किसानों का हित सबसे ऊपर..शुरू हुआ ऋण वितरण

बिलासपुर—-बैंक का काम लोगों को सुविधा पहुंचाना है। बिलासपुर जिला सहकारी बैंक पिछले पांच साल से मुनाफा का रिकार्ड बनाया है। बैंक ने यह उपलब्धि अपने कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों के दम पर हासिल किया है। वर्तमान में बैंक विशुद्ध रूप से 9 करोड़ के फायदे में है। किसानों को शासन के आदेशानुसार व्याज मुक्त सहयोग किया जा रहा है। ये बातें आज एक प्रेसवार्ता के दौरान जिला सहकारी बैंक के चेयरमेन देवेन्द्र पाण्डेय ने कही।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए देवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि बैंक से जुड़े किसानों को शासन के आदेशानुसार 60 और 40 के अनुपात में कर्ज दिया जाएगा। अभी तक बैंक ने किसानों को पुराने आदेश के अनुसार 70 और 30 के अनुपात में कर्ज दिया है। लेकिन अब 60 प्रतिशत नगद और 40 प्रतिशत खाद बीज के रूप में मदद करेगा। देवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि अतिरिक्त बांटी गयी राशि को खाद बीज वितरण के दौरान एडजस्ट किया जाएगा।
पत्रकारों से रूबरू होते हुए देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि दलाल और बिचौलियों से किसानों को बचाने के लिए हमने नगद राशि के भुगतान को रोक दिया है। पहले बीज और खाद का वितरण किया जाएगा। इससे किसानों को राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि नगद भुगतान पहले होने से बिचौलियों के चक्कर में फंसकर किसान जल्दबाजी में तीगुने दर पर खाद की बिक्री कर लेते हैं। जिससे उनका शोषण होने लगता है। जब उन्हें हम खाद बांटते है तो बिचौलिया उसे सस्ते दर में खरीदकर किसानों को ही महंगे दाम पर बेचता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने पहले नगद भुगतान पर रोक लगाते हुए खाद का वितरण करने का निश्चय किया है। पाण्डेय ने बताया कि जैसे ही वितरण का काम पूरा हो जाएगा उसके तत्काल बाद किसानों को उनका 60 प्रतिशत नगद रकम का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बैंक के पास लगभग पांच सौ करोड़ का ऋण वितरण किया जाना है। अभी तक हमने सिर्फ 240 करोड़ का ही वितरण किया है। उन्होंने बताया कि किसानों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के आदेश से नगद ऋण का भी वितरण चालु कर दिया गया है। किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। डॉ.रमन सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि गांव गरीब और किसान की खुशी के लिेए सरकार हमेशा सहयोग करने को तैयार है।
एक सवाल के जवाब में देवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि पांच साल पहले नाबार्ड से जिला सहकारी बैंक बिलासपुर को अनुदान नहीं मिलता था। बाद में हमने प्रयास कर 300 करोड़ रूपए लिया। जिसे वापस भी कर दिया है। इस साल नाबार्ड ने आडिट के दौरान कुछ दस्तावेजों में सुधार का आदेश दिया है। सुधार के बाद दस्तावेज सौंपने पर नाबार्ड से भी किसानों को ऋण मिलने लगेगा। पाण्डेय ने बताया इस साल बैंक शुद्ध 9 करोड के मुनाफे में है। बैंक पर किसी प्रकार का कर्ज भी नहीं है। वहीं शासन ने भी आदेश दिया है कि बिलासपुर जिला सहकारी बैंक सरकार से भी सहयोग ले ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को फायदा मिले । उन्होंने कहा कि बैंक अपने किसानों की सारी जरूरतों को पूरा कर रहा है। जरूरत पड़ेगी तभी शासन से मदद लिया जाएगा।
एक प्रश्न के जवाब में देवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि बैंक की वित्तीय स्थिति बहुत मजबूत है। बैंक में उम्मीद से अधिक रकम हैं। किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम बिचौलियों को किसानों के पास तक नहीं फटकने देंगे। सीजी वाल के प्रश्नों का जवाब देते हुए देवेन्द्र ने बताया कि सहकारी बैंक में ओपेन परीक्षा होती है। इस साल बैंक में सभी नियुक्तियां आईबीपीएस से गयी है। यह भारत में अपनी तरह का एक रिकार्ड है।
देवेन्द्र ने बताया कि जिला सहकारी बैंक में 2005 में सिर्फ 50 सोसायटी पंजीकृत थी आज इसकी संख्या 280 हो चुकी है। जिन्होंने बैंक के नियमों और ऋण अदायगी की शर्तों का पालन नहीं किया उनसे वोट देने का अधिकार छीन लिया गया है। इस बार चुनाव में सिर्फ 140 समितियां को ही वोट डालने का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि बैंक चेक जैसे झंझटों से निजात दिलाने के लिए ही प्रदेश मुखिया रमन सिंह के आदेश पर किसानों का एटीएम कार्ड बनाया जा रहा है।इससे किसानों को समय की कमी और बिचौलियों से सामना नही करना पड़ेगा।