बिलासपुर— पूर्ण शराबबंदी मंच ने आज नेहरू चौक पर शराबबंदी के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया। कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम राज्य में शराबबन्दी समर्थन में पत्र दिया। पूर्ण शराबबंदी मंच के संयोजक राधेश्याम शर्मा और एक्टिविस्ट ममता शर्मा ने बताया कि शराब बिक्री पूरी तरह गैर संविधानिक है। प्रशानिक अधिकारियों के साथ मिलकर सरकार ने शराब बिक्री कर संविधान की धारा 47 का उल्लंघन किया है।
नेहरू चौक पर सर्वदलीय पूर्ण शराबबंदी मंंच ने शराब नीति के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। ममता शर्मा और मंच के संयोजक राधेश्याम ने बताया कि आजादी के बाद केन्द्र और राज्य सरकारों ने भारतीय संविधान का उल्लंघन कर शराब बिक्री को बढ़ावा दिया है। संविधान की धारा 47 के अनुसार केवल पोषाहार औषधि के रूप में ही मादक पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन देश की सभी सरकारों ने शराब जैसे घातक मादक पदार्थों का व्यापार किया है। शराब पिलाकर आम जनता को अपराध के दलदल में धकेला जा रहा है।
राधेश्याम शर्मा ने बताया कि संविधान में स्पष्ट होने के बाद भी पिछले सात दशकों से देश की सरकारें अधिकारियों के साथ मिलकर शराब को बढ़ावा दे रही हैं। जाहिर सी बात है संविधान के निर्देशों का उल्लंघन हुआ है।
पूर्ण शराबबंदी मंच ने धरना प्रदर्शन के बाद कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम जिला प्रशासन को पत्र दिया। मंच ने राष्ट्रपति से देश में पूर्णशराबबंदी की मांग करते हुए मादक पदार्थों की बिक्री के खिलाफ अध्यादेश लाने को कहा । मंच के नेताओं ने राष्ट्रपति से मांग की है कि कुछ ऐसा कदम उठाया जाए जिसके बाद सरकार शराब बेचने की सोच भी ना सकें।
एक्टिविस्ट ममता शर्मा ने बताया है कि पूर्णशराबबंदी को लेकर हाईकोर्ट में पीटिशन लगाया है। सरकार ने जल्दबाजी में शराब बेचने के लिए कार्पोरेशन का गठन कियाहै। इसमें कई प्रकार की खामियां है। आबकारी अधिकारी को पदेन मुख्यसचिव और कमिश्नर को डायरेक्टर बनाया गया है। आबकारी एक्ट में बहुत सारे क्रिमिनल मामले बनते हैं। यदि डायरेक्टर और सचिव के खिलाफ क्रिमिनल मामला बनता है तो अपने खिलाफ सुनवाई भी दोनों ही करेंगे। ऐसा गैरसंविधानिक कानून सिर्फ छत्तीसगढ में ही संभव है।
ममता ने बताया कि आबकारी नीति को लेकर एक मार्च को सरकार ने राजपत्र जारी किया । राजपत्र की कापियां जिला प्रशासन प्रमुख को फरवरी में ही दे दी गयीं थी। यह कैसे संभव है। ममता ने बताया कि राजपत्र में जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि सभी निकाय और पंचायत संस्थाओं पर दबाव बनाकर क्षेत्र में मूलभूत फण्ड से शराब दुकान बनाया जाए।
ममता के अनुसार फरवरी में राजपत्र का प्रकाशन मार्च में किया गया। लेकिन सरकार ने राजपत्र को फरवरी में ही जिला प्रशासन को भेजकर आटोनामस संस्थाओं पर शराब दुकान बनाने का दबाव बनाया। जबकि राजपत्र प्रकाशन की तारीख एक मार्च है। फरवरी में बेवरेज कारपोरेशन एक्ट नहीं था। लेकिन एक्ट का हवाला देकर आटोनामस संस्थाओं पर शराब दुकान खोलने दबाव बनाया गया। ममता ने कहा प्रदेश में अंग्रेजी शासन से भी बदतर हालात हैं। लूटपाट का आरोपी अपने लिए न्याय करेगा। ऐसा कानून सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही संभव है।
ममता ने कहा कि हमने सारी बातों को पीटिशन के जरिए हाईकोर्ट में रख दिया है। 21 मई को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने की सूरत में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।