बिलासपुर—-बहतराई हल्का में विवादास्पद जमीन का तीन बार सीमांकन हुआ। तीनो बार रिपोर्ट में बताया गया कि प्रतीत होता है कि अधिग्रहम की गयी सरकारी निजी जमीन को दूसरे सरकारी खसरा पर बैठाया गया। रिपोर्ट के बाद जमीन की गतिविधियों पर तत्कालीन तहसीलदार ने रोक लगा दिया। लेकिन नए नायब तहसीलदार ने प्रतीत के प्रकृति को समझते हुए बिल्डर को हरी झण्डी दिखा दिया है। तात्जुब की बात है कि बिल्डरों ने सांठ गांठ कर टीएनसी को भी धोखा दिया है।
मामला बहतराई हल्का पटवारी क्षेत्र के खसरा नम्बर 331/8 अधिग्रहण जमीन से जुड़ा है। कभी पीडब्लडी विभाग ने निजी जमीन को सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहण किया। बाद में जमीन का कुछ हिस्सा सड़क में लिया गया। बाकी जमीन छूट गया। शायद विभाग ने मुआवजा भी दिया। बाद में जमीन चोरों ने लोयला स्कूल की तरफ जाने वाली डामर सड़क के नीचे से 331/8 निकालकर सरकारी जमीन 329 में शिफ्ट कर दिया।
जमीन शिफ्टिंग की शिकायत के बाद डामर सड़क के नीचे दबी अधिग्रहण की गयी जमीन का तीन बार सीमांकन किया गया। हर बार रिपोर्ट में बताया गया कि जमीन का कुश हिस्सा सड़क के नीच दबा है। प्रतीत होता है कि 331/8 रखबा को सरकारी रकबा यानि 329 में शिफ्ट किया गया है।
सीमान्कन रिपोर्ट के बाद जमीन की गतिविधियों पर रोक लगा दिया गया। बावजूद इसके फर्जीवाडा़ कर बिल्डर ने अधूरे कागजात तैयार कर टीएनसी भी करवाया। इसके बाद ना केवल डायवर्सन करवाया बल्कि काम्पलेक्स निर्माण भी शुरू हो गया। मजेदार बात है कि समय के साथ एक दिन रिपोर्ट के प्रतीत को दरकिनार कर तहसीलदार ने बैठाई गई जमीन को हरीझण्डी भी दिखा दिया। मतलब मानने से इंकार कर दिया कि अधिग्रहण की गयी जमीन सरकारी जमीन पर बैठा गयी है। यह अलग बात है कि सरकारी जमीन का रकबा भी कम हो गया है। बावजूद इसके राजस्व अमले ने सरकारी जमीन से अधिक बिल्डर की पीडब्लूडी की तरफ से अधिग्रहण की गयी जमीन को ज्यादा तवज्जों दिया है। जिससे शासन को करोड़ो रूपयों को चपत लगा है।
किसकी जमीन..कैसे बैठाई गयी
दरअसल जमीन शहर के एक व्यापारी की जमीन है। व्यापारी ने इस जमीन को एक बिल्डर के अदला बदला किया है। व्यापारी ने व्यापार बिहार की जमीन के बदले बिल्डर को बहतराई स्थित सड़क के नीचे स्थित जमीन को सरकारी जमीन पर बेैठा कर अदला बदली किया। जमीन दयालबन्द निवासी महिला को बेचा गया। विवाद के बाद तीन बार सीमांकन का काम हुआ। इसी बीच तत्कालीन तहसीलदार ने जमीन पर सभी गतिविधियों पर रोक लगा दिया। इस दौरानर बिल्डर ने फर्जी तरीके से टीएनसी भी हासिल कर लिया। डायवर्सन के बाद जमीन पर काम्पलेक्स का निर्माण भी शुरू हो गया।
इसी दौरान जिस आधार पर जमीन पर किसी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाया गया था। उसी आधार पर यान प्रतीत के सहारे रोक को हटा दिया गया। जबकि रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि जमीन सरकारी पर बैठाई गयी प्रतीत होती है।
नायब तहसीलदार ने क्या कहा
नायब तहसीलदार प्रृकृति ध्रुव ने कहा कि रिपोर्ट में लिखा गया गया है कि जमीन बैठााई गयी प्रतीत होती है। लेकिन हम प्रतीत के आधार पर किसी जमीन को बहुत दिनों तक नहीं रोक सकते है। अपने विवेक के आधार पर जमीन पर फैसला लेते हुए रोक को हटा दिया है।
अधिग्रहण की गयी जमीन
जानकारी देते चलें कि बहतराई की तरफ स़ड़क निर्माण के दौरान की लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। इसमें एक जमीन 331/8 भी शामिल है। जमीन अधिग्रहण के बाद नियमानुसार मुआवजा भी दिया गया। जमीन का कुछ हिस्सा सड़क में आ गया। बाकी जमीन खाली रही। इसी दौरान बिल्डर ने करामात करते हुए जमीन को पास की सरकारी जमीन खसरा 329 में शिफ्ट कर दिया। इसी को हर सीमान्कन मैं बताया गया कि जमीन बैठी हुई प्रतीत होती है। जहां एक तहसीलदार स्थगन दिया तो दूसरा ने रोक को हटा दिया।
बहरहाल इससे शासन को करोड़ों का नुकसान हुआ है।