बिलासपुर—मगलवार को सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। पूरा परिसर रोड नहीं…तो वोट नहीं गूंज गया। इस दौरान लोगो को समझाने पहुंचे एसडीएम, तसहीलदार और पीडब्लूडी अधिकारी का घेराव कर ग्रामीणों ने जमकर आक्रोश उतारा। ग्रामीणों ने बताया कि हम पहली बार नहीं..इसके पहले कई बार अपनी मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। लेकिन किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगा। मजबूर होकर हमने कलेक्टर कार्यालय आना पड़ा है। यदि सड़क नहीं बनी…तो एक दर्जन से अधिक गांव के लोग मतदान का बहिष्कार करेंगे। बातचीत के दौरान एसडीएम, तहसीलदार और पीडबल्डी इंजीनयर से ग्रामीणों की जनकर बहस हुई। आनन फानन मे एसडीएम ने एक आदेश जारी कर पीड़बल्डी एसडीओ तहसीलदार अतुल वैष्णव के साथ मौका पर भेजा । तब कहीं जाकर ग्रामीणों का आक्रोश कम हुआ। बावजूद इसके ग्रामीणों ने मस्तूरी विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी के खिलाफ जमकर नारेबाजी को अंजाम दिया।
ठेका,महमंद, मानिकपुरी, धूमा, सिलपहरी समेत आधा दर्जन गांव के सैकड़ों महिला और पुरूष कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। इस दौरान पूरा परिसर सड़क नहीं..तो वोट नहीं नारे के साथ गूंज गया। इस दौरान कलेक्टर मंथन सभागार में चुनाव संबधित बैठक ले रहे थे। शोर शराबा सुनकर एसडीएम और तहसीलदार बाहर आए। परिसर में भारी भीड़ देख पूरा सिस्टम सकते में आ गया। किसी तरह पुलिस के सहयोग से सभी को कलेक्टर परिसर से बाहर भेजा गया।
इस दौरान ग्रामीणों ने एसडीएम राज और तहसीलदार अतुल वैष्णव का घेराव अपना गुस्सा उतारा। ग्रामीणों ने बताया कि हम किस हालत में रहते हैं..एक बार प्रशासन को मौके पर पहुंचकर देखना चाहिए। ढेका, मानिकपुरी, धूमा, महमंद और सिलपहरी के ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यहां की सड़क से इंसान तो दूर जानवरों का भी आना जाना मुश्किल है।
ग्रामीणं ने कहा हम इसके पहले आधा दर्जन से अधिक बार शिकायत कर चुके हैं। लेकिन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रहा है। जब तक सड़क नहीं बनती है हम कलेक्टर कार्यालय से बाहर नहीं जाने वाले हैं। ग्रामीणों की नाराजगी देख एसडीएम राज ने तत्काल पीडब्लूडी ईई बीएल कापसे को लोगों की भीड़ में बुलाया। और सड़क की स्थिति को लेकर चर्चा किया।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान एसडीएम ने बताया कि ग्रामीणों से जानकारी मिली है कि ढेका से महमंद के बीच 12 किलोमीटर लम्बी सड़क चलने लायक नहीं है। इसी तरह महमंद से आगे पांच किलोमीटर सड़क की स्थिति बहुत ही खराब है। ग्रामीणों ने 12 किलोमीटर सड़क बनाने के साथ आगे पांच किलोमीटर सड़क को दुबारा बनाए जाने की मांग की है।
पीडब्लूडी ईंई ने बताया कि 12 किलोमीटर लम्बी सड़क की टेन्डर प्रक्रिया पूरी हो गयी है। दो एक दिन में निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। चूंकि महमंद से आगे पांच किलोमीटर लम्बी सड़क के लिए प्रशासनिक स्वीकृत अभी नहीं मिली है। ग्रामीणों को समझाया गया है कि स्वीकृत मिलते ही इसे भी बनाना शुरू कर दिया जाएगा। बावजूद इसके ग्रामीणों की मांग पर जर्जर सड़क को तात्कालिक रूप से पैंचिंग कर ठीक किया जाएगा।
भारी भरकम वाहनों की आवाजाही
एसडीएम राज ने बताया कि ग्रामीण सड़क और पीएमजीएसवाय पर चलने वाले भारी वाहनों के परिवहन को रोका जाएगा। हमने तहसीलदार के साथ एसडीओं को मौके के लिए रवाना किया है। वस्तुस्थिति का जायजा लेंगे। गांव से गुजरने वाले भारी वाहनों को डायवर्ट का रास्ता निकालेंगे। साथी ही यह भी पता लगाएंगे कि आखिर उद्योगों को ग्रामीण सड़क से परिवहन करने की अनुमति मिली है या नहीं।
टेन्डर प्रक्रिया पूरी…बनाएंगे सड़क
ग्रामीणों की नाराजगी देखते हुए पीडब्लीडी डीविजन एक के ईई बीएल कापसे ने बताया कि बुधवार को 12 किलोमीटर के लिए टेन्डर प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। कल से काम भी शुरू कर दिया जाएगा। प्रशासन के निर्दश पर गाड़ियों को डायवर्ट भी किया जाएगा। इसके अलावा पांच किलोमीटर सड़क का पैचिंग कार्य भी शुरू करेंगे। प्रशासनिक स्वीकृत के बाद जल्द ही महमंद के आगे की सड़क को फिर से बनाया जाएगा।
विधायक बांदी पर बरसे ग्रामीण
विरोध कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि हमारे क्षेत्र के विधायक का नाम डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी है। हमने कई बार लिखित में सड़क की समस्या को सामने रखा। लेकिन उन्होने हर बार हमारी बातों को अनसुना कर दिया। अब कहते हैं कि इस बार सड़क नहीं बनेगी। अगली बार चुनाव जब जीतकर आउंगा तो सड़क बनवा दुूंगा। इस बार हमने भी ठान लिया है कि उनका अगली बार अब कभी ना आए। जितना हम परेशान हुए हैं…उत्तर देने का समय आ गया है। यदि इस बार सड़क नहीं तो..अगली बार बांधी भी विधायक नहीं रहेंगे।
उद्योगों ने किया सड़क का कबाड़ा
जानकारी देते चलें कि सिलपहरी, ढेका, महमंद क्षेत्र स्थित पीएमजीएसवाय सड़के ग्रामीण जनजीवन के लिए बनायी गयी है। बावजूद इसके इसका उपयोग भारी वाहनों में हो रहा है। मामले को लेकर ग्रामीणों ने कई बार विरोध किया। बावजूद इसके कोयला का परिवहन आज भी पीएमजीएवाय सड़कों से किया जा रहा है। सोचने वाली बात है कि कोलवाशरी खोलते समय अधिकारी जांच बूझकर आंख बन्द कर अनुमति देते हैं। जबकि उन्हें भी पता होता है कि इन सड़कों से कोयला परिवहन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। बावजूद इसके अनुमति देने से बाज नहीं आते है। जब कोई हादसा होता है तो अधिकारी मुंह छिपाते नजर आते हैं। कमोबेश आज कलेक्टर कार्यालय में ऐसा ही नजारा देखने को मिला।
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