भू-माफियों ने लगाया सरकारी जमीन को ठिकाने.. शासन को डेढ़ करोड़ का फटका.डायवर्सन शाखा का बड़ा खेल..4 एकड़ जमीन 6 टुकड़ों में रफा-दफा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— जमीन माफियों ने डायवर्सन शाखा के साथ जुगलबन्दी कर मोपका हल्का 29 स्थित चार एकड़ बेशकीमती सरकारी पट्टे की जमीन का न्यारा वारा कर दिया।  इस बात की खबर जिले के प्रमुख को भी नहीं हुई। शिकायत के बाद कलेक्टर ने खसरा नम्बर 992/9 की 4 एकड़ जमीन मामले में जांच का आदेश दिया है।  आदेश के बाद माफियों में हड़कम्प है। डायवर्सन विभाग के कुछ कर्मचारियों की हवा हवाई भी उड़ने लगी है।

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              बताते चलें कि कलेक्टर को दो दिन पहले जानकारी मिली कि जमीन माफियों ने मोपका स्थित 992/9 सरकारी पट्टे की जमीन को बिना अनुमति बेच दिया है। पूरे मामले में जमीन माफियों ने डायवर्सन विभाग के साथ जुगलबन्दी कर चार एकड़ जमीन को 6 टुकडों में बेचकर शासन को सीधे सीधे करीब एक करोड़ 52 लाख रूयों का फटका लगाया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर डॉ.मित्तर ने  एसडीएम को टीम बनाकर जांच का आदेश दिया है

झूठा शपथ पत्र    

           शिकायत में बताया गया है कि मोपका स्थित खसरा नम्बर 992/9 शासकीय पट्टे की जमीन है। जमीन का पट्टा विमला के नाम कषि कार्य के लिए है। नियमानुसार पट्टाधारी से शपथ भी लिया गया है । शपथ में विमला ने बताया है कि जीविकोपार्जन के लिए इसके अलावा कोई जमीन उनके पास नहीं है।

कलेक्टर ने नकारा फिर भी हो गया मद परिवर्तन

               साल 2015 में पट्टाधारी ने राजस्व अधिकारियों के अलावा डायवर्सन शाखा और राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर जमीन का डायवर्सन करवाया। तात्कालीन कलेक्टर ने डायवर्सन से इंकार कर दिया था। बावजूद इसके एडिश्नल जमीन का मद परिवर्तन किया। इसके बाद कमिश्नर कार्यालय से छलपूर्वक अहस्तांतरित शब्द भी हटावाया गया। 

चार एकड़ जमीन 6 टुकड़ों में रफा दफा

                      साल 2019 में पट्टाधारी ने चार एकड़ जमीन को 6 टुकड़ों में कृषि भूमि बताकर अलग अलग लोगों को बेचा इस दौरान डायवर्सन विभाग का एक अधिकारी राजस्व कर्मचारी के साथ जमीन का निरीक्षण किया। रजिस्ट्री में जमीन को कषि योग्य होना बताया। दस्तावेज में हस्ताक्षर भी किया। फिर उसी अधिकारी ने नामांतरण पंजी में डायवर्टेड जमीन बताकर नामांतरण पंजी में भी हस्ताक्षर किया। इससे शासन को कुल एक करोड़ 51लाख रूपयों का नुकसान पहुंचा है।

 शासकीय जमीन के सभी6 खरीदारों के नाम

1)अन्नू मसीह..पंजीयन क्रमांक 27/2/2020 रखबा 56 डिसिमिल..डायवर्सजन भूखण्ड क्रमांक 1242/2 खसरा नम्बर 992/9

2) सुनील सिंह..27/2/2020 रखबा 55 डिसिमिल..डायवर्सजन भूखण्ड क्रमांक 1242/3 खसरा नम्बर 992/9

3) ओमप्रकाश सिंह..पंजीयन क्रमांक 28/1/2021 रखबा 60 डिसिमिल..डायवर्सन भूखण्ड क्रमांक 1242/4 खसरा नम्बर 992/9

4) उत्तम प्रकाश सिंह पंजीयन क्रमांक 3/2/2021 रखबा 60 डिसिमिल..डायवर्सन भूखण्ड क्रमांक 1242/4 खसरा नम्बर 992/9

5) विनोद मिश्रा पंजीयन क्रमांक 17/2/2021 रखबा 59 डिसिमिल..डायवर्सन भूखण्ड क्रमांक 1242/6 खसरा नम्बर 992/9

6) किशन सिंह ..कुल खरीदी गयी जमीन एक एकड़ 10 डिसिमिल पंजीयन क्रमांक 27/2/2020 डायवर्सजन भूखण्ड क्रमांक 1242/ 10खसरा नम्बर 992/9 है।

वर्गफुट का भुगतान एकड़ में

          दस्तावेज के अनुसार डायवर्सन विभाग ने मौका निरीक्षण के दौरान जमीन को कृषि योग्य बताया।  लेकिन पंजीयन नायामंतरण दस्तावेज में खसरा नम्बर 992/9 को डायवर्टेड जमीन बताया। जाहिर सी बीत है कि कृषि योग्य जमीन पर शुल्क कम लगता है। जबकि आवासीय  जमीन पर शुल्क का भुगतान वर्गफुट में होता है। इस तरह माफियों ने ष़ड़यत्र कर कुल 1 करोड़ 51 लाख रूपयों का फटका शासन को दिया है।

हस्ताक्षर किसका

         अवलोकन से मिली जानकारी के अनुसार नामांतरण पंजी खण्ड में सभी आदेश तात्कालीन तहसीलदार नारायण प्रसाद गभेल ने दिया है। लेकिन नामांतरण पंजी क्रमांक 834, 836 और 836 का नामातंरण आदेश किसी अज्ञात अधिकारी का है। हस्ताक्षर के साथ विभाग और पद का सील भी नहीं है। जाहिर सी बात है कि मामला गंभीर है।

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