भारतीय संविधान हमें अधिकार के साथ कर्तव्य का भी कराता है बोध-न्यायाधीश सुश्री आकांक्षा बेक

Shri Mi
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रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी)।गौरतलब है कि आज ही के दिन यानी 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को स्वीकार किया था। जिले के स्थानीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजपुर में संविधान दिवस के अवसर पर व्यवहार न्यायाधीश सुश्री आकांक्षा बेक ने संविधान की जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय संविधान जहां हमें एक और अधिकार देता है वही कर्तव्य पालन करने को भी अवगत कराता है संविधान में दिए गए कर्तव्यों का पालन न करने से राष्ट्र के प्रति हमारे दायित्वों को हम पूर्ण नहीं करते कर्तव्य पालन करना हमारा दायित्व है ।

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संविधान में दिए गए कर्तव्य में न केवल पेड़ पौधों की रक्षा करना बल्कि राष्ट्रीय संपत्तियों की भी सुरक्षा का ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है राष्ट्रीय धरोहरों के अलावा राष्ट्रीय प्रतीक का भी सम्मान करना हमारा कर्तव्य है हमारा समाज शिक्षित हो उसके लिए भी हम सकारात्मक प्रयास करते रहे यही हमारा कर्तव्य है समाज में समन्वय बना रहे किसी के अधिकारों का उल्लंघन ना करें यह हमारा कर्तव्य है।

उन्होंने ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि आप सभी भारत के संविधान को हमारे पवित्र धर्म ग्रंथों रामायण गीता बाइबल कुरान शरीफ की ही तरह अध्ययन करें और जो भी अच्छी बातें हमारे धर्म ग्रंथों में हैं जिनका हम अपने जीवन में अनुसरण करते हैं ठीक उसी तरह की बातें हमारे भारतीय संविधान में भी हैं उन्हें भी जीवन में आत्मसात करें।

तहसील अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जय गोपाल अग्रवाल ने कहा कि हमारे लिए अच्छी बात है कि हमारा संविधान ही हमारे देश के कानूनों का जनक है हम अपने अधिकारों के अतिलंघन होने पर न्यायालय की शरण ले सकते हैं परंतु कर्तव्यों के पालन के लिए हमें खुद अपना विवेक जागृत करना होता है भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है और इस लिखित संविधान में देश के नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए व्यापक रूप से अनन्य बातों को शामिल किया गया है।

अधिवक्ता संघ के सचिव सुनील सिंह ने कहा की हमारा संविधान हमें समानता का अधिकार देता है जाति अथवा लिंग के आधार पर किसी के साथ भेद नहीं किया जा सकता हर वर्ग को समान अधिकार प्राप्त हैं सबके लिए समान अवसर हैं जहां यह संविधान हमें शिक्षा का अधिकार उपलब्ध कराता है और देश के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत शिक्षा देने का प्रावधान है वही सब को रोजगार के समान अवसर प्रदान करने की व्यवस्था है, योग्यता के आधार पर किसी के साथ भेद नहीं किया जाता है चाहे वह किसी भी धर्म अथवा जाति को मानने वाला हो महिला अथवा पुरुष हो। भारतीय संविधान में की गई व्यवस्था में भारत के हर नागरिक को सशक्त बनाती हैं और जीवन के हर पहलुओं से जुड़े अनन्य अधिकार प्रदान करती है।

शिविर में अधिवक्ता जितेंद्र गुप्ता के अलावा विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएं भी मौजूद थी। आभार प्रदर्शन करते हुए विद्यालय के प्रचार विनोद मिश्रा ने कहा कि संविधान की जानकारियां छात्रों के लिए उपयोगी साबित होंगी, भविष्य में ऐसे आयोजनों की आवश्यकता विद्यालय परिवार को बनी रहगी।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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