तीस साल पहले हवाई नक्शे से जुड़ चुका था बिलासपुर…पढ़िए कब शुरू हुई थी ‘वायुदूत सेवा’कब बंद भी हो गई…?अब याद भी नहीं…

Chief Editor
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( रुद्र अवस्थी ) दुनिया आगे बढ़ रही है लेकिन बिलासपुर शहर पीछे की तरफ आ रहा है….।  वह भी दो-चार – आठ दिन नहीं….. बल्कि 30 – 32  साल पीछे…….।  बिलासपुर को हवाई नक्शे से जोड़ने के लिए जूझ रही आज की पीढ़ी शायद इसे “फेक न्यूज़” मानेगी कि आज से ठीक 32 साल पहले बिलासपुर शहर हवाई नक्शे से जुड़ चुका था और यहां से वायुदूत सेवा शुरू हुई थी….।  लेकिन यह फ़ेक न्यूज़ नहीं ….”फेक्ट” न्यूज है….. सच्ची खबर है और उस समय के अखबार में छपी यह खबर आज भी देखी जा सकती है । आज से ठीक 32 साल 18 दिन पहले बिलासपुर से न सिर्फ वायुदूत सेवा शुरू हुई थी , बल्कि यहां फ्लाइंग क्लब स्थापित करने को लेकर भी बड़ी बातें हुई थी । समय का पहिया घूमा और वायुदूत सेवा कब शुरू हुई….. कब बंद हुई यह भी किसी को याद नहीं रहा।  यह शहर आज जब हवाई सुविधा के लिए जद्दोजहद कर रहा है,  ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी है कि 32 साल पहले जिस चकरभाठा हवाई अड्डे में हवाई जहाज उतारने की काबिलियत थी । आज वहीं पर हवाई सेवा शुरू करने में आख़िर ज़ोड़ – घटाव क्यूं चल रहा  है….? सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

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वह 1988 का साल था…. 17 जनवरी की तारीख थी और इतवार का दिन था …..। जब चकरभाठा  हवाई अड्डे में एक जलसा हुआ । इस जलसे में बिलासपुर से वायुदूत सेवा शुरू की गई ।यह देश की 89 वीं वायुदूत सेवा थी । जिसका उद्घाटन करने मुख्य अतिथि की हैसियत से उस समय के केंद्रीय उड्डयन मंत्री जगदीश टाइटलर आए थे ।  जलसे में उस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा भी शामिल हुए थे।  इस मौके पर जगदीश टाइटलर ने कहा था कि बिलासपुर संभाग में वायुदूत सेवा की शुरुआत इस बात का सबूत है कि तरक्की कितनी तेजी से हो रही है।  पहले लोगों की उम्मीदें सड़क, रेल लाइन और नई रेल या बस सेवा तक ही होती थी । लेकिन अब लोग हवाई पट्टी और उड्डयन सेवा की मांग करते हैं । उस समय मध्यप्रदेश में हवाई सेवाओं के विस्तार के लिए और भी बातें हुई थी । साथ ही कहा गया था कि बिलासपुर में फ्लाइंग क्लब की स्थापना भी विचाराधीन है और प्रदेश सरकार की मदद से इसे स्थापित किया जाएगा ।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे तब के मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने बिलासपुर संभाग से हवाई सेवा की शुरुआत को तरक्की की तरफ एक अहम कदम बताया था । उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इससे उद्योग धंधे तेज़ी से पनप सकेंगे और खनिजों के दोहन से बेरोजगारी दूर करने में मदद मिलेगी । इस मौके पर बिलासपुर के बाद जगदलपुर ,रींवा, सतना, जबलपुर शहरों में भी जल्द वायु सेवा शुरू होने की उम्मीद जताई गई थी ।उस कार्यक्रम में शामिल हुए मध्य प्रदेश के उस समय के गृह और विमानन मंत्री कैप्टन जयपाल सिंह ने बताया था कि 38 लाख़ रुपए खर्च कर चकरभाटा की हवाई पट्टी तैयार की गई है । जिससे इसमें एवरो विमान उतारे जा सकें । उन्होंने पायलट ट्रेनिंग में खासकर छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े इलाके की प्रतिभाओं को फायदा दिलाने के लिए फ्लाइंग क्लब स्थापित करने पर जोर दिया था।

वायुदूत सेवा की शुरुआत के लिए आयोजित किए गए उस समारोह में तब के विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल ,प्रदेश सरकार के मंत्री बीआर यादव, बंशीलाल धृतलहरे, चित्रकांत जयसवाल ,सांसद खेलन राम जांगड़े ,भगत राम मनहर, डॉ प्रभात मिश्रा ,परसराम भारद्वाज भी शामिल हुए थे।  इस जलसे के बाद 26 जनवरी 1988 से बिलासपुर के चकरभाठा हवाई पट्टी से वायुदूत सेवा की शुरुआत हुई थी ।

तब वायुदूत सेवा के जरिए बिलासपुर को रायपुर ,नागपुर , औरंगाबाद और मुंबई से सीधे जोड़ा गया था । यह उड़ान हफ्ते में 3 दिन मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को रखी गई थी । वायुदूत का हवाई जहाज शाम 5:55 पर बिलासपुर उतरता था और 6:05 पर रवाना हो जाया करता था । वायुदूत में हवाई सफर के लिए जो किराया तय किया गया था ,उसके मुताबिक बिलासपुर से रायपुर 135 रुपए  और बिलासपुर से नागपुर 515 रुपए  रखा गया था।

वक्त के साथ बिलासपुर कि यह वायुदूत सेवा बंद भी हो गई और 32 साल से अधिक का अरसा गुजर भी गया ।लोग इसे भूल भी चुके हैं………। बिलासपुर शहर में फिर हवाई सुविधा की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत हुई है । 100 दिन से अधिक समय से धरना जारी है । हवाई सुविधा को लेकर तकनीकी मुद्दों पर भी बात हो रही है । जिसमें कहीं यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या बिलासपुर में बड़े हवाई जहाज उतारे जा सकते हैं ….? ऐसे में 32 साल पहले 1988 की यह खबर अपने आप बहुत सारे सवालों का जवाब खुद दे रही है….।

बल्कि इस खबर को सामने रखकर व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों से यह पूछा जा सकता है कि जब तीन दशक पहले चकरभाठा की हवाई पट्टी में एवरो विमान उतारा जा सकता था।  तो फिर आज दिक्कत कहां है…..? क्या तीस साल पहले के जनप्रतिनिधियों में जो इच्छाशक्ति थी , वह अब नहीं रही…..?  इस खबर  को सामने रखकर यह सवाल भी पूछा जा सकता है कि दुनिया जब आगे की ओर बढ़ रही है और लोगों की सहूलियतें भी उसके साथ बढ़ रही हैं……।  तब बिलासपुर के तरक्की की घड़ी के कांटा उल्टी दिशा में क्यों घूम रहा है ……..? 30 साल पहले शुरू हुई वायुदूत सेवा इस बात की निशानी है कि बिलासपुर को इतने पहले से ही हवाई सुविधा की जरूरत थी और उस समय के लोगों ने इसके लिए पहल करते हुए चकरभाठा हवाई पट्टी पर हवाई जहाज उतारा ।

 जब 1988 में उस समय के केन्द्रीय मंत्री कह रहे थे कि लोगों की उम्मीदें सड़क,रेल लाइन , नई रेलगाड़ी या बस तक सीमित नहीं है….. बल्कि लोग अब हवाई सेवा की मांग करते हैं। क्या तीस साल बाद खड़े होकर आज के नुमाइंदों से यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि क्या हमारी उम्मीदों की घड़ी तीन दशक  से भी पीछे चल रही है…..? और आज़ भी वहीं पर खड़े- खड़े कदमताल कर रहे  हैं….।

तब भी बिलासपुर उस समय मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़  के बड़े शहरों की फेहरिस्त में शुमार था । लेकिन बीते दो – तीन दशक में ऐसा जरूर कुछ हुआ है कि यह शहर अनदेखी का शिकार हो गया । यह सब अनजाने में हुआ या जानबूझकर….?  लेकिन शहर पिछड़ गया । मध्यप्रदेश में रहते हुए हम वायुदूत सेवा भी शुरू कराने में कामयाब रहे । लेकिन अपना छत्तीसगढ़ बनने के बाद भी हवाई सुविधा के लिए जूझना पड़ रहा है ।और जो सुविधा बिलासपुर शहर को तीन दशक पहले मिली थी और छीन भी ली गई……  उसे फिर हासिल करने के लिए शहर के लोगों को फिर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है । और व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों को याद दिलाना पड़ रहा है कि यहां के लोगों ने रेलवे का जोनल हेड क्वार्टर बनाने के लिए कैसी लड़ाई लड़ी थी ….? तीस साल पहले का अख़बार अगर लिखता है कि … “बिलासपुर से वायुदूत सेवा शुरू” ……  इस हैडिंग को आज़ की तारीख़ में पढ़कर दिलो-दिमाग़ पर झनझनाहट तो महसूस होनी ही चाहिए और यह भी सोचना चाहिए कि हम किधर जा रहे हैं…। अब सवाल यह है कि क्या वायुदूत सेवा शुरु होने  की ख़बर को याद कर बिलासपुर को उसका हक दिलाने के लिए ईमानदार पहल की जाएगी ……? जिससे चकरभाठा हवाई पट्टी से फिर जहाज अपनी उड़ान भर सके……..। ज़वाब तो इस सवाल का भी मिलना चाहिए कि …तरक्की का नाम आगे बढ़ना है या पीछे की ओर लौटना…..?

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