मध्यान्ह भोजन के लिए सूखा अनाज बांटने से स्कूलों में हो सकता है संक्रमण का खतरा,संघ ने की पुनर्विचार की मांग,रोहित शर्मा ने कहा-अनावश्यक भीड़ से बचना जरूरी

Shri Mi
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बिलासपुर-छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ ने स्कुलो में  खाद्यान्न वितरण को लॉक डाउन काल मे करने  के निर्णय पर शासन को पुनः विचार करने के लिए शिक्षा मंत्री डॉ प्रेस साय सिंह और प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग एव संचालक स्कूल शिक्षा छ ग शासन,संयुक्त संचालक लोक शिक्षण को पत्र लिखा है। संघ के द्वारा लिखे पत्र में यह ध्यान देने की गुजारिश की गई है कि 3 व 4 अप्रैल से स्कुलो में मध्यानह भोजन योजना अंतर्गत सूखा खाद्यान्न चावल व दाल देने से प्रदेश में सम्पूर्ण लॉक डाउन के दौरान स्कूलों में इलाको के छात्रों व उनके पालकों के इकट्ठा होने से लॉक डाउन का व्यवस्था प्रभवित हो सकती है।संघ के महामंत्री यशवंत सिंह वर्मा ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान लाखो शिक्षक घरों से निकल कर स्कूल जाएंगे। स्कूल के सैकड़ो छात्रो ओर पालकों से मिलेंगे।और वे सबसे एकदम नजदीकी संपर्क में भी आ सकते है। खाद्यान्न वितरण के दौरान एक मीटर की दूरी  बनाये रखना व चेहरे पर मास्क और सेंनेटाइजर की व्यवस्था बनाना शिक्षको के लिए भी मुश्किल है।लॉक डाऊन के समय प्रशासन और पुलिस से समन्वय की भी समस्या का सामना शिक्षको हो करना पड़ेगा।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार सिंह ने बताया कि शिक्षक, छात्र और राष्ट्र हित मे सेवा देने के लिए हमेशा आगे रहा है।प्रदेश में अभी लॉक डाउन का काल चल रहा है। प्रदेश के कई स्कूल अभी सेंनेटाइज नही है। स्कूलो के मैदान इतने बड़े नही की सबके लिए निशान बनाया जा सके।स्कुलो में अभी खाद्यान्न वितरण से  लॉक डाउन प्रभावित हो सकता है। शासन ने अपने 19 मार्च को  

मध्यानह भोजन योजना अंतर्गत सूखा खाद्यान्न चावल व दाल देने के समय को 14 अप्रैल के बाद विचार करना चाहिए। जिसमें शिक्षक और छात्र दोनो लॉक डाउन के नियमो का पालन कर सके। इस विषय पर जब छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता व समाज सेवी रोहित शर्मा से चर्चा कि  तो उहोंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार सभी वर्गों को 3 महीने का मुफ्त अनाज और नगद दें रही है।राज्य सरकार ने भी मुफ्त राशन देने का एलान किया है।ऐसे में राहत पे राहत पहुचाने के चक्कर मे भीड़भाड़ होना तय है और लाकडाऊन प्रभावित होने से संक्रमण का खतरा अलग होगा ।

रोहित शर्मा ने बताया कि सरकारी स्कूलों में 40 दिन के राशन वितरण का  जो एलान किया गया है उसे समय और आवश्यकतानुसार तार्किक ढंग से वितरण कराना चाहिए। शिक्षा विभाग का अमला करीबन 2 लाख कर्मियों का है।राज्य के हजारों स्कूल में राशन वितरण 3 /4 अप्रैल को कराए जाने से 1 लाख से अधिक लोग प्रदेश भर में बाहर निकलेंगे। 

अधिवक्ता रोहित शर्मा बताते है कि राशन लेने वाले पालको और बच्चो के हिसाब से लाखो लोग राज्य भर में  राशन लेने स्कूलों में आ सकते है। यही ग्रामीण/शहरी पालक सरकारी राशन के लिए सोसाटियो और राशन दुकानों में भी आना जाना कर रहे है। सभी वर्गों को ततकालिक आपूर्ति सस्कारी एजेंसियों द्वारा कराई जा रही है, अतः आवश्यकतानुसार  एवम संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखकर  14 अप्रैल 2020 को 21 दिन के लाकडाऊन के बाद स्कूलों में  खाद्यान्न वितरण कराना सुनिश्चित किया जाना उचित होगा ताकि सम्भावित संक्रमण से बचाव भी हो सके और इतने बड़े अमले को महामारी के समय एक साथ झोंकने की बजाय क्रमिक रूप से उपयोगितानुसार सतर्कता उपायों को लागू करते हुए किसी भी योजना का  क्रियान्वयन  कराया जाना चाहिए।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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