रायपुर । प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री रमनसिंह द्वारा किसानो की बोनस की मांग को सिरे से खारिज किया जाना धोखाधड़ी की इंतहा है। किसी भी प्रजातान्त्रिक दल के द्वारा अपने मतदाताओं के साथ किए गए वादे से मुकरने का यह सबसे बड़ा उदाहरण है। जब पूरा नही कर सकते थे तो घोषणा पत्र में बोनस देने का वायदा किया क्यों ? राज्यपाल के माध्यम से विधान सभा में क्यों कहलवाया ?
उन्होने कहा है कि बोनस देने का वायदा किसी गफलत में या चूक की वजह से नही किया गया था। 2013 के चुनाव के पहले भाजपा और रमन सिंह 10 वर्ष तक सरकार चला चुके थे उन्हें राज्य की वित्तीय स्थिति और बोनस की सम्भावित राशि का पूरा आंकलन था, इसके बाद किसानो को 300 रु प्रति क्विंटल बोनस एक एक दाना धान की खरीदी और समर्थन मूल्य 2100 करने की पहल का वायदा भाजपा ने किया था। अब मुख्यमंत्री किसानो से कहते है बोनस की बात फिजूल है । जो सम्भव नही उसकी मांग का क्या फायदा?
रमन सिंह जबाब दे की जो सम्भव नही था उसका वायदा क्यों किया था ? क्या 300 रु बोनस भी काले धन वाले 15 लाख रु की तरह एक जुमला था ? रमन सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह की तरह जुमलेबाजी का शिगूफा छोड़ कर किसानो को बोनस देने से नही बच सकते प्रदेश में सूखे के कारण किसान बदहाली को झेल रहे हैं अब तक तीन दर्जन से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं किसानो के ऊपर अनेको प्रकार के कर्ज है ऐसे में बोनस उनका बड़ा सहारा है । मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा ‘‘बोनस देने का सवाल ही नहीं उठता’’ ‘‘बोनस देना संभव नहीं है’’ जैसे षब्दों के उपयोग का कांग्रेस कड़ा विरोध करती है। मुख्यमंत्री की यह घोषणा किसानो के लिये वेदनाकारक है। बोनस की राशि देने से इंकार करके मुख्यमंत्री रमन सिंह किसानों को लाचार और बेबश कर दिया है। बोनस मिलना और न मिलना किसानो के लिये जीवन-मरण का सवाल है। सरकार अपने दीगर खर्चो में कटौती करे । मंत्रियो अधिकारियो के शानो शौकत में कमी की जाये । मुख्यमंत्री के काफिले को छोटा किया जाय हवाई यात्रा कम की जाय फिजूल खर्ची बन्द कर दी जाय जो कुछ सम्भव हो सब करे लेकिन किसानो को बोनस तत्काल दिया जाये।