दिल्ली।देश के कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने अधिकारियों को सलाह देते हुए कहा है कि फ़ाइलों पर देखा जा सकता है और कृपया देख लें जैसे नोट मत लिखें। बल्कि इसकी जिम्मेदारी लें। कैबिनेट सचिव की यह प्रतिक्रिया सरकारी कार्यालयों में काम में होने वाली देरी को लेकर आई है।गुड गवर्नेंस वीक पर आयोजित एक वर्कशॉप में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने कहा कि जब तक सरकारी विभाग अपने कामकाज के तरीके नहीं बदलते हैं और समय पर निर्णय नहीं लेते हैं तबतक सरकार द्वारा की गई बड़ी बड़ी घोषणाएं भी सही तरीके से नहीं चल पाएंगी।
राजीव गौबा ने यह भी कहा कि कई स्तर पर फाइल निबटाना कोई मूल्यवर्धन नहीं करता है और न ही ये निर्णय लेने में भी कोई महत्वपूर्ण योगदान देता है। जब काम में अधिक समय लगता है और जिम्मेदारी कई लोगों में बंट जाती है तो इसका मतलब यह है कि इससे जुड़े लोग कह सकते कि कई अन्य लोगों ने भी इस मुद्दे को देखा और इसलिए जिम्मेदारी लेने से बच गए।
कैबिनेट सचिव ने इस दौरान यह भी कहा कि सरकारी व्यवस्था में जहां जूनियर स्तर पर भी निर्णय लिए जा सकते हैं वहां वरीय अधिकारियों तक फाइल भेजने की संस्कृति है। हम ‘देख सकते हैं’ या ‘कृपया देख लें’ जैसे सिंड्रोम से परिचित हैं ताकि आप सुरक्षित महसूस करें कि इसे किसी और ने या ऊपर के किसी व्यक्ति ने देखा है। साथ ही उन्होंने कहा कि कार्मिक विभाग और प्रशासनिक सुधार विभाग को यह देखना चाहिए कि यह सिंड्रोम क्यों विकसित हुआ है और इसमें क्या करने की जरूरत है।राजीव गौबा की टिप्पणी कोयला विभाग के सचिव अनिल कुमार जैन के द्वारा किए गए उस टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कितने अधिकारी बिना किसी मूल्यवर्धन के फाइलों पर अपने हस्ताक्षर कर रहे हैं। वहीं सड़क परिवहन सचिव गिरिधर अरमाने ने भी यह कहा कि कैसे राजमार्ग के टोल शुल्क के लिए अधिसूचना जारी करने में काफी देरी हुई क्योंकि फाइलों को अधिकारियों के कई स्तरों से गुजरना पड़ा।