शिक्षाकर्मियों के समयमान/ क्रमोन्नत वेतनमान पर शासन का दोहरा मापदंड, स्पष्ट आदेश जारी नहीं होने से भ्रम की स्थिति,शिक्षकों को हो रहा नुकसान

Shri Mi
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बिलासपुर।समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान में वेतन निर्धारण करने वाले कर्मचारियों को अधिकारियो द्वारा प्रताड़ित किया जाना अन्याय है। राज्य शासन दोहरा मापदंड अपना रही है। प्रदेश के शिक्षक संवर्ग के समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान पर संविलियन के बाद भी पर अब तक अपना कोई भी स्पस्ट आदेश जारी नही कर रही है। जिससे भृम की स्थिति है। यह प्रेस नोट जारी कर छत्तीसगढ़ व्यख्याता(पं/एल बी)संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा  नगरीय प्रशासन विकास विभाग द्वारा 8वर्ष की सेवा पूर्ण करने की तिथि से शिक्षक (पं/ननि) संवर्ग के कर्मचारियों को शासकीय शिक्षको के समान छत्तीसगढ़ वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के तहत वेतनमान के आदेश किये.सीजीवालडॉटकॉम NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए।

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कमलेश्वर सिंह ने बताया कि वेतन निर्धारण करते समय वेतन पुनरीक्षण नियमो को ताक में रखते हुए 1998 में नियुक्त शिक्षक जिसे समयमान क्रमोन्नत मिल गया था। एवं 2006 में  वर्ग तीन से पदोन्नत होकर वर्ग  दो और वर्ग एक  के शिक्षक बने थे।दोनों को न्यूनतम वेतन एक बराबर दे दिया गया जबकि जो शिक्षक समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान में वेतन प्राप्त कर रहे थे। उनका मूल वेतन के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान का वेतन बैंड एवं ग्रेड पे में वेतन निर्धारण करना था।

कमलेश्वर बताते है कि शिक्षक संवर्ग के आर्थिक हानि की शुरुवात यही से हुई यही से वेतन विसंगति प्रारंभ हो गयी ।पदोन्नत शिक्षको को पदोन्नत वेतनमान के आधार पर पुनरीरिक्षित वेतनमान दे दिया जिससे वे लोग चुप रह गए और क्रमोन्नत वेतनमान को भूलक्षीय प्रभाव से निरस्त करा दिए गए। पीड़ित पक्ष न्यायालय के शरण में गए । माननीय न्यायालय ने कर्मचारियों के हक में जिन शिक्षको को एक ही पद में 10 वर्ष पूर्ण कर लिए उस तिथि से समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान में उच्चतर वेतनमान देने के आदेश किये है और आज भी न्यायलय का आदेश जारी हो रहा है ।

कमलेश्वर सिंह ने बताया कि आज हालात ऐसे है कि  अधिकारी वर्ग न्यायालय के आदेश को गोल मोल जवाब बनाकर टाल रहे है। अर्थात न्यायलय के आदेश की अवमानना कर रहे है। शिक्षक वर्ग भी बट गया है। 

समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान सब का हक है पर जिन लोगो को फायदा नही मिल सकता वे अपने  शिक्षक साथीयो को नही मिल रहा है वे इस पर आपत्ति लगाकर सम्बंधित कर्मचारियों के ऊपर कार्यवाही करा रहे है। जिसका सबसे ताजा उदहारण गरियाबंद जिला शिक्षा अधिकारी का आदेश है जबकि यही अधिकारी जब अपने लिए न्यायालय से आदेश लाते है तो पालन कराने में देरी नही करते ।

कमलेश्वर ने बताया कि  पड़ोसी राज्य मध्यपदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने पंचायत एवं नगरीय निकाय में कार्यरत अध्यपक सवर्गो को शिक्षा विभाग संविलयन करते हुए पूर्व विभाग की सेवा की गणना कर वरिष्ठता का लाभ देते हुए पदोन्नति एवं समयमान क्रमोन्नति वेतनमान देने के आदेश दिए है ।

कमलेश्वर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण निर्णय का हवाला देते हुए बताया कि  दुजेन कुमार बनाम भरत संघ एवं  दिनेश कुमार खरे विरुद्ध मध्यप्रदेश सरकार के प्रकरण मे पैरा -20 के तहत यह निर्णय एवं आदेश पारित किया है कि यदि एक विभाग से दूसरे विभाग में संविलयन या स्थान्तरित किया जाता है तो पूर्व विभाग की सेवा अवधि की गणना कर समयबद्ध क्रमोन्नति (time bond )वेतनमान में उच्च वेतन प्रदान किया जायेगा जब तक कि वह कर्मचारी उच्च पद पर पदोन्नत नही किये जाते ।माननीय न्यायालय ने यह भी अभिनिर्धारित किया है कि यह निर्णय समस्त प्रकार के कर्मचारियों पर लागु होगी ।

कमलेश्वर ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन ने निम्न पद से स्वेच्छा से त्याग पत्र देकर उच्च पद धारण करने वाले शिक्षा कर्मियो को पूर्व सेवा की गणना कर समयमान वेतन का लाभ दिया है तथा संविलयन भी किया है तो शिक्षक (एल बी)संवर्ग को भी पूर्व विभाग में किये कार्य सेवा अवधि की गणना कर पदोन्नति और क्रमोन्नति क्यों नही जा रही है ।

जहाँ जहाँ के नियोक्ता माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन ने क्रमोन्नत वेतनमान निर्धारण कर रहे है उनके ऊपर कार्यवाही करने का डर दिखा रहे है जो कि माननीय उच्चतम न्यायालय एवम् उच्च न्यायालय की अवमानना है ।

छत्तीसगढ़ व्यख्याता(पं/एल बी)संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने राज्य शासन से मांग की है कि माननीय उच्चतम न्यायालय एवम् उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारीयों के विरद्ध कार्यवाही करें तथा माननीय न्यायालय के अदेशानुसार समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान  में उच्चतर वेतनमान देंव के आदेश करें ।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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