तख़तपुर ( दिलीप तोलानी )। तख़तपुर में ताजी सब्जी का बड़ा बाजार है । यहाँ की सब्जी लेने दूर दराज से लोग आते है । वहीं सब्जी बेचने के लिए भी अनेक किसान और थोक खरीदी – बिक्री वाले व्यापारी आते हैं। लेकिन नगर पालिका की ओर से कोई निश्चित स्थान निर्धारित नहीं किए जाने से सब्ज़ी विक्रेताओं और ख़रीददारों को भटकना पड़ता है।
बिलासपुर ज़िले में ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में तख़तपुर की पहचान कई चीज़ो की वज़ह से हैं। उसमें सब्जी भी एक है। तखतपुर के आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर सब़्ज़ी की पैदावारी होती है। इसे इस तरह भी समझ़ा ज़ा सकता है कि ज़ो लोग भी बिलासपुर – मुंगेली रोड से गुज़रते हैं, वे समय निक़ालकर तख़तपुर में ज़रूर रुक़ते हैं और सब्जियाँ ख़रीदकर ही आगे बढ़ते हैं। तख़तपुर इलाक़े की सब्जी का ताजा़पन और उसका स्वाद लोगों को यहां रुकने पर मज़बूर करता है। नदियों के किनारे गरमियों में लगाई जाने वाली सब्ज़ी का स्वाद लोगों को तख़तपुर बाज़ार की ओर ख़ींच लाता है। ज़ानकार मानते हैं कि तख़तपुर में सब्ज़ी का कारोब़ार ज़िस तरह से होता है, इसे एक बड़ी मंडी के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे लोगों का रोज़गार भी बढ़ेगा और नए लोग भी सब्ज़ी उत्पादन के क्षेत्र में आगे आएंगे। इसके लिए बेहतर बाज़ार की सुविधा ज़रूरी है। तख़तपुर के थोक सब्जी बाजार का अनेक किसानों की आमदनी और आसपास के क़ारोब़ार पर भी असर रहता है। लेकिन नगर पालिका क्षेत्र में थोक सब्जी बाजार का विगत समय से निर्धारित स्थान न होने से व्यापारी व किसान परेशान हैं।
2 वर्ष कोरोना काल से खुले में सब्जी बेचने वालों को कभी बालक हाईस्कूल तो कभी सामुदायिक भवन परिसर में बाजार लगाने के लिए अस्थाई तौर पर स्थान दिया गया । जहाँ बिना शेड व व्यवस्था के धूप -बरसात में व्यापार के कर रहे थे। वर्तमान में भी कोई व्यवस्था न होने पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से स्थान देने की मांग की । अश्वासन के रूप में थोक सब्जी विक्रेताओं को 2-3दिन में स्थायी व्यवस्था देने की बात कही गई है।
भटकते हुए थोक सब्जी बाजार से तखतपुर की साख भी बनती है । जो आसपास के क्षेत्र में इस व्यवस्था की चर्चा भी करते हैं । फिलहाल तख़तपुर का सब्जी बाजार बदहाल और बेहाल है..।