रायपुर।प्रदेश में प्राथमिक से लेकर हायर सेकेण्डरी स्तर तक की शालाओं में युवा और इको क्लब का गठन किया जाएगा। युवा क्लब का गठन का उद्देश्य बच्चों में सृजनात्मक कौशलों एवं कल्पनाशीलता का विकास, युवावस्था में आते-आते कुछ कार्य को लेते हुए उसे अच्छे से पूरा करने की जिम्मेदारियां लेने, विद्यार्थियों, शिक्षकों और समुदाय को आपस में मिलकर कार्य करने एक प्लेटफार्म उपलब्ध करवाने, शाला में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किए जाने और टीम भावना के साथ आपस में मिलकर काम करने की आदत का विकास करना है। स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के समक्षयोजना का प्रस्तुतिकरण करते हुए जिला अधिकारियों से अपेक्षा की गई कि सभी शालाओं में शीघ्र ही युवा क्लब और इको क्लब का गठन कर उन्हें सक्रिय बनाए रखा जाए।युवा क्लब के गठन की प्रक्रिया शाला के प्राचार्य या प्रधानध्यापक स्वयं इस युवा क्लब के गठन की जिम्मेदारी में अथवा किसी अन्य शिक्षक जो स्थानीय हो, उसे इस कार्य की जिम्मेदारी दें। युवा क्लब संचालन के लिए कुछ सक्रिय और इच्छुक बच्चों की टीम बनेगी। इसके लिए विभिन्न कक्षाओं से विद्यार्थियों का चुनाव होगा। सभी सहमत हो तो युवा क्लब के लिए चुनाव आयोजित किया जा सकता है। एक युवा क्लब बाल केबिनेट में प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, खेल मंत्री, कानून मंत्री, रक्षा मंत्री, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता मंत्री और कृषि एवं उद्योग मंत्री पदों पर कार्य हेतु चयन किया जाएगा।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
प्रत्येक पद की जिम्मेदारी का निर्धारण शाला स्तर पर किया जाएगा। गतिविधियों का रिकार्ड रखने के लिए एक पंजी संधारित की जाएगी। जिसमें गठन की प्रक्रिया और चयनित पदाधिकारियों का विवरण नियमित रूप से दर्ज की जाएगी। एक बार चुनाव के बाद पूरे सत्र भर युवा क्लब के कार्यो की संचालन की पूरी जिम्मेदारी क्लब के पदाधिकारियों की होगी। इनका कार्यकाल एक सत्र का होगा और अगले सत्र के लिए पुनः चुनाव का पदाधिकारियों का चयन किया जाएगा।
युवा क्लब के माध्यम से अपेक्षा की गई है कि युवा में कुछ आवश्यक बदलाव लाए जाए। शालाओं में क्लब गठन और क्रियान्वयन के बाद कम से कम विद्यार्थियों को मैं कर सकता हूूं, आत्मसम्मान, मेरी शक्तियां, समूह में कार्य, समय प्रबंधन, मेरा लक्ष्य, निर्णय लेने का कौशल, नेतृत्व कौशल, सामाजिक जिम्मेदारियां आदि क्षेत्रों में बदलाव नियमित रूप से देखना शुरू कर देना चाहिए।
युवा क्लब के माध्यम से शाला संचालन में प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री और मंत्रीगण मिलकर आवश्यक सहयोग प्रदान कर सकते हैं। युवा क्लब शाला में क्लब के सदस्यों को खेल सामग्री उपलब्ध कराते हुए समुदायों से किसी खेल में रूचि रखने वाले युवा अथवा अनुभवी सदस्यों का सहयोग लेकर सभी को खेलने का अवसर प्रदान किया जाएगा। क्लब अपने क्षेत्र में आवश्यकता एवं रूचि के अनुरूप विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे- गीत-संगीत, नाटक, लोककलाओं संबंधी कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में रूचि विकसित कर सकता है। स्थानीय लोक कलाकारों का सहयोग लेकर बच्चों को विभिन्न कलाओं का अनुभव दिलवाते हुए उनकी रूचि के क्षेत्रों में आगे बढ़ने के अवसर दिए जाएंगे। युवा क्लब अपने साथियों को पढ़कर आगे बढ़ने के लिए स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार सीखने-सिखाने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करेंगे, जैसे- सीखने का उपयुक्त स्थान क्लब के सदस्यों के समूह बनाकर सिखने के समय का निर्धारण, स्थानीय ऐसे व्यक्ति जो सिखाने के लिए रूचि लेते हों उनकों साथ लेकर आगे बढ़ते हुए विशेष कोचिंग की व्यवस्था की जा सकती है।
युवा क्लब शाला से बाहर एवं शाला त्यागी बच्चों की पहचान कर उन्हें शाला में लाने की दिशा में कार्य कर सकता है। इसके साथ ही विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी, जीवन कौशल का विकास, समुदाय को समर्थन आदि कार्य में सहयोग कर सकते हैं।
प्रदेश के अधिकांश स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है और बच्चे भी ग्रामीण परिवेश से आते हैं, जो मुख्यतः कृषि पर निर्भर होते हैं। शाला आने वाले बच्चों के माध्यम से परिवार कृषि के लिए आवश्यक जानकारी और शासकीय योजनाओं की जानकारी देने का कार्य कर सकते हैं। नाली के माध्यम से खेतों में पानी, पानी के स्त्रोतों को बचाने के लिए तकनीके, गायों को एक जगह रखने की व्यवस्था कर उससे जुड़ी विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे गोबर के खाद का खेतों में उपयोग, गोबर गैस से बिजली की व्यवस्था और घरों की गाड़ी में सब्जी उगाते हुए गांव के भीतर ही सुदृढ़ अर्थव्यवस्था लागू करते हुए बाहर शहरों में निर्भरता को कम करने का व्यापक प्रयास किया जा सकेगा।
सभी शालाओं में गठित युवा दल कृषि और उद्योग मंत्री के नेतृत्व में इको क्लब का गठन करेेंगे। क्लब द्वारा स्थानीय पर्यावरण को ध्यान में रखकर उसे बचाने की दिशा में आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाएगा। इको क्लब द्वारा आसपास की खोज, नदियों एवं तालाबों को अध्ययन, गंदगी से होने वाली बीमारियों से बचाव, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता का महत्व के प्रति जागरूक करना, पानी बचाने घरों में जाकर नलों को चेक कर लीक होने वाले नलों को बदलने की दिशा में प्रयास, आसपास पेड़ लगाना और उसे नियमित पानी देने पाली बांधना, प्रकृति का अध्ययन करते हुए नेचर वाक, पॉलीथीन पर रोक एवं अन्य विकल्पों को खोजना, विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों की जानकारी देते हुए उसे रोकने के उपायों की चर्चा, क्विज एवं गतिविधियों के आयोजन के साथ-साथ जागरूकता के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित करवायी जा सकती है। इको क्लब के माध्यम से शालाओं में किचन गार्डन की व्यवस्था में सहयोग लिया जा सकेगा। उन्हें नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी के विषय में जानकारी देते हुए योजना के क्रियान्वयन में सहयोग लिया जा सकेगा।