सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना (Agnipath scheme) के खिलाफ देशभर में उग्र प्रदर्शन हो रहा है. प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय रेलवे (Indian Railway) को हो रहा है. बिहार और यूपी में कई ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया है. देश में जब भी कोई बड़ा प्रदर्शन होता है तो रेलवे को सबसे पहले निशाना बनाया जाता है. दरअसल रेलवे को टारगेट करके प्रदर्शनकारी सरकार का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के एक डिब्बे (कोच) को जलाने पर रेलवे को कितना नुकसान होता है?
बता दें कि ट्रेन में 2 हिस्से होते हैं, इनमें एक इंजन और दूसरा कोच (डिब्बा). भारतीय रेलवे (Indian Railway) को ट्रेन का एक इंजन को बनाने में लगभग 20 करोड़ रुपये का खर्च करने पड़ते हैं. जबकि एक डुअल मोड लोकोमोटिव (dual-mode locomotive) की लागत 18 करोड़ रुपये के करीब आती है. वहीं 4,500 हॉर्सपावर के डीजल लोकोमोटिव इंजन की लागत 13 करोड़ रुपये बैठती है. इंजन की कीमत उसके पावर पर निर्भर करती है.
एक कोच की कुल लागत
जबकि ट्रेन के कोच की बात करें तो यह यात्रियों की सुविधा के अनुसार अलग-अलग होते हैं. इनमें स्लीपर (Sleeper), एसी (AC) और जनरल कोच (General coach) अलग-अलग तरीके से बनाए जाते हैं. रेलवे को एक AC कोच को बनाने में तकरीबन 2 करोड़ रुपये का खर्च करने पड़ते हैं. स्लीपर कोच के लिए 1.25 करोड़ और जनरल कोच के लिए 1 करोड़ रुपये का लागत आती है.
एक एक्सप्रेस ट्रेन में 22 डिब्बे होते हैं. इस लिहाज से एक ट्रेन में इंजन और कोच की कीमत 68 करोड़ रुपये बैठती है. इसी तरह सामान्य से एक्सप्रेस ट्रेन को बनाने में रेलवे को 50 करोड़ से 100 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
रेलवे का अब तक 500 करोड़ का नुकसान
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, अग्निपथ योजना के विरोध में हो रहे विरोध प्रदर्शन में अब तक रेलवे को अब तक 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान हो चुका है. देशभर में अब तक 7 ट्रेनों में लगाई गई आग में तकरीबन 100 कोच जलकर खाक हो गए हैं. यानी तकरीबन 200 करोड़ रुपये के कोच जल चुके हैं. इसके अलावा प्रदर्शनकारियों द्वारा ट्रेन के 7 इंजनों में आग लगाई गई है. जिनमें एक इंजन कीमत 20 करोड़ होती है. तकरीबन 140 करोड़ के इंजन जलाए गए हैं.