WHO ने किया COVID-19 को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के खत्म होने का एलान

Shri Mi
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WHO,COVID-19।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का शुक्रवार 5 मई को कोविड-19 को लेकर किया गया एलान महज भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए राहत की खबर है.

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दरअसल वैश्विक स्तर पर इस तरह का राहत देने वाला एलान कभी-कभार ही होता है.

शुक्रवार को डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने इंसान को बेहाल कर देने वाली दुनिया पर कहर बनकर टूटी कोरोना महामारी को लेकर एलान किया है कि ये अब ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं रह गई है.

कोरोना को लेकर किए गए इस अहम एलान के साथ यहां जानते हैं इस महामारी से जुड़ी 10 बातें।

1- विश्व स्वास्थ्य संगठन की हेल्थ रेग्युलेशन इमरजेंसी कमेटी की 15वीं बैठक में गुरुवार (4 मई) को कोविड-19 को लेकर चर्चा की. इसके बाद डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने इस बात पर सहमति जताई कि इस महामारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल, या पीएचईआईसी का एलान खत्म होना चाहिए.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस शुक्रवार 5 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “एक साल से अधिक वक्त से महामारी कम होने की तरफ है.”  उन्होंने कहा, ” हेल्थ रेग्युलेशन इमरजेंसी कमेटी की 15वीं बैठक में मुझे सिफारिश की गई है कि मैं अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के खत्म करने का एलान कर दूं. मैंने वह सलाह मान ली है.” उन्होंने कहा, ” बड़ी उम्मीद के साथ मैं COVID-19 को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के खत्म होने का एलान करता हूं.”

3- WHO ने इसे महामारी के तौर पर चिह्नित करने से लगभग 6 हफ्ते पहले 30 जनवरी 2020 में कोरोना वायरस के प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency of International Concern- PHEIC) घोषित किया था. इसे लेकर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने शुक्रवार 5 मई को कहा, “1221 दिन पहले, WHO को चीन के वुहान में अज्ञात वजहों से  एक समूह में निमोनिया के केस बारे में पता चला. ये अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उच्चतम स्तर का अलार्म था.”

4- PHEIC के तहत आपातकाल के प्रबंधन के लिए  WHO की सिफारिशों का पालन करने के लिए देशों के बीच एक समझौता किया जाता है. इसके तहत दुनिया के हर देश ने खुद के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की थी. ये घोषणाएं कानूनी होती हैं. खतरे को कम करने के लिए देश उनका इस्तेमाल मार्शल संसाधनों और नियमों में छूट के लिए करते हैं. मार्शल संसाधनों का मतलब लोगों या चीजों को एक साथ लाने और उन्हें व्यवस्थित करने से है ताकि उनका असरदार तरीके से इस्तेमाल किया जा सके.

5-डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, महामारी की शुरुआत के बाद से 765 मिलियन से अधिक कोविड -19 केस कंफर्म हुए हैं. यूरोप में कुल मिलाकर सबसे अधिक कोविड-19 के  कंफर्म केस हैं.

6- आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस महामारी से दुनिया में 70 लाख लोगों की मौत हुई, लेकिन लोगों का कहना कि लगभग दो करोड़ लोगों को इस महामारी ने लील लिया है. अमेरिका में सबसे अधिक मौतें हुई हैं. कोरोना से हुई कुल 6 मौतों में से लगभग 1 अमेरिका में हुई है.

7- संयुक्त राज्य अमेरिका 11 मई को अपने कोविड -19 सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल को खत्म करने के लिए तैयार है.

8- दिसंबर 2022 में कोरोना महामारी के केस चरम पर थे, क्योंकि ओमिक्रॉन ने दुनिया भर में तबाही मचाई. खास तौर से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में इसका खासा असर रहा,  लेकिन विश्व स्तर पर अरबों वैक्सीन की खुराक दी गई हैं. इस वजह से बीते वक्त में कोरोना के चरम पर होने पर  हुई मौतों से जान जाने की संख्या साल 2022 में काफी कम रही हैं. इससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. लोग इसे लेकर अलर्ट थे और वैक्सीन की डोज ले चुके थे और इम्यून सिस्टम मजबूत हो गया था.

9- अभी कोविड-19 के केस और उससे होने वाली मौतें लगभग तीन सालों में सबसे कम है. इसके बाद भी अप्रैल के आखिरी हफ्ते में 3,500 से अधिक लोगों की मौत हो गई और अरबों लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया.जनवरी  2021 तक जहां कोरोना के केस से एक हफ्ते में एक लाख लोगों की जानें जाती थी.

10- WHO ने कहा कोविड-19 के शुरू होने से लेकर अब तक 3 सालों में  COVID-19 ने हमारी दुनिया को उलट कर रख दिया है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस, “हमें लगभग 7 मिलियन मौतों की सूचना दी गई है, लेकिन हम जानते हैं कि मरने वालों की संख्या कई गुना अधिक है- कम से कम 20 मिलियन. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वैश्विक स्वास्थ्य खतरे के तौर पर COVID-19 खत्म हो गया है.  पिछले हफ्ते, COVID-19 ने हर तीन मिनट में एक जिंदगी ली है. और यह केवल उन मौतों के बारे में है जिनके बारे में हम जानते हैं.”

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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