♦साफ्ट स्किल की नेशलन ट्रेंनर डाॅ.पूनम बत्रा ने दिए जीवन में सफलता के टिप्स
♦सीवीाआरयू में व्यक्त्वि विकास विषय पर हुई एक दिवसीय कार्यशाला
बिलासपुर(करगीरोड)।डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया किया गया। जिसमें दिल्ली की साफ्ट स्किल की नेशलन ट्रेंनर डाॅ. बत्रा ने विद्यार्थियों को जीवन की सफलता के टिप्स दिए। डाॅ. बत्रा ने विद्यार्थियों को लक्ष्य, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच, पढ़ाई के तरीके,प्लानिंग,समय प्रबंधन, बाॅडी लेग्वेज, इंटरव्यू में चयन, डेªेस सेंस,उर्जा, उत्साह सहित अनेक विषयों पर विस्तार से जानकारी दी।
एक दिवसीय कार्यशाला में डाॅ. बत्रा ने कुकर की सीढ़ी बजने का उदाहरण देते हुए बताया कि कुकर में जब दबाव ज्यादा हो जाता है तब वह सीटी बजाकर अपने प्रेशर को बाहर निकाल देता है। ठीक इसी तरह जीवन में जब ज्यादा दवाब किन्ही भी कारण से आएं तो उन्हें अपने परिवार, दोस्तों और अपने अपनों से शेयर करके बाहर निकाल दो। इसस दिमाग में शांति मिलती है। लेकिन किन्ही भी स्थिति में रूकना नहीं है लक्ष्य की तरफ लगातार आगे बढ़ते जाना है। उन्होंने बतायाकि विद्यार्थियों को सबसे पहले तो अपने जीवन का लक्ष्य तय करना चाहिए कि वे जीवन में क्या बनाना और क्या करना चाहते ह। लक्ष्य तय करने के लिए काफी पैरामीटर है कि वे उन पैरामीटर का ध्यान रखना चाहिए। इसी तरह लक्ष्य तय करने के बाद उसकी प्लानिंग होनी चाहिए।
फेसबुक व वाट्सअप का उपयोग समय के अनुसार
डाॅ.बत्रा ने बताया कि फेसबुक और वाट्सअप और ऐसे साइट जंगली जानवरों की तरह है। जो वास्तव में घर में पालतू बनाकर पाल लिए गए हो। यदि हम इन्हें नियंत्रित न रखें तो यह जंगली जानवरों की तरह व्यवहार करेंगें और हम पर ही हमला कर देंगे। इसलिए इन्हें अपने जीवन शैली में उतना ही उतरें जीतना की जरूतर हो। यानी कि जानकारी जुटाने और अपडेट रहने के लिए ये जरूरी है। नहीं तो इनकी तय व्यक्ति के पहले तो समय को और बाद में जीवन को भी खराब कर सकती है।
पोमोडोरो से हो पढ़ाई
डाॅ. बत्रा ने बताया कि आम तौर पर विद्यार्थियों की यह समस्या रहती है कि पढ़ाई में मन नहीं लगता। बात सही हो सकती है। एक लंबे समय तक एक ही विषय को पढ़ने पर ऐसा होना सामान्य बात है। इसलिए पढ़ाई के कुल घंटों विषय के चेप्टर में बांट लेना चाहिए। इसके बाद कुछ देर के बे्रक लेना चाहिए। जिससे मन की थकान कम होती है। पढ़ाई की निरंतरता बनी रहती है। इससे समय का बेहतर प्रबंधन भी किया जा सकता है। हर काम को समय में सुविधा अनुसार बांटें।
सी.वी. बनाने से लेकर इंटरव्यू की तैयारी
डाॅ.बत्रा ने विद्यार्थियों को सीवी लिखने से लेकर इंटरव्यू तक की तैयारी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होने बताया सीवी तैयार करने के हर लाइन और शब्दों को समझाया। उन्होने बताया कि कुछ स्थानों पर एक्शन पावर शब्दों का उपयोग किया जाना चाहिए।इसी तरह बाॅडी लेग्वेंज, बातचीत,सवालों के जबाव और कंपनी के बारे में इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति से पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण सवाल भी बताए। उन्होेंने इंटरव्यू में सफल और असफल होने वाले आंकड़ों का विश्लेषण किया।
शक्ति पूंज का वाहन हैं डाॅ.बत्रा -कुलसचिव
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने बताया कि हम स्कूल और काॅलेज के ज्ञान से जीवन जीना नहीं सीखते है। ऐसे मोटिवेशन कार्याशाला में जीवन के याथार्थ का सामना करने वाले विषयों से सही मायने में यह जानकारी मिलती है कि जीवन कैसे जिया जाता है। ऐसे स्पीकर जीवन जीने की क्षमता बढ़ाते हैं। इन्हें शक्ति पूंज का वाहक कहा जाना है। आज डाॅ. बत्रा ने हमारे विश्वविद्यालय में शक्ति पूंज बनकर आई है, और हमें इनसे जीवन जीने की शक्ति लेना चाहिए।
विकास का बीज मंत्र है सफलता-कुलपति
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आर.पी.दुबे ने कहा कि आज के समय पर हर कोई सफल होना चाहता है और सफलता ही विकास का मूल मंत्र है। यदि समाज और देश का हर व्यक्ति सफल हो राष्ट्र का विकास कोई रोक नहीं सकता। प्रो. दुबे ने बताया कि विद्यार्थी समय और उर्जा का सही उपयोग करें। यदि हम समय और उर्जा का गलत उपयोग करेंगे तो जीवन की सार्थकता हाथ नहीं लगेगी। जब समय और उर्जा खत्म हो जाएगी तब हमारे पर पछताने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।