बापू के राम को गाली देने वाले बापूजी को बघेल क्या नाम देंगे-विष्णुदेव साय

Shri Mi
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रायपुर।भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने गांधी हमारे अभिमान कार्यक्रम को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सत्ता अभिमान कार्यक्रम ठहराते हुए कहा है कि बापू के नाम पर राजनीतिक पाखंड रचने वाले भूपेश बघेल को बापूजी की गालियां क्यों नहीं सुनाई देतीं? खुद को गांधी जी के रास्ते पर चलने वाला बताने से कोई गांधीवादी नहीं हो जाता। बघेल जी खुद गांधीवादी न होकर गालीवादी संस्कृति के अंश हैं जिन्हें कालीचरण गालीचरण जैसे डॉयलॉग मारना तो बहुत आता है लेकिन बापू के राम को बापूजी गाली दे रहे हैं तो यह गालियां क्या भजन कीर्तन लगती हैं।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा है कि आपके बापूजी को बापू के किस आश्रम में यह शिक्षा मिली है कि गांधी के राम को गरियाएं? भूपेश बघेल राजनीतिक प्रदर्शनी सजाकर बापू की फोटो टांगकर कह रहे हैं कि देश विभाजन के लिए गांधी नहीं, जिन्ना और सावरकर जिम्मेदार हैं!

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इस परम असत्य को सुनकर बापू की आत्मा को जो वेदना हुई होगी, उससे गांधी के जीते जी उनके विचारों को दफन कर देने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ता। गांधीजी सत्य अहिंसा के पुजारी थे और उन्होंने आजादी के बाद कांग्रेस को समाप्त करने की इच्छा व्यक्त की थी। बापू की यह इच्छा नेहरू ने पूरी नहीं होने दी। किंतु देश की जनता बापू की इच्छा अवश्य पूरी करेगी, राहुल गांधी और भूपेश बघेल थोड़ा इंतजार करें।

श्री साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कथन के जवाब में कहा है कि निश्चित ही वीर सावरकर भारत विभाजन के लिए कतई जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा संकल्प तो सदा से ही अखंड भारत है। देश विभाजन के लिए जिन्ना कितने जिम्मेदार हैं और कॉंग्रेस का सत्ता लोभ कितना जिम्मेदार है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत विभाजन के लिए सीधे तौर पर वे ही जिम्मेदार हैं, जिनकी नस्लों की चरणवंदना में भूपेश बघेल हिन्दू को हिंदुत्व से अलग करना चाहते हैं। इसीलिए उनके बापूजी जब बापू के आराध्य को दुष्ट बताते हैं तो वे मौन धारण कर लेते हैं और जब कोई गांधी जी के सम्मान के विपरीत विचार व्यक्त कर दे तो यही भूपेश उसे गालीचरण करार देते हुए भजन गाते हैं। उन्होंने कहा कि भूपेश जी आपके इस व्यवहार को क्या नाम दूं।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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