रमन सिंह’ जिंदाबाद …और इस दिन ‘भूपेश बघेल’ जिंदाबाद.. की गूंज..! लोग वही..सवाल वही- क्या शिक्षाकर्मियों को मिल गईं सभी सरकारी सुविधाएं…?

Chief Editor
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रायपुर(मनीष जायसवाल) पुरानी पेंशन बहाली के निर्णय के बाद सर्व शिक्षक पंचायत सचिव मंच के बेनर तले 12 कर्मचारी संगठनों ने आज दिल खोल कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अभिनन्दन किया राजधानी रायपुर का बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम कई सालों के बाद फिर शिक्षको की ओर से आयोजित एक आभार अभिनन्दन समारोह के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा। फर्क इतना था कि बस नारे बदल गए कभी रमन सिंह ज़िंदाबाद हुए थे तो अब भूपेश बघेल जिंदाबाद हुए है। नारों की गूंज यह भी बयँ करती हुई लगी कि लोकतंत्र में सत्ता कभी किसी की स्थाई ही नहीं रहती जनता आज तुमको तो कल किसी दूसरे को अपनी कुर्सी का मुखिया चुन सकती है।

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ऐसा ही एक दिन 30 नवम्बर 2018 था जब इसी जगह जब डॉ रमन सिंह ज़िंदाबाद के खूब नारे लगे थे। जय संविलियन का नारा छाया रहा । पंचायत कर्मी शिक्षक अब राज्य शिक्षा विभाग में शामिल हो गया था। शिक्षक नेताओ ने सरकार की तारीफों के खूब पुल बांधे थे। उम्मीदों के कई सपने पूरे होने की आस जगी थी। इसी जलसे ने अपनी मांगों को सरकार के सामने सार्वजनिक रूप से रखा भी था।

29 मार्च 2022 ऐसा ही दिन साबित हुआ । इसी जगह पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए खूब नारे लगे बहुत ज़िंदाबाद उद्घोष किया पूरा स्टेडियम कका है तो भरोसा है…पेंशन पुरुष और न्याय पुरुष ज़िंदाबाद… तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सुनाई देते रहा ।समय का पहिया बदले हुए किरदारों के साथ आखिर घूम ही गया।शिक्षक नेताओ ने सरकार की शान के कई कसीदे पढ़े। साथी शिक्षको के मन मे उम्मीद जगाते हुए अपनी मूल समस्याओं को अपनी मांगों को सरकार के सामने सार्वजनिक रूप से बताया।

छत्तीसगढ़ के एक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की सरकार ने एक लाख दस हजार शिक्षको का संविलियन कर राज्य का नियमित सरकारी कर्मचारी बना कर नौकरी तक की चिंता से मुक्त किया दिया।एक वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने राज्य में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करके रिटायरमेंट के बाद की चिंता से शिक्षको को मुक्त कर दिया।बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम के कार्यक्रम का आयोजन कर रहे वही लोग अधिकांश उपस्थित थे जो आज से करीब चार साल पहले 30 नवम्बर को मौजूद थे। प्रमुख चेहरे बदले नही।सिर्फ दस संगठन नए जुड़ गए स्टेडियम में 10 संघो भीड़ बढ़ गई।

एक लाख अस्सी हजार शिक्षको के समूह के प्रतिनिधित्व के दावे वाले आयोजनो की दूसरी बड़ी समानता यह रही सरकार से बहुत से प्रमुख शिक्षक संघो की दूरी बनी रही। हुए समारोह में संसदीय सचिव और शिक्षक नेता चंद्र देव राय फेडरेशन और टीचर एसोसिएशन, विकास राजपूत को मना कर एक मंच पर ला नही पाए। शिक्षक समूहों के आंदोलन का नगीना …. सहायक शिक्षक फेडरेशन इस दूर रहा ठीक वैसा ही जैसा कि आज से करीब 4 साल पहले हुआ था। वो आंदोलन की राह पर था । 30 नवम्बर 2018 को मुख्यमंत्री रमन सिंह का संविलियन के आभार हो रहा था तो एक ओर धिक्कार रैली निकाल कर अपनी मांगों के लिए हल्ला बोल रहा था।

एक बड़ी सौगात के पहले और बाद में मुख्यमंत्री भूपेश बधेल भी इसी स्थिति में नजर आए है।13 दिसंबर 2021 से राजधानी में शुरू हुआ 18 दिन का सहायक शिक्षक फेडरेशन का के एक सूत्रीय शिक्षक आंदोलन प्रदेश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन में गिना जाता है। जिसने इस सरकार को दबाव में ला दिया था। चाह कर भी कोई कड़ी कार्यवाही नही हो पाई। इस वर्ग ने भूपेश सरकार को उसी असहज स्थिति में ला कर खड़ा कर दिया था जिस स्थिति में कभी रमन सरकार हुआ करती थी।

संविलियन आभार के बहाने शिक्षक संघ अपनी समस्याओं को रमन सरकार के सामने हर मोर्चे पर रख चुका है। यही पैंतरा चार कुंटल पोहा खा चुके शिक्षक संघ मुख्यमंत्री भूपेश बधेल के सामने पुरानी पेंशन बहाल किये जाने पर आजमा रहे है। सहायक शिक्षक चार साल से इंतजार ही कर रहा है। परिस्थितियां आज वैसी ही नजर आ रही है..! जैसी पहले निर्मित हुई थी।

शिक्षा कर्मियों के संविलियन के बाद लगा था कि शिक्षकों की समस्याओं का अंत हो गया है …! पुरानी पेंशन बहाल होने से भी यही लग रहा है कि बुढ़ापे की पैशन का टेंशन खत्म हो गया है…!लेकिन एक बड़ा सवाल तब भी बना रहा था और अब भी बना हुआ है कि इस शिक्षक संवर्ग को पूर्व रेगुलर शिक्षकों के जैसे सभी सरकारी सुविधाएं मिल गई है ..?

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