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रायपुर-मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि पुलिस की जांच-पड़ताल में भिलाई स्टील प्लांट के असंगठित मजदूरों को संगठित करने और उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले सीटू नेता कॉमरेड योगेश सोनी पर हुए हमले में बीएसपी प्रबंधन और ठेकेदारों की मिलीभगत खुलकर सामने आई है. योगेश पर यह हमला डराने-धमकाने के लिए नहीं था, बल्कि धारदार हथियारों से यह हमला उनकी हत्या करने के उद्देश्य से की गई थी, ताकि सीटू और अन्य यूनियनों के नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया जा सके.सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे
जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा कि हमले की यह साजिश ठेका एजेंसी सुधांशु ब्रदर्स के संचालक सुधांशु खंडेलवाल शामिल के कहने पर उसके सुपरवाइजर गोविंद साहू ने रची थी. गोविंद साहू की आपराधिक पृष्ठभूमि इससे ही स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति की हत्या के प्रयास के मामले में वह पहले से ही सजायाफ्ता है.
गोविंद ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भाड़े पर गुंडों को लिया. इन भड़ैतों में के. बेंजामिन और आर. सैमुएल भी शामिल हैं, जो पूर्व में भी हत्या के आरोपी रह चुके हैं. इस छानबीन से स्पष्ट है कि बीएसपी में काम करने वाले ठेकेदार अपने कर्मचारियों के नाम पर ऐसे लोगों को एजेंसी में भर्ती कर रहे हैं, जो अपने अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करने वाले मजदूरों और यूनियन नेताओं को अपनी गुंडई के बल पर सबक सिखा सके.
माकपा ने कहा है कि बीएसपी में मजदूरों या उनके यूनियन के नेताओं पर यह कोई पहला हमला नहीं है. सवाल यही है कि आपराधिक मानसिकता वाले ऐसे ठेकेदार किस तरह सहज रूप से यहां काम कर रहे हैं और उनके खिलाफ ढेरों शिकायतें होने के बावजूद उन्हें ब्लैक-लिस्टेड करना तो दूर, कोई कार्यवाही तक नहीं होती. यह बीएसपी प्रबंधन के स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं है. इस मिलीभगत का कारण भी बहुत ही स्पष्ट है कि मजदूरों को बड़े पैमाने पर लूटने और भ्रष्टाचार के खेल में वे भी शामिल है.
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि इस कायरतापूर्ण हमले का जवाब एक ही हो सकता है कि मजदूरों की मांगों और उनके अधिकारों के लिए साझा एकजुट संघर्ष तेज किया जाए. योगेश पर हमलावरों की गिरफ़्तारी भी साझा आंदोलन के दबाव में ही संभव हो पाई है. उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले ठेकेदारों और उनकी एजेंसियों को ब्लैक-लिस्टेड करने और इन ठेकेदारों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है. माकपा ने बीएसपी सहित सभी सार्वजनिक उद्योगों में ठेकेदारी प्रथा पर प्रतिबंध लगाने और सभी असंगठित मजदूरों को नियमित कर्मचारी का दर्जा देने और समान काम के लिए समान वेतन और सुविधाएं देने की मांग की है.